पहली बार भारतीय वैज्ञानिकों ने ली कोरोना की तस्वीर, देश के पहले मरीज से लिया था नमूना
पहली बार भारतीय वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस की माइक्रोस्कोपी तस्वीर लेने में सफलता पाई है। यह तस्वीर देश के पहले कोरोना संक्रमित मरीज के नमूने से ली गई है।
नई दिल्ली, एजेंसियां। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) के पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआइवी) के वैज्ञानिकों ने पहली बार नए कोरोना वायरस (सार्स-कॉव-2) की तस्वीरें (इमेज) उजागर की हैं। ये इमेज ट्रांसमिशन इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप (टेम) इमेजिंग का इस्तेमाल करके ली गई हैं। इन्हें इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आइजेएमआर) के ताजा संस्करण में प्रकाशित किया गया है।
यह तस्वीर भारत की कोविड-19 की पहली पुष्ट मरीज के गले से लिए गए सैंपल से ली गई है। यह मामला केरल में 30 जनवरी को रिपोर्ट हुआ था। यह महिला उन तीन छात्रों में शामिल थी जो चीन के वुहान शहर में मेडिसिन की पढ़ाई कर रहे थे। केरल के इन नमूनों की जीन सिक्वेंसिंग नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआइवी) में की गई थी। इसमें पता चला था कि भारत में मिला यह वायरस चीन के वुहान शहर में मिले वायरस से 99.98 फीसद मेल खाता है।
आइजेएमआर में उपरोक्त लेख आइसीएमआर-एनआइवी नेशनल इंफ्लूएंजा सेंटर की टीम ने लिखा है। इसके लेखकों में एनआइवी के उपनिदेशक और इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी एंड पैथोलॉजी के प्रमुख अतनु बसु भी शामिल हैं। लेख के मुताबिक, एक वायरस पार्टिकिल काफी अच्छी तरह संरक्षित था जिसमें कोरोना वायरस के बेहद विशिष्ट लक्षण दिखाई दे रहे थे। इसका आकार 75 नैनोमीटर का था।
अभी तक कोरोना वायरस के संक्रमण का इलाज नहीं ढूंढा जा सका है। दुनियाभर में तमाम देशों के वैज्ञानिक इस वायरस का इलाज ढूंढ़ने में जुटे हैं। भारतीय वैज्ञानिकों को इस वायरस की माइक्रोस्कोपी इमेज निकालने से इसके इलाज की दिशा में आगे के वैज्ञानिक अध्ययन का रास्ता साफ हुआ है। वैज्ञानिक प्रयोगशालाओं में दिन-रात इस बात का पता लगाने में जुटे हैं कि आखिरकार यह महामारी फैली कैसे..? क्या यह प्राकृतिक कारणों से उपजी है या मानव निर्मित है? इन सवालों के जवाब अभी तक तलाशे नहीं जा सके हैं।