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Indian Railways: नए आरक्षण केंद्र खोलने के मूड में नहीं रेलवे, जानें क्‍यों उठाया कदम

आधुनिक डिजिटल युग में रेलवे के मैनुअल टिकट बुकिंग में भारी गिरावट आई है। हालांकि पुराने आरक्षण केंद्रों को फिलहाल बंद नहीं किया जाएगा लेकिन समय के साथ घटती उपयोगिता के चलते देश में उनकी संख्या घट सकती है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Mon, 05 Oct 2020 08:24 PM (IST)Updated: Mon, 05 Oct 2020 08:24 PM (IST)
Indian Railways: नए आरक्षण केंद्र खोलने के मूड में नहीं रेलवे, जानें क्‍यों उठाया कदम
रेलवे के आरक्षण केंद्र की फाइल फोटो।

 नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। भारतीय रेलवे अब नए आरक्षण केंद्र खोलने के मूड में नहीं है। आधुनिक डिजिटल युग में मैनुअल टिकट बुकिंग में भारी गिरावट आई है। हालांकि पुराने आरक्षण केंद्रों को फिलहाल बंद नहीं किया जाएगा। लेकिन समय के साथ घटती उपयोगिता के चलते उनकी संख्या घट सकती है। जनरल टिकटों की भी ऑनलाइन सुविधा होने से मैनुअल टिकट बुकिंग में काफी कमी आई है। ऐसे में आरक्षण केंद्र खोलने और कर्मचारियों की तैनाती आदि जैसे संसाधनों को लगाना फिजूलखर्ची माना जा रहा है। 

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ऑनलाइन सुविधा होने से मैनुअल टिकट बुकिंग में आई काफी कमी

आरक्षित टिकट के अलावा जनरल और प्लेटफॉर्म टिकट तक की बुकिंग मोबाइल एप पर संभव है। लेकिन कुछ अशिक्षित और मोबाइल फोन नहीं रखने वाले लोगों को ध्यान में रखकर रेलवे ने हर तरह के टिकटों की बुकिंग का दायित्व डाकघरों और देश की लगभग प्रत्येक ग्राम पंचायतों में खुले सामुदायिक सेवा केंद्र (सीएससी) को सौंपने का फैसला किया है। इससे रेलवे की टिकट खिड़कियों पर निर्भरता घटेगी।

दैनिक आधार पर हो रही ट्रेनों की समीक्षा

चलाई जा रही स्पेशल ट्रेनों की संख्या बढ़ाने अथवा घटाने की समीक्षा दैनिक आधार पर हो रही है। रेलवे प्रशासन का कहना है कि आने वाले दिनों में थोक में ट्रेनों का संचालन नहीं होगा। मांग के आधार पर ट्रेनें शुरू जरूर होंगी, लेकिन जरूरत न होने अथवा यात्रियों का समर्थन न मिलने की स्थिति में उन्हें तुरंत बंद भी किया जा सकता है अथवा उनके फेरों में कमी की जा सकती है।

एआई के इशारे से चलेंगी ट्रेनें

ट्रेनों का संचालन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) के आधार पर किया जाएगा। त्योहारी सीजन में शुरू की जाने वाली ट्रेनों का चयन इसी आधुनिक डिजिटल प्रणाली से किया जा रहा है। आगे भी इसी प्रणाली को अपनाया जाएगा। इसके तहत जैसे ही किसी निश्चित रूट की ट्रेनों में वेटिंग लिस्ट एक खास नंबर से ऊपर जाएगा, उस रूट में नई ट्रेन जुड़ जाएगी ताकि यात्रियों को उसमें आरक्षण मिल सके। यानी ट्रेनों का संचालन राजनीतिक दबावों से मुक्त और यात्रियों के लिए ज्यादा सुविधाजनक होगा।


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