अमेरिका, ब्रिटेन की तरह अब भारत का भी होगा अपना अलग 'साइज'
निफ्ट की महानिदेशक शारदा मुरलीधरन ने कहा कि नेशनल साइजिंग सर्वे पर लगभग 30 करोड़ रुपये खर्च होंगे।
हरिकिशन शर्मा, नई दिल्ली। जब लोग देश-विदेश घूमने जाते हैं, तो वहां से खुद या दोस्त-रिश्तेदारों के लिए सिलेसिलाए परिधान खरीदना चाहते हैं। लेकिन साइज फिट न होने की वजह से मन मसोस कर रह जाते हैं। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी (निफ्ट) 'इंडिया साइज' सर्वे करने जा रहा है, जिसके बाद अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस जैसे देशों की तरह भारत का भी अपना स्टैंडर्ड साइज होगा।
ऐसा होने पर आप न सिर्फ दिल्ली और मुंबई, बल्कि लंदन और न्यूयार्क जैसे शहरों में भी घरेलू और अंतरराष्ट्रीय ब्रांड के परिधान 'इंडिया साइज' के मुताबिक, खरीद सकेंगे। टेक्सटाइल मंत्रालय के अधीन काम करने वाले फैशन जगत के प्रतिष्ठित संस्थान निफ्ट ने यह अनूठा सर्वे करने का बीड़ा उठाया है।
इस सर्वे के तहत देशभर में छह शहरों- कोलकाता, नई दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, हैदराबाद, बेंगलुरु और शिलांग में 15 से 65 वर्ष की उम्र के 25,000 महिला और पुरुषों के शरीर का साइज लिया जाएगा। लोगों का साइज लेने में कोई त्रुटि न हो इसलिए विशेष प्रकार के थ्रीडी फुल बॉडी स्कैनरों का इस्तेमाल किया जाएगा। ये थ्रीडी स्कैनर मात्र 10 सेकेंड में पूरे शरीर को स्कैन कर व्यक्ति का साइज ले सकेंगे।
निफ्ट के बोर्ड ऑफ गवर्नर के चेयरमैन राजेश शाह ने कहा कि भारत का अपना साइज बनने पर विदेशी ब्रांड भी उसका इस्तेमाल करेंगे। फिलहाल जैसे शोरूम में विदेश के साइज के कपड़े उपलब्ध होते हैं, फिर उन पर भारतीय साइज भी लिखा होगा। विदेशों में रहने वाले भारतीय भी वहां स्टैंडर्ड भारतीय साइज के सिले सिलाए वस्त्र खरीद सकेंगे। शाह ने कहा कि निफ्ट के इस कदम से अपेरल इंडस्ट्री को काफी बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि इस सर्वे का विचार तो 2006 में आया था, लेकिन टेक्सटाइल मंत्रालय का जिम्मा स्मृति ईरानी को मिलने के बाद से इस पर काम आगे बढ़ पाया है।
निफ्ट की महानिदेशक शारदा मुरलीधरन ने कहा कि नेशनल साइजिंग सर्वे पर लगभग 30 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इसमें से 30 प्रतिशत राशि का योगदान निफ्ट करेगा, जबकि शेष राशि मंत्रालय देगा। यह सर्वे 2021 तक पूरा होगा। दुनिया के दर्जनभर से अधिक देशों में साइजिंग सर्वे हो चुके हैं। इनमें अधिकांशत: विकसित देश हैं। यही वजह है कि अलग-अलग ब्रांड के शोरूम में उनके देश के स्टैंडर्ड साइज के हिसाब से सिलेसिलाए परिधान मिल जाते हैं। हालांकि भारत में अब तक ऐसा कोई स्टैंडर्ड साइज नहीं बन पाया है। यही वजह है कि कंपनियां अपने-अपने हिसाब से सिलेसिलाए वस्त्र बनाती हैं, जिसके चलते लगभग 20 प्रतिशत परिधान शोरूम से लौट जाते हैं। इससे संसाधनों की बरबादी भी होती है। ऐसे में इंडिया का स्टैंडर्ड साइज होने से न सिर्फ आम लोगों बल्कि टैक्सटाइल क्षेत्र को भी फायदा होगा।
इंडिया साइजिंग सर्वे परियोजना का काम देख रहीं निफ्ट दिल्ली की प्रोफेसर नूपुर आनन्द ने कहा कि यह एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है, जिसके तहत थ्रीडी तकनीक से शरीर की मैपिंग की जाएगी, ताकि लंबाई, वजन, कलाई का साइज, कमर और सीने के साइज का साइज सटीक अनुमान लगाया जा सके। एक बार यह डाटा मिलने पर उस साइज के हिसाब से पुरुष या महिलाओं के लिए अलग-अलग वस्त्र तैयार किए जा सकेंगे।
इन शहरों में होगा साइजिंग सर्वे
कोलकाता, मुंबई, नई दिल्ली, हैदराबाद, बेंगलुरु, शिलांग।
इन देशों में हो चुका है साइजिंग सर्वे
अमेरिका, कनाडा, मेक्सिको, ब्रिटेन, फ्रांस, स्पेन, जर्मनी, स्वीडन, इटली, नीदरलैंड, थाइलैंड, कोरिया, चीन, आट्रेलिया।