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सैन्य कूटनीति के सबसे व्यस्त दौर में भारतीय सेना, जापान-रूस समेत पांच देशों के साथ होगा सैन्य अभ्यास

भारतीय सेना नवंबर, दिसंबर के महीनों में जापान, अमेरिका, रूस, सिंगापुर और चीन के साथ सैन्य अभ्यास करेगी।

By Nancy BajpaiEdited By: Published: Sun, 21 Oct 2018 08:53 AM (IST)Updated: Sun, 21 Oct 2018 08:53 AM (IST)
सैन्य कूटनीति के सबसे व्यस्त दौर में भारतीय सेना, जापान-रूस समेत पांच देशों के साथ होगा सैन्य अभ्यास
सैन्य कूटनीति के सबसे व्यस्त दौर में भारतीय सेना, जापान-रूस समेत पांच देशों के साथ होगा सैन्य अभ्यास

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। अगले एक महीने से ज्यादा समय तक भारतीय सेना अपनी सैन्य कूटनीति के सबसे व्यस्त दौर में होगी। भारतीय सेना नवंबर, दिसंबर के महीनों में जापान, अमेरिका, रूस, सिंगापुर और चीन के साथ सैन्य अभ्यास करेगी। भारतीय सेना एक नवंबर से 14 नवंबर तक जापान की थल सेना के साथ मिजोरम के वारंगटे में 'धर्म गार्जियन' नाम से साझा सैनिक अभ्यास करेगी। दोनों देशों की नौसेना और कोस्ट गार्डों के बीच होने वाले नियमित साझा अभ्यास के बाद यह पहली बार होगा जब दोनों देशों के थल सैनिक एक साथ अभ्यास करते नजर आएंगे।

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  • नवंबर-दिसंबर में अमेरिका, रूस, जापान, सिंगापुर और चीन से सैन्य अभ्यास
  • एक से 14 नवंबर तक जापानी थल सेना से मिजोरम में 'धर्म गार्जियन' नाम से साझा सैनिक अभ्यास
  • 14 से राजस्थान में अमेरिकी स्पेशल फोर्सेज से भारतीय सेना की पैरा स्पेशल फोर्सेज का सैन्य अभ्यास
  • बबीना में भारतीय बख्तरबंद सैनिक रूसी बख्तरबंद सैनिकों से लड़ाई के गुर सीखेंगे

भारत जहां एक तरफ जापान के साथ अभ्यास में व्यस्त होगा, वहीं दूसरी ओर 14 नवंबर से राजस्थान में अमेरिकी स्पेशल फोर्सेज के साथ भारतीय सेना की पैरा स्पेशल फोर्सेज का साझा सैन्य अभ्यास 'वज्र-प्रहार' शुरू हो जाएगा। ठीक उसी समय वहां से कुछ सौ किलोमीटर दूर उत्तर प्रदेश के बबीना में भारतीय बख्तरबंद सैनिक रूस के बख्तरबंद सैनिकों के साथ लड़ाई के गुर सीख रहे होंगे। और तभी 16 नवंबर से 29 नवंबर तक भारत और रूस की मैकेनाइज्ड इफेंट्री के बीच साझा सैनिक अभ्यास 'इंद्र-2018' होगा।

बता दें कि 16 नवंबर से ही सिंगापुर के साथ तोपखाने का साझा सैनिक अभ्यास 'अग्नि वॉरियर' भी शुरू होगा जो 30 नवंबर तक चलेगा। इस साल के अंत तक भारतीय सेना चीन के साथ भी पिछले साल रद हुआ सालाना सैनिक अभ्यास हैंड इन हैंड में चीन जाकर हिस्सा लेंगी।

ऐसे समय में भारतीय सैन्य कूटनीति अपने सबसे चुनौतीपूर्ण समय से गुजर रही है। जहां एक तरफ भारत के अमेरिका के साथ सैन्य संबंध लगातार मजबूत हो रहे हैं तो वहीं भारत का सबसे पुराना दोस्त रूस पिछले कुछ सालों से भारत के अमेरिका के साथ बढ़ते संबंधों से नाखुश है। हालांकि हाल ही में भारत ने मिसाइल डिफेंस सिस्टम एस-400 के सौदे पर अमेरिका की नाराजगी के बावजूद मुहर लगाकर इस खाई को पाटने की कोशिश की है।

दूसरी ओर, भारत चीन के साथ अपने रिश्तों का सामरिक संतुलन बैठाने के लिए जापान के साथ सैन्य संबंध बढ़ा रहा है। यही वजह है कि जापान के साथ सैन्य अभ्यास को भारत महत्व दे रहा है। दूसरी तरफ, चीन के साथ भरोसा कायम करने के लिए भी भारत ने सैनिक कमांडरों के स्तर पर कई मैकेनिज्म बनाए हैं। सालाना होने वाला साझा सैनिक अभ्यास उनमें सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है।


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