ब्रिक्स देशों के विदेश मंत्रियों की वर्चुअल बैठक कल, जयशंकर और वांग यी का होगा आमना-सामना
कई विशेषज्ञ मानते हैं कि क्वाड का अहम सदस्य होने की वजह से भारत के लिए ब्रिक्स और एससीओ (शंघाई सहयोग संगठन) में ज्यादा सक्रिय भागीदारी निभाना मुश्किल होगा। इन दोनों संगठनों को चीन की तरफ से पोषित किया गया है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारत अमेरिका की अगुआई वाले क्वाड का महत्वपूर्ण सदस्य बन चुका है और क्वाड को वक्त की जरूरत बताते हुए उसे और मजबूत बनाने की वकालत कर रहा है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि अपनी अगुआई में भारत इस साल ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन व दक्षिण अफ्रीका) में क्या रुख अपनाता है। मंगलवार को विदेश मंत्री एस. जयशंकर की अध्यक्षता में ब्रिक्स देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक आयोजित होगी। वर्चुअल मोड में होने वाली इस बैठक में जयशंकर और चीन के विदेश मंत्री वांग यी आमने-सामने होंगे। इन दोनों के अलावा रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव, ब्राजील के विदेश मंत्री कार्लोस फ्रांको फ्रांका, दक्षिण अफ्रीका के विदेश मंत्री ग्रेस नालेदी पैंडोर भी भाग लेंगे।
ब्रिक्स विदेश मंत्रियों की यह बैठक तब हो रही है जब भारत और चीन के आपसी सैन्य विवाद को लेकर भी नए संशय बन रहे हैं। सूचना है कि चीन की तरफ से फिर से वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के आसपास गतिविधियां तेज हो रही हैं। साथ ही कोरोना वायरस की उत्पत्ति को लेकर चीन की भूमिका पर भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नए सवाल पैदा हो रहे हैं। भारत भी यह साफ कर चुका है कि वह कोरोना वायरस की उत्पत्ति पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की तरफ से नए सिरे से जांच करने का पक्षधर है।
मौजूदा वैश्विक बहुराष्ट्रीय मंचों में सुधार का मुद्दा उठाएगा भारत
सोमवार को विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी विज्ञप्ति में यह संकेत दिया गया है कि आगामी बैठक में भारत की तरफ से मौजूदा वैश्विक बहुराष्ट्रीय मंचों में सुधार का मुद्दा उठाएगा। इसमें कहा गया है कि विदेश मंत्रियों की बैठक में सभी मंत्री गण मौजूदा समय की चुनौतियों और वास्तविकताओं के हिसाब से बहुदेशीय व्यवस्था में बदलाव करने और क्षमता को बढ़ाने को लेकर विमर्श करेंगे। इसके अलावा सतत विकास के मुद्दे, आतंकवाद, ब्रिक्स देशों के बीच सहयोग को मजबूत करने को लेकर मंत्रियों में विमर्श होगा।
भारत इस साल है ब्रिक्स का अध्यक्ष
कई विशेषज्ञ मानते हैं कि क्वाड का अहम सदस्य होने की वजह से भारत के लिए ब्रिक्स और एससीओ (शंघाई सहयोग संगठन) में ज्यादा सक्रिय भागीदारी निभाना मुश्किल होगा। इन दोनों संगठनों को चीन की तरफ से पोषित किया गया है। पिछले दो वर्षों से ब्रिक्स के तहत सदस्य देशों के बीच आपसी तालमेल को बढ़ाने के लिए कोई खास कदम नहीं उठाये गये हैं। पिछले महीने तक ब्रिक्स के सदस्य देशों के बीच विदेश मंत्रियों की बैठक को भारत में भौतिक तौर पर आयोजित करने की बात हो रही थी लेकिन भारत में कोरोना की स्थिति को देखते हुए इसे वर्चुअली आयोजित किया जा रहा है। भारत इस साल ब्रिक्स का अध्यक्ष है और इस साल की सारी बैठकें भारत में ही आयोजित होनी हैं। अभी यह देखना होगा कि ब्रिक्स शिखर बैठक आने वाले दिनों में भौतिक तौर पर होती है या पिछले साल की तरह ही उसका आयोजन वर्चुअल तौर पर होगा।