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दुनिया में Internet पर सबसे ज्यादा भारतीय Teenagers को मिलती है धमकियां, जानें क्या है कारण

इंटरनेट पर बुलिंग बेहद खतरनाक है और इससे बच्चों-किशोरों की मानसिक स्थिति प्रभावित होती है। अगर कोई गलत मैसेज या फोन के जरिए परेशान कर रहा है तो उन मैसेज आदि को डिलीट न करें।

By Nitin AroraEdited By: Published: Sat, 13 Jul 2019 04:42 PM (IST)Updated: Sat, 13 Jul 2019 06:06 PM (IST)
दुनिया में Internet पर सबसे ज्यादा भारतीय Teenagers को मिलती है धमकियां, जानें क्या है कारण
दुनिया में Internet पर सबसे ज्यादा भारतीय Teenagers को मिलती है धमकियां, जानें क्या है कारण

नई दिल्ली, अमित निधि। आज इंटरनेट की दुनिया किशोरों को खूब आकर्षित कर रही है। ऑनलाइन चैटिंग और सोशल प्लेटफॉर्म पर फोटो और वीडियो शेयर करना उन्हें खूब पसंद आ रहा है, लेकिन इसी दौरान कई बार वे साइबर बुलिंग के शिकार भी हो जाते हैं, जो न सिर्फ उन्हें मानसिक पीड़ा देता है, बल्कि अवसाद की दुनिया में भी ले जाता है। पर साइबर बुलिंग से डरने की बजाय सही तरीके से निपटने की जरूरत है...

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कुछ दिन पहले केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी की बेटी को इंस्टाग्राम पर साइबर बुलिंग का सामना करना पड़ा था। इसके बाद अपनी बेटी के समर्थन में स्मृति ईरानी को खुलकर सामने आना पड़ा। वहीं अभिनेत्री अनन्या पांडे भी सोशल प्लेटफॉर्म पर बुलिंग से नहीं बच पाईं।

आजकल ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर पोस्ट, हजारों लाइक्स, दोस्तों की तारीफें...ये ऐसी चीजें हैं, जो किशोरों को फेसबुक, इंस्टाग्राम जैसे सोशल प्लेटफॉर्म पर खींच लाते हैं। वैसे भी आज का दौर डिजिटल का है और चाहकर भी इन प्लेटफॉर्म से बच्चों-किशोरों को दूर नहीं रखा जा सकता है। यहीं पर कई बार उनका सामना साइबर बुलिंग करने वालों से हो जाता है। यहां बात छोटे-मोटे कमेंट्स से शुरू होकर गाली-गलौच और धमकियों तक पहुंच जाती है। आज साइबर बुलिंग का सामना आम लोगों को ही नहीं, बल्कि फिल्मी सितारों, राजनेताओं, स्पोर्ट्स पर्सन आदि को भी करना पड़ रहा है।

क्या है साइबर बुलिंग? 
आज के दौर में इंटरनेट सर्फिंग की जरूरत से इंकार नहीं किया जा सकता है, लेकिन कई बार सोशल नेटवर्किंग साइट्स, ईमेल, चैट आदि के जरिए बच्चों व किशोरों को परेशान करने के मामले भी सामने आते रहते हैं। जब बुलिंग इंटरनेट या डिजिटल माध्यम से की जाए, तो इसे साइबर बुलिंग कहते हैं। इनमें किसी को अश्लील या धमकाने वाले मैसेज भेजना या किसी भी रूप में परेशान करना साइबर अपराध के दायरे में ही आता है। इस तरह की परेशानी पीड़ित को मानसिक, भावनात्मक और दिमागी रूप से प्रभावित करती है।

साइबर बुलिंग का ऐसे करें सामना : इंटरनेट पर बुलिंग बेहद खतरनाक है और इससे बच्चों-किशोरों की मानसिक स्थिति प्रभावित होती है। हालांकि सोशल नेटवर्किंग साइट्स ओपन प्लेटफॉर्म हैं, जहां पर इन चीजों पर लगाम लगाना आज भी मुश्किल है। आजकल टेक्स्ट मैसेज और ईमेल के जरिए भी इस तरह की घटनाओं को अंजाम दिया जाता है, लेकिन कुछ तरीके हैं, जिनकी मदद से साइबर बुलिंग से बचा जा सकता है...

