Indian Railways: सबसे अधिक लंबी मालगाड़ियों का संचालन हुआ शुरू, बिजली संयंत्रों तक कोयला पहुंचाने में होंगी कारगर
देश में कोयला व खाद्यान्न समेत अन्य जिंसों की ढुलाई को बढ़ाने के लिए भारतीय रेलवे ने सबसे अधिक लंबी मालगाड़ियों का संचालन शुरू किया है। लंबी दूरी की त्रिशूल और गरुण नामक ये मालगाड़ियां सामान्य मालगाड़ियों से लगभग तीन गुना बड़ी हैं।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। देश में कोयला व खाद्यान्न समेत अन्य जिंसों की ढुलाई को बढ़ाने के लिए भारतीय रेलवे ने सबसे अधिक लंबी मालगाड़ियों का संचालन शुरू किया है। लंबी दूरी की 'त्रिशूल' और 'गरुण' नामक ये मालगाड़ियां सामान्य मालगाड़ियों से लगभग तीन गुना बड़ी हैं। भारतीय रेलवे का मानना है कि इससे लंबी दूरी तक अधिकतम माल ढुलाई में बहुत मदद मिलेगी। इन मालगाड़ियों से थर्मल पावर स्टेशनों तक कोयला पहुंचाने में काफी सहूलियत होगी। माल ढुलाई में ज्यादा से ज्यादा लदान करने और निर्धारित गंतव्य तक पहुंचाने में ऐसी मालगाड़ियां काफी मददगार हो सकती हैं।
पहले चरण में दोनों मालगाड़ियां अपने-अपने गंतव्य तक पहुंची
रेलवे पहली बार लंबी दूरी की इन दोनों मालगाड़ियों को चलाया है। इस तरह की ट्रेनों के कई फायदे हैं, जिनमें एक ही बार में बहुत ज्यादा माल की ढुलाई शामिल हैं। लंबी दूरी की इन मालगाड़ियों में 177 वैगन शामिल हैं, जो आम मालगाड़ी की लंबाई से तीन गुना अधिक लंबी हैं। फिलहाल ये दोनों मालगाड़ियां दक्षिण मध्य रेलवे ने संचालित की हैं। दक्षिण मध्य रेलवे पांच प्रमुख ढुलाई वाले रेलवे में एक है। इन खंडों के मुख्य मार्गों पर दक्षिण मध्य रेलवे थोक माल की ढुलाई करता है। ज्यादातर माल ढुलाई इसी खंड के रेलवे मार्गों से होकर गुजरता है।
भारतीय रेलवे ने किए कई प्रयोग
गरुड़ और त्रिशूल के संचालन की सफलता के बाद इस तरह की मालगाड़ियों का विस्तार किया जाएगा। कोरोना काल में किए कई प्रयोग भारतीय रेलवे ने कोरोना काल के दौरान माल ढुलाई की दिशा में कई अहम प्रयोग किए हैं, जिसका उसे लाभ भी मिला है। इस दौरान यात्री ट्रेनों का संचालन ठप होने की वजह से ट्रैक खाली मिला तो माल ढुलाई वाली मालगाड़ियों के प्रदर्शन में जबर्दस्त सुधार हुआ है। कामकाज में सुधार के मद्देनजर रेलवे ने कई खंडों के रेलमार्गों पर माल ढुलाई के लिए कई तरह के काम किए हैं। अधिक लंबाई वाली मालगाड़ियों के लिए पावरफुल इंजन भी बनाए हैं, जिससे उनके संचालन में कोई दिक्कत पेश न आ सके।