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आपसी रिश्तों को आगे बढ़ा लगातार बातचीत करेंगे भारत और चीन

स्वराज और वांग यी की द्विपक्षीय वार्ता रूस, भारत व चीन (रिक) के विदेश मंत्रियों की सालाना बैठक शुरु होने से पहले हुई।

By Manish NegiEdited By: Published: Mon, 11 Dec 2017 07:52 PM (IST)Updated: Mon, 11 Dec 2017 07:52 PM (IST)
आपसी रिश्तों को आगे बढ़ा लगातार बातचीत करेंगे भारत और चीन

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। डोकलाम, मौलाना मसूद अजहर, वन बेल्ट वन रोड जैसे कई मुद्दे भारत और चीन के रिश्तों के बीच अवरोध बने हुए हैं लेकिन सोमवार को दोनों देशों ने परिपक्व पड़ोसियों की तरह विवादों के बावजूद आपसी रिश्तों को आगे बढ़ाने को तैयार हुए हैं।

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विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच करीब एक घंटे तक नई दिल्ली में बातचीत हुई और दोनों देश बातचीत को लगातार जारी रखने को तैयार हुए हैं। बार-बार उच्चस्तरीय वार्ता का प्रस्ताव स्वराज का ही था जिसे चीनी विदेश मंत्री बिना किसी झिझक के स्वीकार कर लिया। बहुत जल्द ही दोनों देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की अगुवाई में सीमा विवाद को सुलझाने के लिए बैठक होने वाली है।

स्वराज और वांग यी की द्विपक्षीय वार्ता रूस, भारत व चीन (रिक) के विदेश मंत्रियों की सालाना बैठक शुरु होने से पहले हुई। इस बारे में स्वराज ने बाद में कहा कि, ''विदेश मंत्री वांग यी और मैं इस बात पर सहमत थे कि हमें आपसी विश्वास को और बढ़ाना चाहिए ताकि दोनो देशों के बीच बेहतर समझ विकसित हो सके। और इसके लिए बार बार मिलना, बिना एजेंडा के मिलना बेहतर रहेगी जिससे हमारी आपसी समझ बढ़ेगी।''

विदेश मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक दोनो नेताओं की बातचीत में आपसी हितों के साथ वैश्विक हितों को लेकर तमाम मुद्दों पर बात हुई। यह पूछे जाने पर कि क्या डोकलाम पर बातचीत हुई तो सूत्रों ने बताया कि किसी एक मुद्दे पर बातचीत करने से परहेज किया गया लेकिन द्विपक्षीय रिश्तों को प्रभावित करने वाले जितने मुद्दों हैं उनकी व्यापकता पर बातचीत हुई। वैसे जुलाई से अक्टूबर तक चले डोकलाम विवाद के बाद पहला मौका है जब दोनो देशों के बीच इतनी उच्चस्तरीय बैठक हुई है।

विदेश मंत्रियों की बैठक के बाद एनएसए स्तरीय वार्ता को लेकर भी कूटनीतिक सर्किल में काफी उम्मीदें हैं। भारत और रूस के बीच पिछले वर्ष की शुरुआत तक काफी सकारात्मक बातचीत हो रही थी। लेकिन पहले आतंकी मौलाना मसूद अजहर पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगाने को लेकर चीन के अड़ंगे और जुलाई, 2016 में परमाणु आपूर्तिकर्ता देशों के समूह (एनएसजी) में भारत के प्रवेश को रोकने के बाद से दोनो देशों के रिश्तों में लगातार तनाव आ गया है।

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