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कोरोना संक्रमण के दूसरे और तीसरे चरण के बीच में है भारत, जानें क्‍या है सरकार की रणनीति

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि भारत में संक्रमण अभी कम्युनिटी ट्रांसमिशन यानी स्टेज तीन पर नहीं पहुंचा है। इससे बचने की कोशिशें हो रही हैं।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Mon, 06 Apr 2020 11:52 PM (IST)Updated: Tue, 07 Apr 2020 07:16 AM (IST)
कोरोना संक्रमण के दूसरे और तीसरे चरण के बीच में है भारत, जानें क्‍या है सरकार की रणनीति
कोरोना संक्रमण के दूसरे और तीसरे चरण के बीच में है भारत, जानें क्‍या है सरकार की रणनीति

नई दिल्ली, एजेंसियां। देश में पिछले कुछ दिनों में लगातार कोरोना संक्रमितों की बढ़ती संख्या के बीच राहत की बात यह है कि हम अभी वायरस के प्रसार के तीसरे चरण में नहीं पहुंचे हैं। इस संबंध में कुछ रिपोर्टो और एम्स के डायरेक्ट डॉ. रणदीप गुलेरिया के बयान से पैदा हुए संशय के बीच सोमवार को स्वास्थ्य मंत्रालय ने फिर स्पष्ट किया कि भारत में संक्रमण अभी कम्युनिटी ट्रांसमिशन यानी स्टेज तीन पर नहीं पहुंचा है। एम्स के डायरेक्टर डॉ. गुलेरिया ने कहा था कि कुछ हिस्सों में स्थानीय स्तर पर कम्युनिटी ट्रांसमिशन का मामला पाया गया है। हालांकि ज्यादातर जगहों पर वायरस का प्रसार स्टेज दो पर ही है। उनके इस बयान के बाद से ही इस तरह के कयास लगने लगे थे कि देश में कोरोना का संक्रमण स्टेज तीन पर पहुंच गया है। इस तरह की खबरें आते ही स्वास्थ्य मंत्रालय ने तत्काल स्थिति स्पष्ट की।

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कम्युनिटी ट्रांसमिशन नहीं

स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा, 'अगर देश में कहीं भी कम्युनिटी ट्रांसमिशन का मामला सामने आया तो हम सबसे पहले सूचित करेंगे, ताकि लोग सतर्क हो सकें। जहां तक एम्स के डायरेक्टर की बात है, उन्होंने लोकलाइज्ड कम्युनिटी ट्रांसमिशन शब्द प्रयोग किया है। इसका अर्थ है कि किसी एक जगह पर ही बड़ी संख्या में संक्रमण के मामले मिल रहे हैं। हम अभी दूसरे और तीसरे स्टेज के बीच में हैं और हमारे प्रयास व कदम इसी दिशा में होने चाहिए कि हम स्टेज तीन पर ना पहुंचें।'

क्‍या है स्‍टेज दो और स्‍टेज तीन

स्टेज दो का मतलब है कि जिसे संक्रमण हुआ है, वह विदेश से यात्रा कर लौटा है या ऐसे किसी व्यक्ति के संपर्क में आया है। दूसरे स्टेज तक यह पता रहता है कि किसी व्यक्ति को संक्रमण कैसे हुआ। वहीं स्टेज तीन में व्यक्ति किसी अज्ञात के संपर्क में आकर संक्रमित हो जाता है। उसके संक्रमण का स्त्रोत नहीं मिल पाता है। संक्रमण के प्रसार के लिहाज से यह बहुत घातक स्थिति होती है।

जांच की गति तेज कर रही आइसीएमआर

देश में संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) ने जांच के लिए रैपिड एंटीबॉडी ब्लड टेस्ट की मंजूरी दे दी है। इस जांच से कोरोना संक्रमण की पुष्टि नहीं होती है, लेकिन इंफ्लूएंजा संक्रमण का पता चल जाता है, जो कोरोना के कारण भी हो सकता है। इसकी रिपोर्ट 15 से 20 मिनट में मिल जाती है। इसके पॉजिटिव मरीज संभावित कोरोना मरीज मानते हुए इलाज और आइसोलेशन का प्रोटोकॉल अपनाया जाएगा। जहां संक्रमण के एकमुश्त मामले आने की आशंका है, वहां इस जांच का प्रयोग किया जाएगा।

कर्मचारियों की संख्या बढ़ाने पर विचार

आइसीएमआर के मुताबिक, रिपोर्ट निगेटिव आने पर लक्षण के आधार पर जरूरत पड़ी तो कोरोना के लिए आरटी-पीसीआर जांच की जाएगी। आइसीएमआर को बुधवार तक रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट के लिए सात लाख किट मिल जाने की उम्मीद है। जांच की गति को तेज करते हुए आइसीएमआर कोरोना जांच किट की संख्या भी बढ़ा रही है। इस समय देश में 200 से ज्यादा लैब में कोरोना जांच की अनुमित दे दी गई है। आइसीएमआर मौजूदा लैब में 24 घंटे काम करने और राज्यों के साथ मिलकर इस पूरी चेन में कर्मचारियों की संख्या बढ़ाने पर भी विचार कर रही है। आइसीएमआर के मुताबिक, छह अप्रैल तक 96 हजार से ज्यादा लोगों की जांच की जा चुकी है।

हॉटस्पॉट से तय होगी लॉकडाउन की समयसीमा

आइसीएमआर के रमन आर गंगाखेड़कर का कहना है कि हॉटस्पॉट की पहचान लॉकडाउन की समयसीमा तय करने में अहम भूमिका निभाएगी। इसके अलावा संक्रमितों की संख्या को दोगुना होने में लगने वाला समय इसके प्रसार को समझने का अहम मानक होता है। अभी तब्लीगी जमात के कारण अचानक बढ़े संक्रमितों के कारण यह फॉर्मूला लागू नहीं किया जा सकता है, लेकिन लॉकडाउन के आखिरी हफ्ते में यह मानक अहम कारक बनेगा। उन्होंने कहा कि अगले तीन हफ्ते में कितने लोग संक्रमित होंगे, इससे यह समझने में मदद मिलेगी कि लॉकडाउन की जरूरत राष्ट्रीय स्तर पर होगी या स्थानीय स्तर पर। प्रसार की कड़ी को रोकना सबसे जरूरी है और यह एक-दूसरे से दूरी बनाकर रखने और लोगों के घरों में रहने से ही संभव है।

ऑक्सीजन की सुचारू आपूर्ति पर जोर

इस बीच, केंद्र सरकार ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति सुचारू रूप से हो। सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को लिखे पत्र में केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान आवश्यक वस्तुओं और मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति निर्बाध होनी चाहिए। मेडिकल ऑक्सीजन को केंद्र सरकार की ओर से और विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से आवश्यक दवाओं की सूची में रखा गया है। भल्ला ने लॉकडाउन के दौरान छूट वाली सेवाओं के निर्बाध संचालन पर भी जोर दिया। 


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