भारत निवेश बढ़ाने को संस्थागत मध्यस्थता प्रणाली बनाए : सीजेआई
चीफ जस्टिस मिश्रा ने कहा कि हमारी संप्रभुता की अवधारणा को गंवाए बिना देश को समायोजन सीखना होगा।
नई दिल्ली, प्रेट्र। देश के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआइ) दीपक मिश्रा ने कहा कि अगर भारत को निवेश बढ़ाना है तो उसे अच्छी संस्थागत मध्यस्थता प्रणाली विकसित करनी होगी। यह एक ऐसी प्रणाली होगी जिसमें अदालत का दखल न्यूनतम होगा और मध्यस्थता से मिलने वाला फायदा अधिकतम होगा।
वैश्वीकरण के युग में मध्यस्थता पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में शनिवार को चीफ जस्टिस मिश्रा ने कहा कि हमारी संप्रभुता की अवधारणा को गंवाए बिना देश को समायोजन सीखना होगा। देश के हित को ध्यान में रखते हुए संस्थागत मध्यस्थता की ओर बढ़ना होगा।
उन्होंने कहा कि एक जटिल अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए विवादों को ढांचागत समायोजन से सुलझाना होगा। ऐसा करने की जरूरत और मकसद दोनों ही हैं। कानूनी मुद्दों के अलावा, यह निवेश हासिल करने का भी मुद्दा है। इसलिए भारत को वैश्विक निवेशकों में अपना विश्वास बढ़ाना होगा, चूंकि उनके यहां बहुत ही अच्छी संस्थागत मध्यस्थता प्रणाली है।
उन्होंने कहा कि कांट्रैक्ट के क्लॉज और व्यापार के उतार-चढ़ाव के चलते ना सिर्फ मानव स्वभाव के चलते बल्कि वाणिज्यिक नजरिये से भी लोग कभी-कभी मध्यस्थता के लिए आकर्षित होते हैं। अंतरराष्ट्रीय विवादों के संबंध में उन्होंने कहा कि इन्हें अंतरराष्ट्रीय विवाद प्रस्तावों के तहत सुलझाना चाहिए।
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