सरकारी पैनल ने रिपोर्ट में डाटा संग्रह के लिए किया नियामक का प्रस्ताव, जानें सरकार से क्या कहा
डाटा संग्रह करने के लिए नियम कायदों का खाका तैयार करने के लिए गठित पैनल ने कहा है कि सरकार को कंपनियों को गैर निजी डाटा संग्रह करने के तरीकों को बताने को कहना चाहिए।
नई दिल्ली, रायटर। डाटा संग्रह करने के लिए नियम कायदों का खाका तैयार करने के लिए गठित पैनल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सरकार को डाटा नियामक की स्थापना कर कंपनियों को गैर निजी डाटा संग्रह करने के तौर-तरीकों को सार्वजनिक करने को कहना चाहिए। सरकार ने अपने नागरिकों का गैर निजी डाटा संग्रह करने वाली कंपनियों फेसबुक, गूगल और अमेजन पर नीति नियंत्रण के लिए सिफारिशें सुझाने के लिए पिछले साल एक पैनल गठित किया था।
दरअसल भारतीय नागरिकों के गैर निजी डाटा का विश्लेषण कर विभिन्न कंपनियां अपने व्यवसाय में इसका इस्तेमाल करती हैं। हालांकि लोगों की निजता का ख्याल रखते हुए उनके नाम हटाकर या अज्ञात के तौर पर उनका डाटा इस्तेमाल किया गया। सरकार द्वारा नियुक्त इस पैनल ने अपनी रिपोर्ट में डाटा व्यवसाय के लिए केंद्रीकृत नियमों के लिए नियामक या संस्था बनाए जाने की जरूरत बताई है।
रिपोर्ट में नियामक को कानूनी रूप से शक्ति संपन्न बनाने की सिफारिश की गई है ताकि वह डाटा के लिए आग्रह करने के साथ निगरानी कर सके और जरूरत पड़ने पर किसी विवाद का निपटारा भी करा सके। हालांकि पैनल की 30 पेज की इस रिपोर्ट पर पैनल के प्रमुख क्रिस गोपालकृष्णन ने किसी तरह की टिप्पणी करने से मना कर दिया है। गोपालकृष्णन दिग्गज आइटी कंपनी इन्फोसिस के संस्थापक रहे हैं।
इस विषय के जानकार सूत्र के अनुसार पैनल ने रिपोर्ट को अंतिम रूप दे दिया है और यह इसे जल्द ही इसे सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय को सौंपने वाला है। इस रिपोर्ट में डाटा संग्रह करने वाली कंपनियों को खुद को 'डाटा व्यवसायी' के तौर पर भारत में पंजीकरण कराना होगा। हालांकि पंजीकरण संबंधी नियमों को अभी निर्धारण किया जाना है। उन्हें सरकारी एजेंसियों को बताना होगा कि वे किस तरह का डाटा संग्रह करती हैं और उसका वह किस तरह उपयोग करती हैं।
पैनल ने अपनी रिपोर्ट तैयार करने में अमेजन, माइक्रोसॉफ्ट और उबर जैसी कंपनियों से परामर्श किया। दरअसल गैर निजी डाटा संग्रह क्षेत्र में नियमन करके भारत ऐसी नीतियों का निर्माण करने जा रही है जिससे कई दिग्गज कंपनियों को दिक्कत होने वाली है। दुनिया के कई देश अपने नागरिकों के डाटा पर नियंत्रण के लिए कदम उठाने जा रहे हैं। भारत ने हाल ही में ई-कामर्स पालिसी बनाई है।
इसमें भी एक नियामक बनाने की सिफारिश की गई है। इसी तरह निजता संबंधी एक बिल की समीक्षा जारी है। इन सब गतिविधियों से टेक कंपनियों की मनमानी पर अंकुश लगेगा। पैनल ने यह भी कहा कि नियामक बनने से जरूरत पड़ने पर हम निजी कंपनियों के कब्जे से डाटा वापस भी ले सकते हैं। इसका इस्तेमाल स्वास्थ्य संबंधी प्रोजेक्ट बनाने जैसे काम में किया जा सकता है।