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रूस से 70 हजार एके-103 राइफलें खरीदेगा भारत, इंसास राइफलों की जगह वायु सैनिकों को मिलेंगी एडवांस राइफलें

सरकारी सूत्रों ने बताया कि रूस से 70 हजार असाल्ट राइफलें खरीदने के लिए आपातकालीन प्रविधानों के तहत पिछले सप्ताह लगभग 300 करोड़ रुपये के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए थे। हथियार सबसे पहले जम्मू-कश्मीर श्रीनगर जैसे संवेदनशील एयर बेस के साथ-साथ फील्ड एरिया में सैनिकों को मुहैया कराए जाएंगे।

By Neel RajputEdited By: Published: Sat, 28 Aug 2021 03:59 PM (IST)Updated: Sat, 28 Aug 2021 03:59 PM (IST)
पिछले सप्ताह लगभग 300 करोड़ रुपये के अनुबंध पर किए गए थे हस्ताक्षर (फोटो : एएनआइ)

नई दिल्ली, एएनआइ। अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिकों द्वारा छोड़े गए हथियार भारत में सक्रिय आतंकियों के हाथ लगने की आशंका के बीच भारत रूस से 70 हजार एके-103 राइफलें खरीदने जा रहा है। भारतीय वायु सेना ने आपातकालीन खरीदारी के तहत रूस से एके-103 राइफल खरीदने का करार किया है। ये राइफलें वायु सेना में मौजूद इंसास राइफलों की जगह लेंगी। वायु सेना को फिलहाल 1.5 लाख नई असाल्ट राइफलों की जरूरत है। नई एके-103 राइफलें अगले कुछ महीनों में वायु सेना को मिल जाने की उम्मीद है। इससे आतंकी हमलों से निपटने की उसकी क्षमता बेहतर होगी। सरकारी सूत्रों ने बताया कि रूस से 70 हजार असाल्ट राइफलें खरीदने के लिए आपातकालीन प्रविधानों के तहत पिछले सप्ताह लगभग 300 करोड़ रुपये के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए थे। हथियार सबसे पहले जम्मू-कश्मीर, श्रीनगर जैसे संवेदनशील एयर बेस के साथ-साथ फील्ड एरिया में सैनिकों को मुहैया कराए जाएंगे। बाकी बची राइफलों की पूर्ति भारत और रूस के बीच होने वाली ज्यादा उन्नत एके-203 राइफल की डील के जरिये की जाएगी। एके-203 असाल्ट राइफलों का अनुबंध सेना के तहत किया जा रहा है।

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सेना को 6.5 लाख राइफलों की जरूरत

सेना को अपने सैनिकों की मारक क्षमता बढ़ाने के लिए करीब 6.5 लाख राइफलों की जरूरत है। वायु सेना की आवश्यकता के एक छोटे से हिस्से को लगभग चार हजार सिग सार असाल्ट राइफलों की खरीद से पूरा किया गया। इन्हें सेना द्वारा एक बड़े अनुबंध के हिस्से के रूप में खरीदा गया है।

सेना ने तेज की आधुनिकीकरण की गति

पिछले कुछ वर्षों खासकर पूर्वी लद्दाख में चीन के आक्रामक व्यवहार के बाद भारतीय सुरक्षा बलों ने आधारभूत हथियार प्रणाली को आधुनिक बनाने की गति तेज कर दी है। सेना को पहले ही 1.5 लाख अमेरिकी सिग सार राइफल और 16 हजार नेगेव लाइट मशीन गन उपलब्ध कराई जा चुकी हैं।

मरीन कमांडो पहले से कर रहे इस्तेमाल

यहां यह भी उल्लेखनीय है कि नौसेना के मरीन कमांडो पहले से ही एके-103 राइफलों का इस्तेमाल कर रहे हैं। कश्मीर घाटी की वुलर झील में तैनाती के दौरान वे आतंकियों के खिलाफ इस आधुनिक हथियार का इस्तेमाल करते हैं।


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