भारत ने के-4 मिसाइल का किया सफल परीक्षण, जानिए क्या है खासियत?
पूर्व राष्ट्रपति और वैज्ञानिक डॉ कलाम के नाम पर रखी गई के-4 मिसालइल भारत में विकसित की गई अत्याधुनिक मिसाइल है।
नई दिल्ली, (आइएएनएस)। भारत ने अरिहंत पनडुब्बी से परमाणु सक्षम बैलिस्टिक मिसाइल के-4 का सफल परीक्षण किया है। अरिहंत और के-4 दोनों को देश में ही विकसित किया गया है। मिसाइल के-4 का परीक्षण 31 मार्च को बंगाल की खाड़ी से किया गया और इसे गुप्त रखा गया। मिसाइल को विकसित करने वाले डीआरडीओ ने आधिकारिक तौर पर इस बारे में कुछ भी कहने से मना कर दिया।
हालांकि, सूत्रों ने बताया कि मिसाइल को पानी के अंदर करीब 20 मीटर से छोड़ा गया। इसने लक्ष्य का भेदने से पहले 700 किलोमीटर की दूरी तय की। मिसाइल की मारक क्षमता 3,500 किलोमीटर है। यह दो टन वारहेड ले जाने में सक्षम है। के-4 मिसाइल के शृंखला की सबमरीन लांच्ड बैलिस्टिक मिसाइल (एसएलबीएम) है। इसका नाम पूर्व राष्ट्रपति और वैज्ञानिक डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के नाम पर रखा गया है।
पूर्व नौसेना प्रमुख एडमिरल (सेवानिवृत्त) अरुण प्रकाश ने के-4 के सफल परीक्षण को बड़ा कदम बताया है। हालांकि उन्होंने कहा कि इसकी मारक क्षमता 5,500 किलोमीटर की जानी चाहिए। तभी पनडुब्बी को ङ्क्षहद महासागर में कहीं भी रखा जा सकेगा।
आइए, आपको बताते हैं कि पूर्व राष्ट्रपति और वैज्ञानिक डॉ कलाम के नाम पर रखी गई के-4 मिसालइल की क्या है खासियत?
- K-4 बैलेस्टिक मिसाइल को डीआरडीओ ने डेवलप किया है।
- इस मिसाइल को पानी के अंदर 20 फीट नीचे से भी फायर किया जा सकता है।
- 111 मीटर लंबी आईएनएस अरहिंत सबमरीन में एक बार में चार K-4 मिसाइल लोड की जा सकती हैं।
- डीआरडीओ अभी K सीरीज की तीन और मिसाइल डेवलप करने के प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है।
- इससे पहले, मार्च में दो बार इस मिसाइल का बंगाल की खाड़ी में टेस्ट किया जा चुका है।
- इस टेस्ट के साथ ही भारत दुनिया के उन देशों में शामिल हो गया है जो पानी के भीतर से मिसाइल दाग सकते हैं।
- इससे पहले अमेरिका, रूस, फ्रांस और चीन ही इस क्लब में शामिल थे।
- इसके साथ ही भारत ने जमीन, हवा और पानी के भीतर से लंबी दूरी की न्यूक्लियर मिसाइल लॉन्चिंग की ताकत हासिल कर ली है।
- इससे पहले K-4 का कई दूसरे नामों से 10 बार टेस्ट किया जा चुका है।
- डीआरडीओ के ऑफिसर्स के मुताबिक अगले कुछ सालों में मिसाइल आर्मी, एयरफोर्स और नेवी में सर्विस दे सकती है।
- बताया जा रहा है कि K-4 अग्नि मिसाइल से बेहतर है।