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भारत ने विश्व बिरादरी से अफगानिस्तान के मुद्दे पर एकजुट होने को कहा, काबुल न बन पाए आतंक की शरणस्थली

अफगानिस्तान पर भारत के रूख पर आस्ट्रेलिया का भी साथ मिला है। शनिवार को भारत और आस्ट्रेलिया के विदेश व रक्षा मंत्रियों को मिला कर गठित टू प्लस टू व्यवस्था के तहत पहली वार्ता आयोजित की गई ।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Published: Sat, 11 Sep 2021 09:39 PM (IST)Updated: Sat, 11 Sep 2021 10:59 PM (IST)
भारत ने विश्व बिरादरी से अफगानिस्तान के मुद्दे पर एकजुट होने को कहा, काबुल न बन पाए आतंक की शरणस्थली
भारत और आस्ट्रेलिया की पहली टू प्लस टू वार्ता के केंद्र में रहे अफगानिस्तान के हालात

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। पिछले महीने की 15 तारीख को काबुल पर कब्जा जमाने के बाद तालिबान की कथनी और करनी में जिस तरह का फर्क सामने आ रहा है उसे देखते हुए दुनिया के तमाम देशों की तरह भारत की चिंता भी खुल कर सामने आने लगी है। तालिबान की तरफ से आतंकवाद के खिलाफ स्पष्ट संकेत नहीं मिलने और नई सरकार में महिलाओं एवं अल्पसंख्यकों की अनदेखी पर भारत ने विश्व बिरादरी से अफगानिस्तान के मुद्दे पर एकजुट होने को कहा है। भारत ने यह भी संकेत दिया है कि तालिबान के साथ उसने संपर्क स्थापित किया है लेकिन इसका यह भी मतलब नहीं कि वह मूल्यों से समझौता कर तालिबान की सरकार को मान्यता देने में जल्दबाजी करेगा।

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अफगानिस्तान पर भारत के रूख पर आस्ट्रेलिया का भी साथ मिला है। शनिवार को भारत और आस्ट्रेलिया के विदेश व रक्षा मंत्रियों को मिला कर गठित टू प्लस टू व्यवस्था के तहत पहली वार्ता आयोजित की गई। बैठक के बाद जारी साझा प्रेस कांफ्रेंस में विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि हम इस बात पर सहमत हैं कि अफगानिस्तान के मुद्दे पर विश्व बिरादरी में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 2592 को लेकर एकजुटता होनी चाहिए। सनद रहे कि इस प्रस्ताव में तालिबान से कहा गया है कि वह सुनिश्चित करे कि उसकी जमीन का इस्तेमाल किसी दूसरे देश के खिलाफ आतंकी गतिविधियों के लि ना हो और महिलाओं व अल्पसंख्यकों के मानवाधिकार की रक्षा हो। टू प्लस टू वार्ता के बाद आस्ट्रेलिया की विदेश व महिला मामलों की मंत्री मैरिस पायने ने कहा कि हम मानते हैं कि इसमें सभी का हित है कि अफगानिस्तान आतंकियों की शरणस्थली नहीं बने। आस्ट्रेलिया विश्व समुदाय के साथ है ताकि अफगानिस्तान ने पिछले दो दशकों में जो उपलब्धि हासिल की गई है उसे खत्म नहीं किया जाए।

अफगानिस्तान में तालिबान की तरफ से गठित सरकार में दूसरे समुदायों व महिलाओं की भागीदारी नहीं मिलने को भारत ने लगातार दूसरे दिन उठाया है। एक दिन पहले संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारतीय राजदूत ने तालिबान की व्यवस्था को समग्र नहीं होने व बिखराव पैदा करने वाला करार दिया था। भारत ने पूर्व में तालिबान से आधिकारिक तौर पर बात करने का तथ्य कुछ दिन पहले रखा था लेकिन माना जा रहा है कि तालिबान पर पाकिस्तान का भारी दबाव है। यही वजह है कि जिस तालिबानी नेता मोहम्मद अब्बास स्टेनकजई से भारतीय राजदूत ने बात की थी उन्हें तालिबान सरकार में खास स्थान नहीं दिया गया है। तालिबान ने यह स्वीकार नहीं किया है कि उसकी भारत से बात हुई है। शनिवार को भारतीय विदेश मंत्री ने जिस तरह से विश्व समुदाय से अपील की है वह भारत के भावी रणनीति का संकेतक है।

हिंद प्रशांत क्षेत्र पर भी हुई चर्चा

टू प्लस टू व्यवस्था के तहत पहली बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और आस्ट्रेलिया के विदेश मंत्री पीटर डटन भी मौजूद थे। दोनों देशों के विदेश व रक्षा मंत्री मंत्रियों की पहले ही अलग-अलग द्विपक्षीय मुद्दों को लेकर बैठक हो चुकी थी। उसके बाद शनिवार को संयुक्त बैठक हुई। बैठक में हिंद प्रशांत क्षेत्र के हालात और इसे सभी देशों के लिए समान अवसर वाला व मुक्त बनाने के लिए किए जाने वाले बहुपक्षीय प्रयासों को लेकर चर्चा हुई। रक्षा मंत्री सिंह ने कहा भी कि भारत व आस्ट्रेलिया के वृहत रणनीतिक साझेदारी में हिंद-प्रशांत क्षेत्र की काफी महत्वपूर्ण भूमिका है। रक्षा क्षेत्र में व्यापक सहयोग का एक रोडमैप भी तैयार हो रहा है जिसको लेकर चर्चा हुई है। आस्ट्रेलिया ने अपने यहां भारत से सैन्य डिप्लोमेसी बढ़ाने का आग्रह किया है यानी भारत वहां के अपने उच्चायोग में ज्यादा सैन्य अधिकारियों की नियुक्ति कर सकेगा।

प्रधानमंत्री मोदी से मिले आस्ट्रेलियाई मंत्री

आस्ट्रेलिया के दोनों मंत्रियों ने बैठक के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से भी मुलाकात की। पायने ने ट्वीट कर प्रधानमंत्री के साथ मुलाकात की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि वैश्विक मामलों और हिंद प्रशांत क्षेत्र के साथ ही आपसी मुद्दों पर भी प्रधानमंत्री के साथ उनकी बातचीत हुई।


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