COP26 Climate Summit: पर्यावरण सुरक्षा के मुद्दे पर भारत ने चीन के साथ मिलकर विकसित देशों को घेरा
भारत के पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव चीन के पर्यावरण उपमंत्री झाओ यिंगमिन के अलावा ब्राजील के पर्यावरण मंत्री जौकीम लित्ते और दक्षिण अफ्रीका की वन एवं पर्यावरण मंत्री बारबरा क्रीसी इस बैठक में शामिल हुईं।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सीमा पर भले ही भारत और चीन के बीच विवाद चल रहा है, लेकिन पर्यावरण सुरक्षा के मुद्दे पर ये दोनों देश मिलकर विकासशील देशों की आवाज उठा रहे हैं। इनके साथ ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका भी हैं। ब्रिक्स के इन चारों देशों ने बेसिक नाम का एक अलग मंच भी बनाया हुआ है जिसके पर्यावरण एवं वन मंत्रियों की ग्लासगो में चल रहे काप-26 सम्मेलन के दौरान अलग से बैठक हुई। बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान में चारों देशों ने काप-26 को पूरा समर्थन देने का वचन दिया, लेकिन साथ ही विकसित देशों से कहा कि उन्हें वर्ष 2021 से 2025 के बीच विकासशील देशों के लिए हर वर्ष 100 अरब डालर का इंतजाम करना होगा।
भारत के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव, चीन के पर्यावरण उपमंत्री झाओ यिंगमिन के अलावा ब्राजील के पर्यावरण मंत्री जौकीम लित्ते और दक्षिण अफ्रीका की वन एवं पर्यावरण मंत्री बारबरा क्रीसी इस बैठक में शामिल हुईं। बेसिक समूह का कहना है कि विकासशील देशों ने जिस तरह से पर्यावरण सुरक्षा को लेकर नए उपायों की घोषणा की है, वह काफी बेहतरीन है। ऐतिहासिक तौर पर ये देश पर्यावरण के मौजूदा क्षरण के लिए जिम्मेदार नहीं हैं, लेकिन अब ये देश वैश्विक हालात को देखते हुए अपनी भूमिका निभाने को तैयार हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग और ब्राजील सरकार की तरफ से हाल ही में पर्यावरण सुरक्षा के लिहाज से उठाए गए कदमों को इसमें शामिल किया गया है। इसके बाद इन देशों ने विकसित देशों को याद दिलाया है कि उनकी तरफ से पेरिस समझौते के तहत 100 अरब डालर सालाना देने की घोषणा का अभी तक पालन नहीं किया गया है। इस राशि की विकासशील देशों को जरूरत है। इससे उन्हें पर्यावरण सुरक्षा के लिए निर्धारित लक्ष्य को हासिल करने में सहूलियत होगी।
बेसिक समूह के संयुक्त बयान में विकसित देशों से कहा गया है कि वे 100 अरब डालर सालाना के फंड से विकासशील देशों को आसान शर्तों पर कर्ज देने की व्यवस्था करें। विकसित देश आगे आएं और वर्ष 2021 से वर्ष 2025 के बीच 100 अरब डालर के सालाना फंड को सृजित करने के लिए कदम उठाएं। इन देशों को सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी देश वर्ष 2023 तक पर्यावरण के संदर्भ में अपने लक्ष्य तय कर लें। इन देशों ने पर्यावरण सुरक्षा पर संयुक्त राष्ट्र के तहत गठित फ्रेमवर्क के तहत पर्यावरण लक्ष्य तय करने में पारदर्शिता नहीं होने पर भी चिंता जताई और कहा कि विकासशील देशों की मदद करना बहुत जरूरी है ताकि वे पर्यावरण सुरक्षा को लेकर सही दिशा में कदम उठा सकें।