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समुद्र की निगरानी वाले उपग्रहों पर साथ कार्य करेंगे भारत और फ्रांस

भारत और फ्रांस अगले साल समुद्र की निगरानी वाले उपग्रह की लांचिंग पर साथ कार्य करेंगे। ये उपग्रह समूह में होंगे। फ्रांस की स्पेस एजेंसी ने इसकी पुष्टि की है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Mon, 27 Aug 2018 10:54 AM (IST)Updated: Mon, 27 Aug 2018 10:54 AM (IST)
समुद्र की निगरानी वाले उपग्रहों पर साथ कार्य करेंगे भारत और फ्रांस

नई दिल्ली [प्रेट्र]। भारत और फ्रांस अगले साल समुद्र की निगरानी वाले उपग्रह की लांचिंग पर साथ कार्य करेंगे। ये उपग्रह समूह में होंगे। फ्रांस की स्पेस एजेंसी ने इसकी पुष्टि की है। इसमें दोनों देशों की समुद्री सुरक्षा एजेंसियों से मिले सुझावों को अमल में लाते हुए भी कार्य शुरू किया जाएगा। दोनों देशों की रूचि का ध्यान में रखते हुए ये उपग्रह भूमध्य सागर से हिंद महासागर तक और प्रशांत महासागर व अटलांटिक महासागर के कुछ हिस्सों को कवर के उद्देश्य से डिजाइन किए जाएंगे। शोध में यह भी शामिल रहेगा कि इस कार्य के लिए समूह में कितने उपग्रहों की आवश्यकता होगी।

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बता दें कि इसी साल मार्च में भारत और फ्रांस ने अंतरिक्ष कार्यक्रमों को लेकर एक साझा विजन जारी किया था। इसमें आपसी सहयोग को मजबूत करने के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और फ्रांस की स्पेस एजेंसी सीएनईएस के साथ कार्य करने की बात कही गई थी।

संयुक्त विजन स्टेटमेंट में कहा गया है कि इसरो और सीएनईएस ऑटोमैटिक आइडेंटिफिकेशन सिस्टम, समुद्र और भूमि की निगरानी और सुरक्षा जैसी तकनीक पर साझा कार्य करेंगे। इसमें विशेष रूप से इसका उल्लेख है कि दोनों ही एजेंसियां समुद्री निगरानी के लिए उपग्रहों के समूह स्थापित करने के लिए भी अध्ययन करेंगे। एक अधिकारी का कहना है कि समूह का उद्देश्य समुद्री यातायात की निगरानी करना है।

स्टेटमेंट में यह भी कहा गया है कि समुद्री निगरानी वाले उपग्रह का मुख्य रूप से ध्यान हिंद महासागर पर है। यह ही वह क्षेत्र है जहां चीन लगातार अपनी उपस्थिति बढ़ाता जा रहा है। समुद्री संचार के सैकड़ों मार्ग हिंद महासागर से होकर ही गुजरते हैं, ऐसे में यह क्षेत्र भारत और फ्रांस के लिए रणनीतिक रूप में भी महत्व रखता है।

आधिकरिक बयान में यह कहा गया है कि हिंद महासागर भारत और फ्रांस दोनों के हितों की रक्षा के लिए काफी महत्व रखता है। दोनों देश हिंद महासागर, प्रशांत महासागर और अन्य समुद्री क्षेत्रों को कवर करते हैं। यह उपग्रह इन सभी उद्देश्यों को ध्यान में रखकर डिजाइन किया जाएगा। अधिकारियों का मानना है भारत और फ्रांस अपने लक्ष्य को तय समय में पाने में सफल रहेंगे।

अंतरिक्ष में भारत-फ्रांस की दोस्ती पुरानी

बता दें कि भारत और फ्रांस बीते छह दशक से कई अंतरिक्ष प्रोजेक्ट पर एक साथ कार्य कर रहे हैं। दोनों ही देश मौसम निगरानी के संयुक्त मिशन मेघा-ट्रापिक्स और सरल-एल्टिका पर कार्य कर रहे हैं। इसके अलावा जमीन की अवरक्त मॉनीर्टंरग के लिए त्रिश्ना सैटेलाइट और ओसियनसैट3-आर्गाेस मिशन भी हैं। 


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