ईरान और बांग्लादेश में SEZ बनाएगी भारतीय कंपनियां
एक दशक पहले स्थानीय सरकार से मदद नहीं मिलने की वजह से टाटा समूह ने ढाका में अपनी भारी भरकम निवेश परियोजना को रद्द कर दिया था।
नई दिल्ली, जयप्रकाश रंजन। कुछ समय पहले तक यूरोपीय संघ, ब्रिटेन, जापान समेत अन्य विकसित देशों से आर्थिक मदद हासिल करने वाले भारत की तस्वीर बदल गई है। भारत की सरकारी व निजी कंपनियां दूसरे देशों में अब बढ़ चढ़ कर निवेश करने लगी हैैं। यही नहीं भारत ने कूटनीतिक रणनीति के तहत दूसरे देशों में विशेष आर्थिक क्षेत्रों (एसईजेड) के निर्माण पर जोर देना शुरु कर दिया है। अगर सब कुछ ठीक रहा तो बांग्लादेश में दो और ईरान में एक एसईजेड पर जल्द ही सरकार इन दोनों देशो के साथ समझौता कर लेगी।
सूत्रों के मुताबिक पिछले हफ्ते विदेश सचिव एस जयशंकर की ढाका यात्रा के दौरान एसईजेड को आगे बढ़ाने को लेकर काफी अच्छी बातचीत हुई है। पीएम शेख हसीना की जल्द होने वाली नई दिल्ली यात्रा के दौरान एसईजेड को लेकर अंतिम तौर पर समझौता होने की उम्मीद है। दोनो देशों के बीच पीएम नरेंद्र मोदी की पिछले वर्ष हुई ढाका यात्रा के दौरान दोनो देशों के बीच बांग्लादेश में एसईजेड लगाने को लेकर सहमति बनी थी। उसके बाद से काम काफी तेजी से आगे बढ़ा है।
दोनो देशो के प्रतिनिधियों ने ढाका के पास करानीगंज और चिïट्टगांव के पास मीरशराय में दो जगहों का चुनाव किया है जहां भारतीय कंपनियां एसईजेड लगा सकती हैैं। माना जा रहा है कि ढाका भारत को तीसरे एसईजेड के लिए भी स्थल देने को तैयार है। यह एसईजेड दोनो देशोंं के बीच प्रगाढ़ होते रिश्तों की एक बानगी तो है लेकिन साथ ही यह अर्थनीति आधारित कूटनीति की भी एक बानगी है। सनद रहे कि लगभग एक दशक पहले स्थानीय सरकार से मदद नहीं मिलने की वजह से टाटा समूह ने ढाका में अपनी भारी भरकम निवेश परियोजना को रद्द कर दिया था।
भारतीय कूटनीति इसी तरह से ईरान में एक एसईजेड लगाने के प्रस्ताव पर काफी जोर लगाये हुए है। पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्री ने हाल ही में कहा था कि भारतीय कंपनियां ईरान के एसईजेड में 20 अरब डॉलर तक निवेश करने को तैयार हैैं। ईरान के चाहबहार बंदरगाह के पास ही इस एसईजेड को लगाने की प्लानिंग है जहां यूरिया व अन्य खाद तैयार करने की फैक्ट्रियां लगाई जाएंगी।
यह एसईजेड चीन की तरफ से पाकिस्तान के ग्वादर में लगाये जा रहे एसईजेड से बहुत दूर नहीं होगा। उधर, चीन के बढ़ते असर से परेशान जापान ने ईरान में एसईजेड लगाने के भारत के प्रस्ताव को हरसंभव मदद देने की बात कही है।
वैसे यह भी सच है कि दूसरे देशों में एसईजेड लगाने के मामले में भारत चीन से काफी पीछे है। चीन की कंपनियों ने सरकारी मदद से दक्षिण अमेरिकी देशों से लेकर अफ्रीका तक में कई एसईजेड लगा चुका है। अगर ईरान और बांग्लादेश में सरकार की पहल रंग लाती है तो चीन के बाद भारत दूसरा देश होगा जो दूसरे देशों में एसईजेड बनाएगा।
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