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COVID-19 Crisis: आक्सीजन की गंभीर कमी के बीच सेना जर्मनी से 23 आक्सीजन संयंत्र एयरलिफ्ट करेगी, जानें क्‍या होगा इसका बड़ा लाभ

देश के कई राज्यों में आक्सीजन को लेकर मचे हाहाकार के बीच रक्षा मंत्रालय ने जर्मनी से 23 मोबाइल आक्सीजन जनरेशन प्लांट और कंटेनर के आयात का फैसला किया है। इन्हें वायु सेना के परिवहन विमानों से एयरलिफ्ट किया जाएगा। वे आसानी से इधर-उधर स्थापित किए जा सकते हैं।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Fri, 23 Apr 2021 06:44 PM (IST)Updated: Fri, 23 Apr 2021 07:01 PM (IST)
COVID-19 Crisis: आक्सीजन की गंभीर कमी के बीच सेना जर्मनी से 23 आक्सीजन संयंत्र एयरलिफ्ट करेगी, जानें क्‍या होगा इसका बड़ा लाभ
आक्सीजन की गंभीर कमी के बीच सेना जर्मनी से 23 आक्सीजन संयंत्र एयरलिफ्ट करेगी। फाइल फोटो।

नई दिल्ली, एजेंसियां।  देश के कई राज्यों में आक्सीजन को लेकर मचे हाहाकार के बीच रक्षा मंत्रालय ने जर्मनी से 23 मोबाइल आक्सीजन जनरेशन प्लांट और कंटेनर के आयात का फैसला किया है। इन्हें वायु सेना के परिवहन विमानों से एयरलिफ्ट किया जाएगा। सरकारी सूत्रों ने शुक्र वार को बताया कि उन आक्सीजन उत्पादन संयंत्र की क्षमता प्रति मिनट 40 और प्रति घंटे 2400 लीटर है। इसका सबसे बड़ा लाभ यह भी होगा कि इस संयत्रों को आसानी से एक स्‍थान से दूसरे स्‍थान पर पहुंचाया जा सकता है। इससे ऑक्‍सीजन की आपूर्ति तेजी से संभव हो सकेगी।

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आक्सीजन उत्पादन संयंत्र को एक सप्ताह के भीतर एयरलिफ्ट

बता दें कि रक्षा मंत्री ने मंगलवार को सेना के अस्पतालों में आक्सीजन की कमी को लेकर एक उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक की थी। रक्षा मंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया था कि अस्पतालों में जिन चीजों की कमी है उनकी आपूर्ति तुरंत सुनिश्चित की जाए। रक्षा मंत्रालय के प्रधान प्रवक्ता ए भारत भूषण बाबू ने बताया कि इन संयंत्र को आ‌र्म्ड फोर्सेस मेडिकल सर्विसेज (एएफएमएस) में कोरोना संक्रमण से पीड़‍ितों के इलाज के लिए स्थापित किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि आक्सीजन उत्पादन संयंत्र को एक सप्ताह के भीतर एयरलिफ्ट कर लिया जाएगा। 

आसानी से इधर-उधर स्थापित किए जा सकते आक्सीजन संयंत्र

भारतीय वायु सेना के एक अन्य अधिकारी ने बताया कि परिवहन विमान जर्मनी से आक्सीजन संयंत्र एयरलिफ्ट करने के लिए तैयार हैं और जैसे ही कागजी कार्रवाई पूरी हो जाएगी उन्हें भारत ले आया जाएगा। अधिकारियों ने बताया कि विदेशों से और भी आक्सीजन संयंत्र खरीदे जा सकते हैं। बाबू ने बताया कि इन उत्पादन संयंत्र का लाभ यह है कि वे आसानी से इधर-उधर स्थापित किए जा सकते हैं। बता दें कि इस समय पूरा देश कोरोना महामारी के भीषण संकट से जूझ रहा है और कई राज्य अस्पतालों में आक्सीजन की गंभीर कमी का सामना कर रहे हैं।

सेना का बेस हॉस्पिटल को अब 1000 बेड में तब्दील करने की तैयारी

इसके अलावा राजधानी दिल्ली स्थित बेस हॉस्पिटल को अब 1000 बेड में तब्दील करने की तैयारी हो चुकी है। जर्मनी से लाए जाने वाले इन 23 मोबाइल ऑक्सीजन जेनरेशन प्लांट्स को सेना के अस्पताल में लगाया जाएगा। सेना के कोविड हॉस्पिटल्स में ऑक्सीजन की सप्लाई की वहीं से की जाएगी। खास बात यह है क‍ि रक्षा मंत्रालय द्वारा यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है, जब ऑक्सीजन बेड ना मिलने के कारण हाल ही में एक पूर्व ब्रिगेडियर की मौत हो गई थी। दरअसल, दिल्ली कैंट स्थित बेस हॉस्पिटल में फिलहाल 258 ऑक्सीजन बेड हैं और सभी भरे हुए हैं। पूर्व ब्रिगेडियर को कोविड के लक्षण मिलने के बाद उनका बेटा, पहले डीआरडीओ के सरदार पटेल कोविड हॉस्पिटल लेकर गए। वहां बेड ना मिलने के बाद बेटा बेस हॉस्पिटल लेकर गया था। वहां भी ऑक्सीजन बेड ना मिलने के बाद बेटा उन्हें लेकर चंडीगढ़ जा रहा था, लेकिन रास्ते में ही उनकी मौत हो गई। इसके बाद ही बेस हॉस्पिटल में बेड की संख्‍या बढ़ाने का फैसला लिया गया।

देश में 75,000 मीट्रिक टन ऑक्‍सीजन का उत्‍पादन

देश में मौजूदा समय में 75,000 मीट्रिक टन ऑक्‍सीजन का उत्‍पादन हो रहा है। इसमें  6,822 मीट्रिक टन राज्‍यों को सप्‍लाई हो रही है। 6,785 मीट्रिक टन राज्‍यों को रूरत है। कोरोना मरीजों की बढ़ती संख्‍या और उनमें ऑक्‍सीजन लेबल की कमी के चलते इसकी मांग अचानक बढ़ गई है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि देश भर में रोज 3,300 मीट्रिक टन की खपत बढ़ी है। ऑक्‍सीजन के इस मांग और आपूर्ति के खेल से यह संकट उत्‍पन्‍न हुआ है।   


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