आपसी सहमति से सीमा विवाद का हल निकालेंगे भारत-चीन
भारतीय एनएसए अजीत डोभाल व चीन के एनएसए यान जइची ने पीएम नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात की और उन्हें बैठक में हुई बातचीत का ब्यौरा दिया।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारत और चीन के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों (एनएसए) की अगुवाई में शुक्रवार को सीमा विवाद सुलझाने समेत तमाम द्विपक्षीय मुद्दों का सर्वमान्य हल निकालने पर अहम बातचीत हुई। डोकलाम विवाद के बाद पहली बार एनएसए स्तर पर होने वाली इस बातचीत में यह सहमति बनी कि सीमा से जुड़े तमाम विवादित मुद्दों का आपसी सहमति के आधार पर समाधान निकाला जाएगा। यह भी सहमति बनी कि सीमा पर शांति बनाए रखी जाएगी ताकि सीमा विवादों का स्थाई समाधान निकाला जा सके। बैठक के बाद भारतीय एनएसए अजीत डोभाल व चीन के एनएसए यान जइची ने पीएम नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात की और उन्हें बैठक में हुई बातचीत का ब्यौरा दिया। विदेश मंत्रालय ने इस बातचीत को 'सकारात्मक' करार दिया है लेकिन विदेश मंत्रालय के अधिकारी मानते हैं कि इस तरह की अभी कई दौर की बैठकें करनी होगी तभी तकरीबन 4000 किलोमीटर लंबी द्विपक्षीय सीमा से जुड़े विवादों का समाधान निकाला जा सकेगा।
भारत और चीन ने वर्ष 2003 में एनएसए स्तर की बातचीत शुरु करने का फैसला किया था। इसे विशेष प्रतिनिधि स्तरीय वार्ता का नाम दिया गया है जिसकी यह 20वीं बैठक थी। विदेश मंत्रालय का कहना है कि बैठक का मुख्य उद्देश्य यह था कि किस तरह से दोनो देश आपसी रिश्तों को मजबूत बना कर उसका ज्यादा से ज्यादा फायदा उठाये। वैसे भारत और चीन के विदेश मंत्रालयों ने इस सवाल का कोई जवाब नहीं दिया कि इस बैठक में डोकलाम मुद्दे पर बात हुई या नहीं। भूटान की सीमा पर स्थित डोकलाम को लेकर दोनो देशों के बीच जुलाई से लेकर अक्टूबर तक तनाव की स्थिति बनी रही। इसे हाल के दशकों के दौरान दोनो देशों के बीच सबसे तनाव वाला समय करार दिया गया है। माना जा रहा है कि एनएसए स्तरीय बातचीत में इस तरह के तनावपूर्ण स्थिति दोबारा न हो इसकी भी कोशिश कर रहे हैं। इसके लिए क्या क्या करना होगा, इन उपायों पर भी बात हुई है।
बहरहाल, यह तो सहमति बन गई है कि दोनो देश लगातार संपर्क में रहेंगे और बातचीत का सिलसिला बनाये रखेंगे। विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी सूचना के मुताबिक विवादों का सर्वमान्य हल निकालने की कोशिश में दोनो देश एक दूसरे की संवेदनाओं का भी ख्याल रखेंगे। भारत और चीन ने यह भी स्वीकार किया है कि एशिया और विश्व में शांति, स्थायित्व व विकास के लिए जरुरी है कि इनके बीच रिश्ते भी बेहतर हो।
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