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तेल के ऊंचे दामों से जल्द मिल सकती है राहत, रूस से भारतीय रिफाइनर्स की इस डील पर हो रही बातचीत

भारतीय रिफाइनर रूस के साथ छह महीने के तेल सौदे पर वार्ता कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार सस्ते दर पर दोगुना तेल खरीदने पर वार्ता चल रही है। जून तक डील पर सहमति बनाने की कोशिश हो रही है।

By Mahen KhannaEdited By: Published: Fri, 29 Apr 2022 04:39 PM (IST)Updated: Sat, 30 Apr 2022 01:53 AM (IST)
रूस से भारतीय रिफाइनर्स की चल रही बात। (फाइल फोटो)

नई दिल्ली, रायटर। तेल के ऊंचे दामों की मार झेल रही भारतीय जनता को जल्द राहत मिल सकती है। तेल के सस्ते आयात को लेकर भारत की रूस के साथ बातचीत चल रही है। भारतीय रिफाइनर रूस के साथ छह महीने के तेल सौदे पर वार्ता कर रहे हैं। प्रति माह लाखों बैरल आयात करने के लिए दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा आयातक (भारत) पश्चिमी प्रतिबंधों के बावजूद अधिक रूसी कच्चे तेल की मांग कर रहा है। भारत ने 24 फरवरी को यूक्रेन पर आक्रमण के बाद से दो महीनों में रूस से दोगुने से अधिक कच्चा तेल की खरीद की है।

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रूसी कंपनी भारत और चीन से तेल सौदे पर कर रही बात

बता दें कि रूस के खिलाफ पश्चिमी प्रतिबंधों ने कई तेल आयातकों को मास्को के साथ व्यापार से दूर रहने को कहा है, जिससे रूसी कच्चे तेल कीमतों काफी गिर गई हैं। सूत्रों के अनुसार इसी के चलते रूसी कंपनी रोसनेफ्ट, भारतीय और चीनी कंपनियों के साथ आपूर्ति सौदों के बारे में बातचीत कर रही है।

दोगुना तेल खरीदने पर बन सकती सहमति

सूत्रों ने कहा कि भारत की शीर्ष रिफाइनर इंडियन आयल कार्प (आइओसी), भारत पेट्रोलियम कार्प और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कार्प रूस की रोसनेफ्ट के साथ सौदे पर बातचीत कर रही हैं। उन्होंने कहा कि आईओसी अन्य 30 लाख बैरल खरीदने के विकल्प के साथ प्रति माह 60 लाख बैरल तेल आयात करने के सौदे पर बातचीत कर रही है। सूत्रों ने कहा कि बीपीसीएल और एचपीसीएल क्रमश: 40 लाख बैरल और 30 लाख बैरल के मासिक आयात पर विचार कर रहे हैं।

जून से मिल सकता है सस्ता तेल

जानकारी के अनुसार कंपनियां जून से आपूर्ति की तलाश कर रही हैं। उन्होंने कहा, रोसनेफ्ट को जोड़ने से गैर-स्वीकृत बिचौलियों और उन देशों में स्थित व्यापारिक कंपनियों के माध्यम से तेल वितरित किया जा सकता है जिन्होंने मास्को के खिलाफ प्रतिबंधों की घोषणा नहीं की है। सूत्रों में से एक ने कहा कि रोसनेफ्ट द्वारा दी गई छूट और प्रतिबंधों के प्रभाव के आधार पर सौदों की मात्रा और अवधि बदल सकती है।


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