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कागजी औपचारिकताओं में उलझी यशपाल की रिहाई

पाकिस्तानी जेल में बंद भारतीय कैदी यशपाल अपनी सजा पूरी होने के बावजूद बृहस्पतिवार को रिहा नहीं हो सका। दोनों मुल्कों के बीच अटकी कागजी औपचारिकताओं के अभाव में पाकिस्तान सरकार ने फिलहाल उसे लाहौर की कोट लखपत जेल से नहीं छोड़ा है।

By Edited By: Published: Fri, 31 May 2013 10:38 AM (IST)Updated: Fri, 31 May 2013 10:44 AM (IST)
कागजी औपचारिकताओं में उलझी यशपाल की रिहाई

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पाकिस्तानी जेल में बंद भारतीय कैदी यशपाल अपनी सजा पूरी होने के बावजूद बृहस्पतिवार को रिहा नहीं हो सका। दोनों मुल्कों के बीच अटकी कागजी औपचारिकताओं के अभाव में पाकिस्तान सरकार ने फिलहाल उसे लाहौर की कोट लखपत जेल से नहीं छोड़ा है। अवैध तरीके से सीमा पार करने के आरोप में बीते तीन साल से बंद यशपाल की वतन वापसी के लिए इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग सभी जरूरी कदम उठा रहा है।

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विदेश मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक, इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग संबंधित पाक अधिकारियों के साथ संपर्क में है। उसकी रिहाई और वतन वापसी के लिए कुछ कागजी कार्रवाई के पूरा होने का इंतजार है। जरूरी औपचारिकताओं के पूरा होने पर ही यशपाल की रिहाई संभव है। महत्वपूर्ण है कि यशपाल को लखपत जेल की अगली यात्र के दौरान इंतजामों की समीक्षा करेगी।30 मई, 2010 को पाकिस्तान सीमा में पकड़ लिया गया था। कई दिनों तक पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियां जासूस होने के शक में उससे पूछताछ करती रहीं। बाद में पाकिस्तानी पंजाब की साहीवाल अदालत ने सीमा उल्लंघन के आरोप में उसे तीन साल कैद की सजा सुना दी थी। शुरुआत में यशपाल को साहीवाल जेल में ही रखा गया। बाद में अन्य भारतीय कैदियों के साथ उसे लाहौर की कोट लखपत जेल पहुंचा दिया गया है। उसकी सजा 30 मई, 2013 को पूरी हो गई।

कूटनीतिक सूत्रों के मुताबिक, यशपाल सिंह के पते को लेकर भ्रम की स्थिति है। इस संबंध में भारत सरकार से कुछ दस्तावेज भी मांगे गए हैं। पाकिस्तान की जेल में मौजूद 22 वर्षीय यशपाल उत्तर प्रदेश के बरेली दिले के के पढेरा गांव का निवासी है। महत्वपूर्ण है कि यशपाल भी उसे कोट लखपत जेल में बंद है, जहां बीते दिनों भारतीय कैदी चमेल सिंह और फिर सरबजीत सिंह की साथी कैदियों के हमले के बाद मौत हो गई थी।

गौरतलब है कि इस जेल में 36 भारतीय कैदी बंद हैं। बीते दिनों कैदियों के मामलों पर बनी दोनों मुल्कों की साझा न्यायिक समिति ने कराची, लाहौर व रावलपिंडी की जेलों का दौरा करने के बाद सिफारिश की थी कि जेल अधिकारी भविष्य में कैदियों पर हमले जैसी किसी घटना के दोहराव से बचने के लिए सभी भारतीय कैदियों की पर्याप्त सुरक्षा सुनिश्चित करें। दोनों मुल्कों के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों वाली यह समिति कोट लखपत जेल की अगली यात्रा के दौरान इंतजामों की समीक्षा करेगी।

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