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सकारात्‍मक रही नौवें दौर की कोर कमांडर स्तर की बातचीत, सैनिकों की वापसी पर आगे बढ़ने की सहमति बनी : सेना

भारतीय सेना ने कहा है कि नौवें दौर की कोर कमांडर स्तर की बातचीत बेहद सकारात्मक व्यावहारिक और रचनात्मक रही। इसमें दोनों पक्ष अग्रिम मोर्चों से सैनिकों की शीघ्र वापसी सुनिश्चित करने के लिए आगे बढ़ने को सहमत हुए हैं।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Mon, 25 Jan 2021 07:33 PM (IST)Updated: Mon, 25 Jan 2021 09:01 PM (IST)
भारतीय सेना ने कहा है कि नौवें दौर की कोर कमांडर स्तर की बातचीत बेहद सकारात्मक रही।

नई दिल्ली, जेएनएन। भारत और चीन की सेनाओं के बीच सिक्किम स्थित नाकुला सेक्टर में हुई झड़प के बीच दोनों देशों के कार्प कमांडरों की रविवार को हुई वार्ता सकारात्मक रहने की सूचना है। 23 जनवरी, 2021 को सुबह 10 बजे से आधी रात तक चली बैठक के बाद सोमवार शाम को दोनों देशों ने संयुक्त बयान जारी किया। इस दौर की वार्ता को दोनो देशों ने सकारात्मक, व्यावहारिक और रचनात्मक करार दिया है और कहा है कि इससे आपसी समझ-बूझ बढ़ी है। दोनों देशों की सेनाओं के बीच यह नौंवें दौर की बातचीत थी और पहली बार इतना सकारात्मक रुख दिखाया गया है।

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गहराई से हुआ विमर्श

संयुक्त बयान के मुताबिक 23 जनवरी को चुशूल-मोल्डो बार्डर पर दोनों देशों के कार्प कमांडरों के बीच नौंवें दौर की बातचीत हुई है। दोनों पक्षों के बीच भारत-चीन पश्चिमी सीमा पर स्थित वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से सैनिकों की वापसी को लेकर बेहद स्पष्टता से और गहराई से विमर्श हुआ है। दोनों पक्ष इस पर भी सहमत हैं कि जिन मुद्दों पर सहमति बनी है उसे वे अपने नेताओं को सूचना देंगे और बातचीत का इस बेहतर सिलसिले को आगे बढ़ाएंगे। 

10वें दौर की बातचीत जल्‍द 

साथ ही कार्प कमांडरों की 10वें दौर की बातचीत भी जल्द ही की जाएगी ताकि सैन्य वापसी का काम तेज हो सके। दोनों पक्षों ने इस बात पर रजामंदी दिखाई है कि सीमा पर तैनात सैनिकों की तरफ से संयम बनाये रखने की कोशिश जारी रखेंगे ताकि एलएसी पर स्थिति को स्थिर व नियंत्रण में रखा जा सके।

जारी किया संयुक्‍त बयान 

मई, 2020 में एलएसी में चीनी सैनिकों की घुसपैठ के बाद कार्प कमांडर स्तर की नौ दौर की और विदेश मंत्रालय स्तर की पांच दौर की बातचीत हुई है। दोनों देशों ने इस बार संयुक्त बयान जारी किया है और इसमें जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल किया गया है वह बताता है कि दोनों देश सैनिकों की वापसी को लेकर अब साझा सोच के साथ आगे बढ़ रहे हैं। इसमें यह भी संकेत दिया गया है कि कार्प कमांडरों के बीच बनी सहमति को लेकर अब और उच्च स्तर पर विमर्श होगा। 

मौसम बदलने का करना होगा इंतजार 

जानकारों का कहना है कि हर स्तर पर सहमति बन जाने के बावजूद सैनिकों की वापसी का सिलसिला शुरू करने के लिए मौसम में बदलाव का इंतजार करना होगा। भारी बर्फबारी की वजह से यह पूरा इलाका देश के दूसरे हिस्से से एक तरह से कट जाता है। बहुत कुछ अब अगले दौर की बातचीत पर निर्भर करेगा जो संभवत: फरवरी के पहले पखवाड़े में होगा। मौजूदा वक्‍त में जहां भारत व चीन के सैनिक तैनात हैं वहां तापमान शून्य से भी 60 डिग्री नीचे है। 

मैराथन बैठक में व्यापक चर्चा 

समाचार एजेंसी एएनआइ के मुताबिक बैठक रविवार को सुबह 11 बजे शुरू हुई और देर रात ढाई बजे खत्म हुई। वार्ता में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व लेह स्थित 14 वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन ने किया। इससे पहले, छह नवंबर को हुई आठवें दौर की वार्ता में दोनों पक्षों ने टकराव वाले खास स्थानों से सैनिकों को पीछे हटाने पर व्यापक चर्चा की थी।

दोनों देशों को एक साथ उठाना होगा कदम 

अब तक हुई बातचीत में भारत बार बार कहता रहा है कि सीमा पर तनाव घटाने की जिम्मेदारी पूरी तरह से चीन पर है। चीन को टकराव वाले सभी स्थानों से अपने सैनिकों को हटाना होगा। चीन ने 12 अक्टूबर को हुई सातवें दौर की वार्ता में दबाव बनाया था कि भारत पेंगोंग झील के दक्षिणी किनारे से लगती चोटियों से अपने सैनिकों को वापस बुलाए। वहीं भारत ने दो-टूक कहा था कि सैनिकों की वापसी दोनों देशों को एक साथ करनी होगी।

भारी संख्‍या में सैनिक तैनात 

मौजूदा वक्‍त में पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर तनाव बरकरार है। एलएसी पर भारी ठंड के बीच अहम स्थानों पर 50 हजार से अधिक भारतीय जवान तैनात हैं। चीन ने भी एलएसी पर भारी संख्या में अपने सैनिकों को तैनात कर रखा है। 

नहीं निकल पाया है कोई ठोस नतीजा

सीमा पर तनाव घटाने के लिए पिछले महीने दोनों देशों के बीच कूटनीति स्तर पर भी बातचीत हुई थी लेकिन अब तक हुई किसी भी वार्ता का जमीन पर कोई ठोस नतीजा नहीं निकल पाया है। पिछले साल 10 सितंबर को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में विदेश मंत्री एस. जयशंकर और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच गतिरोध को दूर करने के लिए पांच बिंदुओं पर काम करने की सहमति बनी थी। हालांकि चीन के अड़ियल रुख के चलते इन बिंदुओं पर भी आगे बात नहीं बढ़ पाई थी।


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