Move to Jagran APP

'चुनौतियों' का मिल कर सामना करेंगे भारत व आसियान

मोदी ने इस बैठक में कहा कि, भारत और आसियान के सहयोग केंद्र में समुद्री क्षेत्र में स्वतंत्रता व आजादी रहेगी।

By Manish NegiEdited By: Published: Thu, 25 Jan 2018 11:53 PM (IST)Updated: Thu, 25 Jan 2018 11:53 PM (IST)
'चुनौतियों' का मिल कर सामना करेंगे भारत व आसियान
'चुनौतियों' का मिल कर सामना करेंगे भारत व आसियान

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। नवंबर, 2017 में भारत और आसियान के दस देशों ने ऐलान किया था कि वे 25-26 जनवरी, 2018 को नई दिल्ली में शिखर बैठक करेंगे। तभी से दुनिया की निगाहें इस पर थी कि चीन को लेकर क्या संदेश दिया जाता है। गुरुवार को इन देशों के प्रमुखों के साथ अलग अलग विमर्श और फिर इनके साथ एक बंद कमरे में हुई गुफ्तगू के बाद जो समग्र तौर बातें सामने आ रही है वह यह है कि चीन के दबदबे से उपजी चिंताएं इन दोनों पक्षों के बीच वार्ता के केंद्र में रही है।

loksabha election banner

पीएम नरेंद्र मोदी ने भारत-आसियान रजत जयंती शिखर बैठक में अध्यक्षीय भाषण देते हुए कहा कि भारत हिंद-प्रशांत समुद्री क्षेत्र में नियम आधारित व्यवस्था कायम करने का पक्षधर है और इस बारे में वह आसियान देशों के साथ मिल कर काम करेगा। साफ है कि यह इशारा साउथ चाइना सी में चीन की विस्तारवादी नीतियों की तरफ था।

आसियान के राष्ट्र प्रमुखों के साथ पीएम मोदी की बैठक में यह सहमति बनी कि ''हिंद-प्रशांत क्षेत्र में पारंपरिक व गैर-पारंपरिक चुनौतियों का मिल कर सामना किया जाएगा।'' शिखर बैठक में हिस्सा लेने से पहले आसियान के सदस्य देश विएतनाम के पीएम नुएन शुआन फुक, म्यांमार के स्टेट काउंसलर आन सान सू की, फिलीपींस के राष्ट्रपति रोड्रिगो दुर्तेतो, थाईलैंड के पीएम जेनरल प्रयुत चान-ओ-शा, सिंगापुर के पीएम ली सीन लुंग, ब्रुनेई के सुल्तान सुल्तान हसनल बोलकियाह, इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो, लाओस के पीएम थोंग लुन सिसोलिथ, मलयेशिया के पीएम नजीब रजाक और कंबोडिया के पीएम हुन सेन भारत पहुंचे।

इनमें से सात नेताओं के साथ मोदी ने बुधवार और गुरुवार को द्विपक्षीय बैठकें की। इसके अलावा सभी नेताओं के साथ एक बैठक हुई जिसमें मोदी के भाषण और आसियान के नए अध्यक्ष सिंगापुर के पीएम के अध्यक्ष को ही सार्वजनिक किया गया। इसके बाद बंद कमरे में दोनों पक्षों की बैठक हुई। मोदी ने इस बैठक में कहा कि, भारत और आसियान के सहयोग केंद्र में समुद्री क्षेत्र में स्वतंत्रता व आजादी रहेगी। भारतीय पीएम की यह उक्ति इसलिए महत्वपूर्ण है कि इस समुद्री क्षेत्र में चीन की गतिविधियां लगातार बढ़ रही है और आसियान के तमाम देश इसको लेकर चिंताएं जता रहे हैं।

दो दिनों से चल रही बैठकों के बारे में विदेश मंत्रालय में सचिव (पूर्व) प्रीति सरन ने बताया कि शिखर बैठक में यह सहमति बन गई है कि समुद्री क्षेत्र में सहयोग को बेहद मजबूत किया जाएगा। दोनों पक्षों के बीच इस संबंध में जो भी मौजूदा चुनौतियां हैं उसके बारे में खुल कर बात हुई। दोनों पक्ष यह मानते हैं कि कई पारंपरिक व गैर पारंपरिक चुनौतियां हैं जो समान तौर पर इनके हितों को प्रभावित करती हैं।

बाद में भारत और आसियान की तरफ से नई दिल्ली घोषणा पत्र जारी किया गया जिसमें साफ तौर पर कहा गया कि दोनों पक्षों ने साउथ चाइना सी के मामले में वर्ष 2002 में घोषित आचार संहिता को लागू करने की अपील की गई है। यह आचार संहित चीन और आसियान के अन्य देशों के बीच बनी सहमति है लेकिन चीन अब उसका उल्लंघन करता है। भारत और आसियान ने कहा है कि वे समूचे हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति, स्थायित्व, सुरक्षा, कारोबार के लिए जहाजों के बेरोकटोक आवागमन के लिए नियमबद्ध व्यवस्था के लिए काम करेंगे। इस बारे में जो भी अंतरराष्ट्रीय मान्यताएं, नियम व व्यवस्था है उसे लागू करने के लिए काम करने की बात भी कही गई है। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.