पोस्ट करने से पहले सोचें : इंटरनेट पर कुछ भी पोस्ट करने से पहले एक बार जरूर सोचें कि क्या पोस्ट करना है और क्या नहीं? आप यह नहीं जानते कि जो पोस्ट कर रहे हैं, उसे दूसरे लोग किस तरह से फॉरवर्ड करेंगे। आप इस भरोसे बिल्कुल भी न रहें कि यहां पर कोई दूसरा आपको सेफ रखने के लिए आगे आएगा। ऐसा कुछ भी पोस्ट या शेयर न करें, जो दूसरे को दुख पहुंचाता हो।

 

छोटी-मोटी चीजों को करें नजरंदाज : अगर आपकी ऑनलाइन पोस्ट पर कोई छोटी-मोटी टिप्पणी करता है, तो ऐसे में उसे नजरअंदाज करने की कोशिश करें। अक्सर ऐसा देखा गया है कि ऑनलाइन छोटी-छोटी बातों पर लोग उलझने-झगड़ने लगते हैं। इस तरह बात आगे बढ़ती चली जाती है और इसमें जो बुलिंग करने वाले लोग होते हैं, उन्हें आनंद आने लगता है। इसलिए किसी को भी ऐसा कोई मौका ही न दें कि कोई आपको परेशान करे।

टेक टूल्स का करें इस्तेमाल : आजकल अधिकतर सोशल मीडिया एप्स के साथ ईमेल और मैसेज को ब्लॉक करने का विकल्प भी होता है। अगर कोई आपको सोशल प्लेटफॉर्म पर परेशान कर रहा है, तो इसके बारे में उसी प्लेटफॉर्म पर रिपोर्ट कर सकते हैं या फिर उस व्यक्ति को ब्लॉक भी कर सकते हैं।

सुबूतों को रखें सुरक्षित : अगर कोई गलत मैसेज, फोन या फिर ईमेल के जरिए परेशान कर रहा है, तो उन मैसेज, ईमेल आदि को डिलीट न करें। उन्हें सेव करके रखें और उन लोगों को दिखाएं, जो आपकी मदद कर सकते हैं। साथ ही, इसे पुलिस केस के लिए भी सुबूत के तौर पर सेव कर सकते हैं। सुबूतों को सीडी या पेन ड्राइव में या प्रिंट स्क्रीन शॉट लेकर रख सकते हैं। नेशनल क्राइम प्रिवेंशन काउंसिल के निर्देश के अनुसार, फेसबुक, यूट्यूब आदि वेबसाइट्स पर सेफ्टी सेंटर का विकल्प है, जहां आप शिकायत दर्ज करवा सकते हैं।

पासवर्ड को रखें सुरक्षित : कई बार किशोर अपने खास दोस्तों के साथ अपना पासवर्ड शेयर कर लेते हैं, लेकिन यह तरीका कभी भी अच्छा नहीं माना जाता है। पासवर्ड जानने की वजह से किसी कारण अनबन होने की स्थिति में कभी वही आपको मुश्किलों में भी डाल सकता है।

बुलिंग को न करें सपोर्ट : आपका जानने वाला अगर किसी के साथ बुलिंग कर रहा है, तो उसके सपोर्ट में खड़े होने की बजाय उसका विरोध करें। अगर वह आपका दोस्त है और वह आपकी बातों को अनसुना कर रहा है, तो बुलिंग के पीड़ित के संग मिलकर उसके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करवानी चाहिए।

दोस्तों-रिश्तेदारों को न करें शामिल : अक्सर बुलिंग के शिकार लोगों को बुलिंग का विरोध करने का तरीका समझ में नहीं आता है और वे भेजे गए मैसेज और ईमेल्स को अपने दोस्तों या रिश्तेदारों को भेज देते हैं। ऐसा बिल्कुल न करें। आपको नहीं पता कि यह चेन कहां तक जा सकती है और आपको भेजा गया गलत मैसेज कितने लोगों तक पहुंच जाएगा।

अगर नहीं हैं गलत : अगर आप अपनी पोस्ट या शेयर को लेकर स्पष्ट हैं और आपको गलत तरीके से ट्रोल या बुलिंग किया जा रहा है, तो अपनी बातों को स्पष्ट रूप से रखें और बुलिंग करने वालों से कहें कि वे ऐसा करके ठीक नहीं कर रहे हैं। अपने आत्मविश्वास को बिल्कुल भी डगमगाने न दें। साथ ही, अपनी कही गई बात पर कायम रहें। धीरे-धीरे आपका विरोध कर रहे लोगों की तुलना में आपका साथ देने वाले लोगों की संख्या कई गुना बढ़ जाएगी।

पैरेंट्स भी रखें ध्यान 
आज के समय में किशोरों को स्मार्टफोन और इंटरनेट के इस्तेमाल से रोक पाना मुश्किल है, ऐसे में पैरेंट्स की जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है। अगर बच्चा ऑनलाइन बहुत ज्यादा एक्टिव है, तो उसके बर्ताव पर लगातार नजर रखनी चाहिए। इंटरनेट का इस्तेमाल करने के बाद बच्चे का मूड कैसा है? क्या वह घबराया रहता है या चिड़चिड़ा लग रहा है? क्या वह बातें छिपाने की कोशिश कर रहा है? इसके अलावा, बच्चों से साइबर बुलिंग के बारे में बात करनी चाहिए, ताकि उसे भी इसके बारे में सब कुछ पता चल सके।

