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India China Border News: चीनी सीमा पर वायुसेना को मिलेगी 360 डिग्री निगरानी क्षमता, छह नए अवॉक्‍स विमान होंगे तैनात

इन विमानों के निर्माण से सशस्त्र बलों को 360 डिग्री सíवलांस क्षमता विकसित करने में मदद मिलेगी।सूत्रों ने मुताबिक एईडब्ल्यूएंडसी ब्लॉक-2 एयरक्राफ्ट नेत्र सर्विलांस विमानों के मुकाबले ताकतवर होंगे और दुश्मन के इलाके में अंदर तक 360 डिग्री कवरेज प्रदान करेंगे।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Wed, 16 Dec 2020 07:00 PM (IST)Updated: Wed, 16 Dec 2020 07:06 PM (IST)
India China Border News: चीनी सीमा पर वायुसेना को मिलेगी 360 डिग्री निगरानी क्षमता, छह नए अवॉक्‍स विमान होंगे तैनात
नए एयरबोर्न वॉर्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम (अवॉक्स)

नई दिल्ली, एएनआइ। चीन से लगी वास्तविक नियंत्रण रेखा और पाकिस्तान से लगी नियंत्रण रेखा पर निगरानी की क्षमता को और मजबूत बनाने के लिए भारत ने छह नए एयरबोर्न अर्ली वॉर्निंग एंड कंट्रोल प्लेन का निर्माण करने का फैसला किया। इसके लिए एयर इंडिया के छह नए विमान उपयोग में लाए जाएंगे। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) इन विमानों को विकसित करेगा और इससे स्वदेशी रक्षा उद्योग को भी बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। साथ ही छह नए सर्विलांस एयरक्राफ्ट मिलने के बाद वायुसेना की निगरानी क्षमता में जबरदस्त इजाफा होगा। सरकारी सूत्रों के अनुसार एईडब्ल्यूएंडसी ब्लॉक-2 विमान को डीआरडीओ के जरिये 10,500 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट के तहत विकसित किया जाएगा। इसके लिए एयर इंडिया से छह विमान अधिग्रहित किए जाएंगे और उन्हें रडार के साथ उड़ान भरने के लिए परिवर्तित किया जाएगा। 

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रडार लगाकर डीआरडीओ बनाएगा छह नए अवॉक्स विमान

इन विमानों के निर्माण से सशस्त्र बलों को 360 डिग्री सíवलांस क्षमता विकसित करने में मदद मिलेगी।सूत्रों ने मुताबिक एईडब्ल्यूएंडसी ब्लॉक-2 एयरक्राफ्ट नेत्र सर्विलांस विमानों के मुकाबले ताकतवर होंगे और दुश्मन के इलाके में अंदर तक 360 डिग्री कवरेज प्रदान करेंगे। नए विमानों के विकास के लिए एयर इंडिया से छह विमान अधिग्रहित करने का मतलब ये है कि यूरोपियन कंपनी से छह एयरबस 330 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट खरीदने की योजना को टाल दिया गया है।

डीआरडीओ ने पहले छह नए एयरबोर्न वॉर्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम (अवॉक्स) को एयरबस 330 एयरक्राफ्ट पर विकसित करने का फैसला किया था, जिसके लिए बेंगलुरु में सुविधाएं तैयार की जा रही थीं। सूत्रों ने कहा कि योजना के मुताबिक एयर इंडिया के छह विमानों को यूरोपियन कंपनी के पास भेजा जाएगा और वहां सुधार के बाद इन विमानों पर रडार स्थापित किए जाएंगे। प्रोजेक्ट को इस तरह तैयार किया गया है कि डिफेंस सेक्टर में 'मेक इन इंडिया' और आत्मनिर्भर भारत अभियान को प्रमोट किया जा सके।

10,500 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट में इस्तेमाल होंगे एयर इंडिया के विमान

ब्लॉक-1 प्रोजेक्ट पहले ही अपनी डेडलाइन से बहुत देरी से चल रहा है, हालांकि इस तरह के विमान विकसित करने में अपने गहन अनुभव के चलते डीआरडीओ का एयरबोर्न स्टडीज लैब इन्हें जल्द से जल्द पूरा करने में लगा हुआ है। भारतीय वायुसेना के पास तीन फॉल्कन अवॉक्स सिस्टम हैं, जिन्हें इजरायल और रूस से खरीदकर विकसित किया गया है। ब्लॉक-1 सिस्टम के लिए जहां इजरायल से रडार खरीदा गया, वहीं रूस के इल्यूशिन-76 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट पर इसे फिट किया गया।

डीआरडीओ की ओर से विकसित किए गए दो नेत्र विमानों ने हालिया तनाव के दौरान बेहतरीन काम किया और दुश्मन की सीमा में अंदर तक सर्विलांस कवरेज प्रदान की है। छह नए 'आइ इन द स्काई' विमानों को देश में अलग-अलग स्थानों पर तैनात किया जाएगा ताकि पड़ोसी देशों से लगी सीमा पर निगरानी की प्रक्रिया प्रभावी तरीके से काम करे।


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