बच्चों में कुपोषण की दर भारत में सर्वाधिक, इस समस्या को दूर करने के लिए हो रहे ये उपाय
कुपोषण दूर करने में भारत ने सधी शुरुआत की, लेकिन बड़ी आबादी के लिए उसे और तेज चलने की जरूरत है।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। किसी भी राष्ट्र की सबसे बड़ी ताकत उसका मानव संसाधन होता है। जिस देश के पास जितना अधिक कार्यकारी मानव शक्ति होती है, उसकी अर्थव्यवस्था उतनी ही तेज गति से कुलांचे भरती है। भारत को उसकी इसी खूबी का लाभ मिलता रहा है। अब सोचिए, अगर देश से कुपोषण को खत्म कर दिया गया होता तो उसके मानव संसाधन से मिल रहा लाभ दोगुना हो जाता। हम आज जहां खड़े हैं, आज कहीं आगे होते। क्योंकि कुपोषण हमारे तेज विकास की राह में बड़ी बाधा साबित हो रहा है।
सधे कदम, रफ्तार सुस्त
कुपोषण दूर करने में भारत ने सधी शुरुआत की, लेकिन बड़ी आबादी के लिए उसे और तेज चलने की जरूरत है। 2006 में देश में पांच साल से कम आयु वाले औसत से कम लंबाई वाले बच्चों की हिस्सेदारी 48 फीसद थी। एक दशक बाद यानी 2016 में ऐसे बच्चों का फीसद घटकर 38 आ गया। इसके बावजूद आज भी बच्चों में कुपोषण की दर भारत में सर्वाधिक है। यह कुपोषण जीवन भर बच्चे के लिए दुर्भाग्य साबित होता है।
विडंबना
भारत के पास अब अनाज का पर्याप्त भंडार है। इसके बावजूद अगर कोई बच्चा कुपोषित रह जा रहा है तो सभी देशवासियों के लिए शर्मनाक है। 1950-51 में भारत का खाद्यान्न उत्पादन पांच करोड़ टन था, 2014-15 तक इसमें पांच गुना अप्रत्याशित वृद्धि हो चुकी है। अब हमारा खाद्यान्न उत्पादन 25 करोड़ टन के आंकड़े को छूने लगा है। पहले दूसरे देश हमें खाद्यान्न की सहायता करते थे, अब हम खाद्यान्न निर्यात करने लगे हैं।
प्रतिकूल परिणाम
अगर किसी का बचपन कुपोषित बीता है तो उसे निम्नलिखित दिक्कतों से सामना करना पड़ सकता है।
- स्वास्थ्य ठीक नहीं रहेगा
- शारीरिक विकास नहीं होगा
- पढ़ाई में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सकेगा
- औसत वयस्क की तुलना में उसकी उत्पादकता कम रहेगी
4.7 करोड़ देश के उन कुपोषित बच्चों की संख्या है जो बड़े होकर अपनी पूर्ण मानव क्षमता का प्रदर्शन नहीं कर पाते हैं। यानी हर दस में से चार बच्चा इस अभिशाप से जूझ रहा है।
19.50 करोड़ भारत में कुपोषित लोगों की संख्या। यानी विश्व की भूख से जुड़ी एक चौथाई चुनौती भारत के हिस्से में है।
सरकार ने कसी कमर
संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत सरकार चुनौती से निपटने को कदम उठा रही है। किसानों की आय 2022 तक दोगुनी करने के लिए सरकार ने 2016 में कई कदम उठाने की घोषणा की। सिंचित क्षेत्र का रकबा बढ़ाने को भी तेज प्रयास किए हैं। पोषक मोटे अनाजों को प्रोत्साहित किया है। पिछले दो दशक के दौरान कुपोषण दूर करने के कई उपाय किए हैं। इनमें मिड डे मील, आंगनबाड़ी कार्यक्रम, सार्वजनिक वितरण प्रणाली द्वारा गरीबों को राशन और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून शामिल हैं।