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चुमार में भारत ने छोड़ा टीन का शेड

लद्दाख में चीन के साथ तीन हफ्ते चला सैन्य गतिरोध खत्म करने के लिए भारत को चुमार इलाके के अग्रिम क्षेत्र में बने अपने एक टीन शेड को हटाना पड़ा। ताजा घटनाक्रम के बाद भारत ने चीन की ओर से भेजे गए सीमा मामलों पर रक्षा सहयोग समझौते के नए प्रस्ताव पर भी सक्रियता से विचार शुरू कर दिया है। इस बीच लद्दाख के दिपसांग बल्ज

By Edited By: Published: Tue, 07 May 2013 10:03 PM (IST)Updated: Wed, 08 May 2013 07:46 AM (IST)
चुमार में भारत ने छोड़ा टीन का शेड

नई दिल्ली [प्रणय उपाध्याय]। लद्दाख में चीन के साथ तीन हफ्ते चला सैन्य गतिरोध खत्म करने के लिए भारत को चुमार इलाके के अग्रिम क्षेत्र में बने अपने एक टीन शेड को हटाना पड़ा। ताजा घटनाक्रम के बाद भारत ने चीन की ओर से भेजे गए सीमा मामलों पर रक्षा सहयोग समझौते के नए प्रस्ताव पर भी सक्रियता से विचार शुरू कर दिया है। इस बीच लद्दाख के दिपसांग बल्ज क्षेत्र से अपने तंबुओं को हटाने के बाद चीनी सैनिक अपनी हद में लौट गए हैं।

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सूत्रों के मुताबिक मानवरहित टोही विमानों [यूएवी] से मिली तस्वीरों से पुष्टि हो गई है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारतीय हद में दाखिल हुआ चीनी फौजी दस्ता अपने इलाके में लौट गया है। हालांकि, 15 अप्रैल से पहले की स्थिति बहाल करने पर बनी द्विपक्षीय सहमति के लिए भारत को चुमार क्षेत्र से अपना टीन से बना शेड भी हटाना पड़ा। सूत्रों के मुताबिक, इस शेड का काम 18 अप्रैल को पूरा हुआ है। यह शेड चुमार इलाके में भारतीय सेना की अंतिम चौकी से करीब 8 किमी आगे था। चीनी सैनिकों द्वारा 15 अप्रैल को दिपसांग बल्ज के राकी नाला में तंबू गाड़ने के बाद भारत ने भी अपने दस्तों को चुमार में अग्रिम मोर्चे पर बढ़ा दिया था। चुमार के झिपुगी अर्ला क्षेत्र में बने मोर्चे से चीन का एक बड़ा इलाका भारतीय निगरानी में आता है।

रक्षा मंत्री एके एंटनी ने बताया कि दोनों पक्ष 15 अप्रैल से पहले की स्थिति बहाल करने पर सहमत हुए हैं। हालांकि, रक्षा मंत्री इस सवाल को टाल गए कि क्या इसके लिए चुमार क्षेत्र से भारतीय सैन्य दस्तों के हटने या रणनीतिक अहमियत के निगरानी स्थान को छोड़ना पड़ा। दरअसल, रविवार को भारत और चीन के बीच तीन हफ्ते से चली आ रही मोर्चाबंदी खत्म करने के लिए भारत को कई बंकरों से समझौता करना पड़ा।

सूत्रों का कहना है कि भारत ने राजदूत से लेकर सैन्य वार्ताओं तक हर स्तर पर यही बताया कि किसी भी मतभेद पर बात संभव है, लेकिन चीन को 15 अप्रैल से पहले की स्थिति में लौटना होगा। वैसे भारतीय खेमा अब भी चीन के साथ गतिरोध के कारणों पर मंथन कर रहा है। सूत्रों के मुताबिक सीमा मामलों पर सहमति बनाने के लिए चीन की ओर से कुछ उतावलापन जरूर नजर आया। चीन ने दो-तीन महीने पहले सीमा पर सैन्य सहयोग व संपर्क बढ़ाने के लिए एक समझौते का प्रस्ताव भेजा था। इसके बिंदुओं में दोनों सेनाओं के बीच बेहतर संवाद व दोस्ताना संपर्को की बात कही गई थी। इस बारे में सरकार के भीतर विचार-विमर्श शुरू हो गया है।

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