डॉलर के मुकाबले 70 के करीब पहुंचा रुपया, जानिए क्या होगा महंगा
तुर्की की मुद्रा लीरा का संकट दुनिया की अन्य अर्थव्यवस्थाओं तक फैलने की शंकाओं के चलते डॉलर के मुकाबले रुपया 110 पैसे लुढ़ककर 6993 के रिकॉर्ड निचले स्तर तक आ गिरा।
मुंबई (जेएनएन)। पिछले कुछ समय से डॉलर के मुकाबले आहिस्ता-आहिस्ता टूट रहा रुपया सोमवार को एकदम से 70 के बेहद करीब पहुंचकर पूरे बाजार को सांसत में छोड़ गया। तुर्की की मुद्रा लीरा का संकट दुनिया की अन्य अर्थव्यवस्थाओं तक फैलने की शंकाओं के चलते डॉलर के मुकाबले रुपया 110 पैसे लुढ़ककर 69.93 के रिकॉर्ड निचले स्तर तक आ गिरा।
पिछले पांच वर्षों में पहली बार किसी एक दिन में रुपया इस कदर टूटा है। इससे पहले अगस्त 2013 में रुपया एक दिन में 148 पैसे टूट गया था। वृहत अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर कुछ सकारात्मक खबरों के बीच रुपये में कारोबार की शुरुआत 41 पैसे मजबूती के साथ 68.42 के स्तर से हुई थी। लेकिन विदेशी बाजारों के चौतरफा नकारात्मक माहौल के साये में इसमें गिरावट आनी शुरू हो गई। रुपये में इस बड़ी गिरावट का सीधा असर सोमवार को घरेलू शेयर बाजारों पर दिखा, जहां बीएसई करीब सवा दो सौ अंक टूट गया।
दिनभर निवेशकों में अफरातफरी का माहौल रहा। हालांकि नीति निर्माताओं और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) की तरफ से टूटते रुपये को संभालने के अब तक कोई स्पष्ट संकेत नहीं मिले हैं। लीरा के धड़ाम हो जाने के चलते डॉलर के मुकाबले दुनियाभर की अधिकांश मुद्राओं को गिरावट का सामना करना पड़ा। एक सार्वजनिक बैंक के ट्रेजरी अधिकारी रुपये के बहुत जल्द 70 का स्तर पार कर जाने की आशंका जताई।
उन्होंने कहा कि रुपये की मौजूदा हालत को देखकर आरबीआइ निश्चित तौर पर असहज महसूस करेगा, क्योंकि अब तक वह हर स्तर पर रुपये का बचाव ही करता दिखा है। डॉलर के मुकाबले में रुपये के भाव में इस बड़ी गिरावट का सीधा असर कच्चे तेल के भाव पर दिखना तय है। इसके साथ ही सोना समेत सभी आयातित उत्पाद महंगे होने की आशंका बढ़ गई है। हालांकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में पहले की कुछ परिस्थितियों के चलते सोमवार को कच्चे तेल के दाम में मामूली गिरावट देखी गई।
डॉलर होगा मजबूत तो बढ़ेगी महंगाई
डॉलर के मजबूत होने से क्रूड ऑयल भी महंगा हो जाएगा। यानि जो देश कच्चे तेल का आयात करते हैं, उन्हें अब पहले के मुकाबले (डॉलर के मुकाबले) ज्यादा रुपये खर्च करने होंगे। भारत जैसे देश के लिहाज से देखा जाए तो अगर क्रूड आयल महंगा होगा तो सीधे तौर पर महंगाई बढ़ने की संभावना बढ़ेगी।
डॉलर में होने वाले सभी पेमेंट महंगे हो जाएंगे
वहीं अगर डॉलर कमजोर होता है तो डॉलर के मुकाबले भारत जिन भी मदों में पेमेंट करता है वह भी महंगा हो जाएगा। यानी उपभोक्ताओं के लिहाज से भी यह राहत भरी खबर नहीं है। यानी आसान शब्दों में भारत का इंपोर्ट बिल (आयात बिल) बढ़ जाएगा।
शेयर बाजारों में अफरातफरी
डॉलर के मुकाबले रुपये के टूटने और तुर्की के लीरा संकट के चलते सोमवार को बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 224.33 अंक यानी 0.59 फीसद लुढ़ककर 37,644.90 अंक पर बंद हुआ। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का 50 शेयरों वाला निफ्टी भी 73.75 अंक यानी 0.65 फीसद गिरकर 11,355.75 अंक पर बंद हुआ।
फिच रेटिंग्स की उस रिपोर्ट ने भी बैंकिंग सेक्टर के निवेशकों को मायूस किया, जिसमें सेक्टर का आउटलुक नकारात्मक रखा गया है।इस बीच, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआइ) ने पिछले सप्ताह शुक्रवार को 510.66 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर बेचे, जबकि घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआइआइ) ने 457.83 करोड़ रुपये मूल्य के शेयरों की खरीदारी की।