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बाघों के संरक्षण में भारत अब पूरी दुनिया को दिखाएगा राह, टाइगर रेंज में शामिल देशों से होगी शुरुआत

बाघों के लगभग सिमट चुके कुनबे को पचास साल पहले बचाने की देश ने जो मुहिम शुरु की है उससे न सिर्फ बाघों की आबादी को एक नई ऊंचाई मिली है बल्कि देश आज दुनिया भर में बाघों के संरक्षण की मुहिम का नेतृत्व करने को तैयार है। फाइल फोटो।

By Jagran NewsEdited By: Sonu GuptaPublished: Thu, 30 Mar 2023 08:25 PM (IST)Updated: Thu, 30 Mar 2023 08:25 PM (IST)
बाघों के संरक्षण में भारत अब पूरी दुनिया को दिखाएगा राह, टाइगर रेंज में शामिल देशों से होगी शुरुआत
बाघों के संरक्षण में भारत अब पूरी दुनिया को दिखाएगा राह।

नई दिल्ली, अरविंद पांडेय। बाघों के लगभग सिमट चुके कुनबे को पचास साल पहले बचाने की देश ने जो मुहिम शुरु की है, उससे न सिर्फ बाघों की आबादी को एक नई ऊंचाई मिली है बल्कि देश आज दुनिया भर में बाघों के संरक्षण की मुहिम का नेतृत्व करने को तैयार है, जिसका जल्द ही ऐलान भी होगा। अब ध्यान दुनिया के ऐसे देशों को बाघों के संरक्षण को लेकर मदद प्रदान करने पर है, जहां इनकी आबादी तेजी से गिर रही है, या फिर खत्म होने के कगार पर है।

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भारत में बाघों की आबादी साढ़े तीन हजार के पार

बाघ मौजूदा समय में भारत सहित दुनिया के सिर्फ 13 देशों में ही पाए जाते है। इनमें इनकी अकेले 70 फीसद आबादी भारत में है। दिलचस्प बात यह है कि भारत में भी 1973 में बाघों की आबादी सिर्फ 268 थी, लेकिन इन पचास सालों में देश ने इनके संरक्षण को लेकर जो दिलचस्पी दिखाई है, उसके चलते देश में बाघों की आबादी साढ़े तीन हजार को पार कर चुकी होगी। हालांकि, अभी बाघों की 2022 की गणना रिपोर्ट नहीं आयी है, लेकिन 2018 की गणना में देश में इनकी संख्या 2967 थी। फिलहाल बाघों की आबादी के बढ़ने का रफ्तार सालाना छह प्रतिशत है। ऐसे में अनुमान है कि यह साढ़े तीन हजार को पार कर चुकी होगी।

एक अप्रैल 1973 में शुरू किया गया था प्रोजेक्ट

बाघों के संरक्षण से जुड़ी मुहिम को वैश्विक स्तर चलाने की यह तैयारी ऐसे समय में है, जब देश में बाघों के संरक्षण से जुड़े प्रोजेक्ट को पचास साल पूरे होने वाले है। एक अप्रैल 1973 में यह प्रोजेक्ट शुरू किया गया था। इस दौरान नौ से ग्यारह अप्रैल के बीच मैसूर में एक बड़े आयोजन की तैयारी भी है। माना जा रहा है कि इस मौके पर 2022 की बाघों की गणना रिपोर्ट सहित इनके संरक्षण की वैश्विक मुहिम शुरू करने का ऐलान भी होगा। फिलहाल इसे लेकर दुनिया के सभी टाइगर रेंज देशों के वन एवं पर्यावरण मंत्रियों को न्योता भी दिया गया है।

कंबोडिया ने भारत के साथ बाघ संरक्षण पर किया है करार

भारत ने यह पहल टाइगर रेंज में शामिल देशों की रूचि को देखते भी लिया है। हाल ही में कंबोडिया ने भारत के साथ बाघ संरक्षण को लेकर एक करार भी किया है। जिसमें जरूरत पड़ने पर भारत उन्हें बाघ भी देगा।

इन देशों में पाए जाते हैं बाघ

भारत के अतिरिक्त दुनिया में कुल 12 ऐसे देश है, जहां बाघ पाए जाते है। इनमें बांग्लादेश, भूटान, कंबोडिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमार, नेपाल, रूस, थाईलैंड, वियतनाम, चीन और इंडोनेशिया शामिल है। हालांकि इन देशों में बाघों की संख्या काफी कम है, जहां है भी वह तेजी से घट रहे है या फिर खत्म होने के कगार पर है।

बाघों की संरक्षण की कुछ इस तरह 50 साल की यात्रा

टाइगर प्रोजेक्ट की शुरूआत एक अप्रैल 1973 में हुआ था। उस समय देश में कुल नौ टाइगर रिजर्व थे। जिसका क्षेत्र करीब 18 हजार वर्ग किमी था। मौजूदा समय में यानी 2023 में देश में कुल 53 टाइगर रिजर्व है। जिसका क्षेत्रफल 75 हजार वर्ग किमी से ज्यादा हो गया है। बाघों की संख्या 2018 की गणना के तहत करीब तीन हजार है। 2022 की आने वाले गणना रिपोर्ट में इसके साढ़े तीन हजार से ज्यादा होने का अनुमान है।


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