India-Russia Relations: विदेश मंत्री एस जयशंकर का सुझाव, वार्ता और कूटनीति का रास्ता अपनाएं रूस-यूक्रेन
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रूस-यूक्रेन युद्ध पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने दोनों देशों को वार्ता और कूटनीति का रास्ता अपनाने की सलाह दी। साथ ही उन्होंने कहा कि रूस से ज्यादा तेल खरीद आगे भी जारी रखने की कोशिश होगी।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मंगलवार को कहा कि रूस और यूक्रेन को बगैर किसी देरी के वार्ता और कूटनीति का रास्ता अपनाना चाहिए। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के उस बयान को भी दोहराया कि यह समय युद्ध का नहीं है। रूस से ईंधन नहीं खरीदने का दबाव बना रहे अमेरिका और पश्चिमी देशों को फिर करारा जवाब देते हुए जयशंकर ने कहा कि अपने नागरिकों को किफायती दर पर ईंधन उपलब्ध कराना भारत सरकार का मौलिक कर्तव्य है।
भारत आगे भी जारी रखेगा तेल की खरीद
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संकेत दिया कि इस वर्ष भारत ने रूस से ज्यादा तेल की खरीद शुरू की है, जिसे आगे भी जारी रखने की कोशिश होगी। मास्को में रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के साथ द्विपक्षीय वार्ता के बाद संवाददाता सम्मेलन में जयशंकर ने कहा, हम संघर्ष से उत्पन्न ऊर्जा और खाद्य सुरक्षा पर बढ़ती चिंताओं को देख रहे हैं जो दो साल में कोविड से बने गंभीर तनावों पर भारी पड़ रही हैं। ग्लोबल साउथ विशेष रूप से इस दर्द को बहुत तीव्रता से महसूस कर रहा है।
रूस हमारा पुराना साझीदार है- जयशंकर
उन्होंने कहा, 'इसलिए भारत वार्ता और कूटनीति पर लौटने की जोरदार वकालत करता है। हम स्पष्ट रूप से शांति, अंतरराष्ट्रीय कानूनों के लिए सम्मान और यूएन चार्टर के लिए समर्थन के पक्ष में हैं। जब उनसे पूछा गया कि वह रूस के साथ अपने रिश्तों को लेकर बाहरी देशों के दबाव पर क्या कहेंगे? तो उनका जवाब था, 'मैं अपनी सरकार के एक बड़े दल के साथ यहां आया हूं, यह बहुत कुछ कहता है। रूस हमारा पुराना और हर समय साथ देने वाला साझीदार है। उसने कई दशकों से हमारी मदद की है।
दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल खरीददार देश है भारत
विदेश मंत्री ने आगे कहा कि जहां तक रूस से तेल खरीद की बात है तो अभी ऊर्जा बाजार में कई वजहों से काफी अस्थिरता है। आज भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल खरीददार देश है। यह हमारा मौलिक कर्तव्य है कि अपने ग्राहकों को अंतरराष्ट्रीय बाजार से किफायती दर पर ईंधन खरीदकर दें। अगर रूस से हमें इसमें मदद मिल रही है तो हम आगे भी इसे जारी रखेंगे।' जयशंकर के साथ रूस गए बड़े दल में पेट्रोलियम मंत्रालय, कृषि मंत्रालय, उद्योग व वाणिज्य मंत्रालय और रसायन मंत्रालय के भी बड़े अधिकारी शामिल हैं। उनके बीच बहुधुव्रीय दुनिया बनाने में सहयोग करने पर बात हुई है।
एशिया भी बहुध्रुवीय व्यवस्था की ओर बढ़ रहा
जयशंकर ने तो यह भी कहा है कि बहुधुव्रीय दुनिया के साथ ही एशिया भी बहुधुव्रीय व्यवस्था की तरफ बढ़ रहा है और इस क्षेत्र में रूस व भारत के बीच काफी सहयोग की गुंजाइश है। सनद रहे कि अभी रूस के चीन के साथ काफी अच्छे रिश्ते हैं और चीन बहुधुव्रीय एशिया की संभावनाओं को सिरे से खारिज करता है। इसके पीछे उसकी मंशा यही है कि एशिया में उसका ही वर्चस्व हो, जबकि भारत का कहना है कि एशिया में एक से ज्यादा शक्तिशाली देशों की भूमिका केंद्र में होगी। रूस की तरफ से बहुधुव्रीय एशिया से जुड़े भारत के बयान पर तुरंत जवाब नहीं आया है।
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