अंतरिक्ष में ISRO की बड़ी छलांग, अब खुद का space station बनाएगा भारत
भारत अब अपना खुद का स्पेस स्टेशन बनाएगा। इसरो प्रमुख के सिवन ने ये जानकारी दी है।
नई दिल्ली, जेएनएन। अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत एक और बड़ी छलांग लगाने की तैयारी में है। इसके तहत अंतरिक्ष में अब वह खुद का अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करेगा। हालांकि इस योजना पर काम मानव मिशन गगनयान की सफलता के बाद शुरू होगा। फिलहाल अंतरिक्ष में अमेरिका, रूस और चीन जैसे देशों के ही खुद स्टेशन मौजूद है। इसके साथ ही नासा का इंटरनेशनल स्पेश स्टेशन भी है, जिसमें दुनिया के कई देश मिलकर काम करते हैं।
इसरो प्रमुख के. सिवान ने गुरूवार को इसकी जानकारी दी और बताया कि इस स्टेशन को फिलहाल 2030 तक स्थापित करने की योजना है। यह करीब 20 टन का होगा। जिसमें चार से पांच अंतरिक्ष यात्री एक साथ 15 से 20 दिनों तक रह सकेंगे। यह स्टेशन इसलिए भी अहम है, क्योंकि माइक्रोग्रेविटी से जुड़े प्रयोग सिर्फ यहीं हो सकते है। जो गगनयान मिशन की कामयाबी को आगे बढ़ाने के लिए बेहद जरूरी होगा।
इसरो प्रमुख ने पत्रकारों से चर्चा में बताया कि अंतरिक्ष स्टेशन खोलने का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। जल्द ही उसे सरकार को भेजा जाएगा। इसके साथ ही उन्होंने मानव मिशन गगनयान की तैयारियों की भी जानकारी दी और बताया कि इसके तहत फिलहाल अंतरिक्ष यात्रियों के चयन की प्रक्रिया चल रही है। इनमें भारतीय वायु सेना की मदद ली गई है। इसे लेकर भारतीय वायु सेना के साथ एक करार भी किया गया है। जिसमें अंतरिक्ष यात्रियों के प्रशिक्षण का जिम्मा भी उन्हें दिया गया है।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि अंतरिक्ष पर फिलहाल तीन व्यक्तियों को भेजने की योजना है। जिसके लिए कम से कम छह लोगों का चयन होगा। जिन्हें शुरूआती प्रशिक्षण भारत में दिया जाएगा। जबकि हाईटेक प्रशिक्षण के लिए रूस और दुनिया के दूसरे देशों में भेजा जाएगा। यह प्रशिक्षण करीब 18 महीनों का होगा। अंतरिक्ष यात्रियों के चयन से जुड़े सवाल पर उन्होंने कहा यह प्रक्रिया छह महीने में पूरी हो जाएगी। फिलहाल इसके लिए दस हजार करोड़ रुपए का बजट स्वीकृत किया गया है।
सिवान ने एक सवाल के जवाब में बताया कि अंतरिक्ष के क्षेत्र में हम अपनी क्षमता बढ़ाने के लिए एक चरणबद्ध तरीके से काम कर रहे है। चंद्रयान-1 के बाद चंद्रयान-2 भेजने की तैयारी है। जो इसी साल 15 जुलाई को रात में 2.51 मिनट पर भेजा जाएगा। इसके बाद मानव मिशन गगनयान होगा, जो दिसंबर 2021 तक भेजा जाएगा।
अंतरिक्ष में जाने का किसी महिला को भी मिल सकता है मौका
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने मानव मिशन गगनयान में भेजे जाने वाले तीन अंतरिक्ष में महिला यात्री को शामिल करने से जुड़े सवाल पर कहा कि यह बिल्कुल हो सकता है। वैसे भी यह मिशन ह्यूमन( मानव) मिशन है, न की मैन (पुरूष) मिशन। उन्होंने पिछले चार-पांच सालों में अंतरिक्ष के क्षेत्र में हासिल की गई सफलता के लिए इसरो की जमकर सराहना की।
चंद्रमा के साथ सूर्य और शुक्र पर भी पहुंचने की योजना
इसरो प्रमुख ने बताया कि वह शुक्र (वीनस) और सूर्य (आदित्य) पर पहुंचने की योजना पर भी काम कर रहे है। इसे लेकर काम शुरू हो गया है। हालांकि इस मिशन में तेजी गगनयान के बाद ही दिखाई देगी। फिलहाल हमने अंतरिक्ष में अपनी ताकत को बढ़ाने के लिए इन दोनों ग्रहों तक पहुंचने का लक्ष्य तय कर दिया है। इसके तहत वीनस पर हम 2023 तक पहुंच सकते है।
खुद के इंटरनेशनल स्पेस सेंटर की बात करें तो 1971-1986 में सैल्यूट स्पेस स्टेशन (USSR), 1973-1979 में स्काई लैब (यूएस) और 1986-2000 में मीर/ (यूएसएसआर/रूस) थे।
बता दें कि अमेरिका और रूस ने साझा प्रोजेक्ट के तौर पर 1998 में इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन बनाया था। कई अन्य देश भी बाद में इसके निर्माण में जुड़ते गए। हालांकि, ज्यादातर कंट्रोल्स और मॉड्यूल्स का खर्च अमेरिका ही उठाता है। 18 देशों के 230 लोग इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में जा चुके हैं। यह धरती से लगभग 400 किमी ऊंचाई पर स्थित है। यह 28 हजार किमी की गति से घूमता है।
इसके अलावा चीन भी दो स्पेस स्टेशन लॉन्च कर चुका है। चीन ने 2011 में अपना पहला स्पेस स्टेशन तियांगोंग-1 लॉन्च किया था। इसे दो साल के लिए तैयार किया गया था। यह 1 अप्रैल 2018 को धरती पर गिरकर नष्ट हो गया था। चीन ने 2016 में तियांगोंग-2 लॉन्च किया। यह अभी भी मौजूद है। चीन 2022 तक तियांगोंग-3 को लॉन्च करने की भी योजना बना रहा है।
गौरतलब है कि मार्च 2019 तक इंटरनेशनल स्पेस सेंटर में कनाडा, जापान, रूसी संघ, संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी शामिल हैं।
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