साथ ही, बच्चों को इस बात के लिए भी प्रोत्साहित करना चाहिए कि वे कंप्यूटर या मोबाइल का इस्तेमाल जरूरत की चीजों के लिए ही करें। बच्चे किस तरह की साइट पर विजिट करे, इसके लिए पैरेंटल लॉक का इस्तेमाल भी किया जा सकता है।

रीथिंक : स्टॉप साइबर बुलिंग एप
यह एप्लिकेशन साइबर बुलिंग से बचने का एक अच्छा समाधान हो सकता है। किशोर अलगअलग एप्स या सोशल प्लेटफॉर्म पर क्या टाइप कर रहे हैं, इस एप की मदद से उसे रोका जा सकता है। दरअसल, यह किसी पोस्ट या मैसेज को करने से पहले उसके बारे में दोबारा सोचने का मौका देता है कि पोस्ट करना चाहिए या नहीं।

इस एप को डेवलप करने वाली त्रिशा प्रभु के मुताबिक, वह उस समय काफी विचलित हो गई थीं, जब साइबर बुलिंग की वजह से 11 साल की बच्ची ने खुदकुशी कर ली थी। उसके बाद ही उन्होंने साइबर बुलिंग का समाधान निकालने के लिए इस एप को डेवलप किया। यह एप्लिकेशन पोस्ट करने से पहले रियल टाइम में नुकसानदेह और भड़काऊ मैसेज को पहचान लेता है।

यह उन सभी एप्स या वेबसाइट्स के साथ कार्य करता है, जिसमें की-बोर्ड की जरूरत होती है। इससे बच्चों को पता चल जाता है कि उन्हें क्या पोस्ट करना चाहिए और क्या नहीं? यह एप आइओएस यूजर के लिए उपलब्ध है।

अनन्या का ‘सो पॉजिटिव’ कैंपेन 
हाल ही में बॉलीवुड एक्ट्रेस अनन्या पांडे को भी साइबर बुलिंग का सामना करना पड़ा। इसके बाद उन्होंने बुलिंग के खिलाफ ‘सो पॉजिटिव’ ऑनलाइन कैंपेन शुरू किया है। अनन्या पांडे का कहना है कि ट्रोलिंग और इस तरह की हरकतें उन कम उम्र युवाओं के दिमाग पर असर छोड़ती हैं, जो बदलाव की उम्र से गुजर रहे होते हैं।

पिछले दिनों उन्हें उनकी क्वालिफिकेशन को लेकर सोशल मीडिया पर ट्रोल किया गया था। अनन्या के मुताबिक, आज साइबर बुलिंग आम है, पर यह वास्तव में हम सबको प्रभावित करती है। लोगों को समझना चाहिए कि यह किस तरह से दूसरों को प्रभावित करती है और किसी चीज पर टिप्पणी करने को लेकर जिम्मेदार होना क्यों महत्वपूर्ण है।

जागरूक के साथ एक्शन भी जरूरी
पवन दुग्गल (साइबर एक्सपर्ट) का कहना है कि भारत में साइबर बुलिंग की समस्या बहुत बड़ी है। आज किशोरों को अलग-अलग तरह से बुलिंग का सामना करना पड़ रहा है। कई बार वे इस स्थिति में पहुंच जाते हैं कि खुदकुशी तक की सोच लेते हैं।

दिक्कत यह है कि अभी तक इससे निपटने के लिए कोई कारगर कदम नहीं उठाया गया है और न ही कोई ऐसा प्लेटफॉर्म ही बनाया गया है, जहां शिकायत दर्ज करने पर जल्द एक्शन हो। देखा गया है कि इस तरह के मामले सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर ज्यादा हैं, लेकिन यहां पर सरकार का नियंत्रण ज्यादा नहीं है। लेकिन अब इसको लेकर केवल जागरूकता की ही नहीं, बल्कि एक्शन लेने की भी जरूरत है।

अधिकतर मामलों में देखा गया है कि पुलिस साइबर बुलिंग को लेकर मामले दर्ज नहीं करती है। इसे दंडनीय अपराध घोषित किया जाना चाहिए और इससे निपटने के लिए ज्यादा कठोर कदम उठाए जाने चाहिए। इस तरह के मामलों में पैरेंट्स को भी चाहिए कि वे बच्चों के साथ दोस्त की तरह बातें करें। उन्हें जागरूक करें कि इन मामलों में किस तरह के कदम उठाने चाहिए।

बता दें कि इस मामले में भारत पहले स्थान पर है। कॉम्पैरिटेक की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में सबसे ज्यादा टीनएज भारत में साइबर बुलिंग के शिकार होते हैं। 42 फीसदी साइबर बुलिंग के मामलों में पीड़ित महिलाएं रही हैं। इसमें भी बड़ी तादाद बच्चों की है। यह बात एंटीवायरस कंपनी नॉर्टन की एक रिसर्च में सामने आई है। वहीं, 45 फीसदी लोगों को किसी न किसी रूप में साइबर बुलिंग का सामना करना पड़ता है।


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