भारत ने जलवायु न्याय के क्षेत्र में अपनी उपलब्धियों को जाहिर कर दुनिया को दिखाई राह, एक्सपर्ट व्यू
भारत ने दीर्घकालिक कम उत्सर्जन विकास की रणनीति पेश कर एक ओर जहां आर्थिक महाशक्तियों को उनकी जिम्मेदारियों का भान कराया है वहीं विकासशील देशों को भी संदेश दिया है कि पर्यावरण को बचाने के लिए सिर्फ अमीर देशों पर दोष मढ़ने के फैशन से बाहर आना होगा।
डा. हरवीन कौर। मिस्र में सीओपी-27 के दौरान अमीर देश धरती से अधिक अपने फायदे के लिए अंतिम समझौते को तोड़ने-मरोड़ने में व्यस्त थे। इस बीच भारत ने जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में अपनी दीर्घकालिक कम उत्सर्जन विकास रणनीति पेश कर साहसिक कदम उठाया है। अपनी विकास की तीव्र आकांक्षाओं के बीच भारत ने जलवायु न्याय के क्षेत्र में अपनी उपलब्धियों और भावी प्रतिबद्धताओं को जाहिर कर दुनिया को एक राह दिखाई है।
दीर्घकालिक कम उत्सर्जन विकास रणनीति के जरिये भारत ने विश्व समुदाय को बताया है कि कैसे हमने पिछले छह साल में नवकरणीय ऊर्जा संसाधनों का अनुपात बढ़ाया है। भारत में कुल स्थापित अक्षय ऊर्जा क्षमता बड़ी जलविद्युत परियोजनाओं को छोड़कर 100 गीगावाट के महत्वपूर्ण पड़ाव को पार कर चुकी है। भारत आज स्थापित अक्षय ऊर्जा क्षमता के मामले में विश्व में चौथे स्थान पर, सौर ऊर्जा के मामले में पांचवें और पवन ऊर्जा में चौथे स्थान पर है। इसके लिए भारत ने सौर ऊर्जा गठबंधन समेत हाइड्रोजन मिशन शुरू किया है। ग्लासगो में दिए गए पंचामृत मंत्र की राह पर चलते हुए भारत ने 2025 तक इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग को अधिकतम करने और पेट्रोल में 20 प्रतिशत तक एथनाल सम्मिश्रण को मंजूरी दी है।
सीओपी-27 के दौरान भारत ने अंतिम समझौते में जीवाश्म ईंधन के उपयोग को चरणबद्ध तरीके से खत्म करने के बजाय कम करने के प्रविधान को लागू कराया है। यह भारत ही नहीं, दुनिया के हर उस देश के लिए वरदान बनेगा, जिनके लिए यह विकास की सदी है। भारत ने सीओपी-27 में बताया है कि ग्रीन बिल्डिंग जैसे नवाचार हमारे शहरी नियोजन को मजबूत कर रहे हैं। देश 2030 तक वन वृक्षों के आवरण द्वारा 2.5 से तीन अरब टन अतिरिक्त कार्बन अवशोषण की अपनी प्रतिबद्धता को पूरा कर लेगा। इसी कड़ी में भारत ने लाइफ (लाइफ फार एनवायरनमेंट) मिशन शुरू किया है।
भारत ने साबित कर दिया है कि धरती को बचाने का कोई भी प्रयास भारत द्वारा प्रदान की गई पर्यावरण अनुकूल जीवनशैली से ही साकार होगा। बहरहाल भारत ने दीर्घकालिक कम उत्सर्जन विकास की रणनीति पेश कर एक ओर जहां आर्थिक महाशक्तियों को उनकी जिम्मेदारियों का भान कराया है, वहीं विकासशील देशों को भी संदेश दिया है कि पर्यावरण को बचाने के लिए सिर्फ अमीर देशों पर दोष मढ़ने के फैशन से बाहर आना होगा।
[पर्यावरण विशेषज्ञ]