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स्वतंत्रता दिवस विशेष: कमाल दिखा रही देश की युवा शक्ति, नई सोच व इनोवेशन से मजबूत कर रहे राष्ट्र

आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर देश को अपनी युवा शक्ति पर पूरा भरोसा है जो अपनी नई सोच एवं इनोवेशन से कमाल दिखा रहे हैं। कौशल विकास के साथ उद्यमिता के जरिये रोजगार सृजन कर रहे हैं।

By Vinay TiwariEdited By: Published: Sat, 15 Aug 2020 12:19 PM (IST)Updated: Sat, 15 Aug 2020 12:48 PM (IST)
स्वतंत्रता दिवस विशेष: कमाल दिखा रही देश की युवा शक्ति, नई सोच व इनोवेशन से मजबूत कर रहे राष्ट्र

नई दिल्ली [अंशु सिंह]। आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर देश को अपनी युवा शक्ति पर पूरा भरोसा है, जो अपनी नई सोच एवं इनोवेशन से कमाल दिखा रहे हैं। कौशल विकास के साथ उद्यमिता के जरिये रोजगार सृजन कर रहे हैं। क्योंकि ये सभी समाज को कुछ देना चाहते हैं। स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर मिलते हैं ऐसे ही कुछ जुनूनी किशोरों और युवाओं से, जो राष्ट्र को मजबूत बनाने में दे रहे हैं अहम योगदान...

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मुंबई के 17 वर्षीय किशोर अद्वैत ठाकुर ने कभी सोचा नहीं था कि वे एंटरप्रेन्योर बनेंगे। बचपन से ही कंप्यूटर-गैजेट में गहरी दिलचस्‍पी थी। एक समय आया, जब लगा कि उनके पास जो हुनर है, उससे दूसरों को भी फायदा पहुंचाया जा सकता है। पहली बार कुछ स्वयंसेवी संगठनों की मदद की। जब छठी कक्षा में थे, तभी उन्होंने एक डिजिटल एजेंसी शुरू कर दी।

लेकिन 2017 में उन्होंने इंटरनेट ऑफ थिंग्स, मशीन लर्निंग के क्षेत्र को एक्सप्लोर करने का फैसला लिया और फिर नींव पड़ी टेक्नोलॉजी कंपनी ‘एपेक्स इंफोसिस इंडिया’ की, जो स्मार्ट होम प्रोडक्ट्स में डील करती है। अद्वैत कहते हैं, ‘मैंने कुछ प्लान नहीं किया था। कोई मेंटर भी नहीं था।

जिस रास्ते को चुना, सीखते हुए उस पर बढ़ता गया। हां, मेरे माता-पिता टेक बैकग्राउंड से थे, तो उनसे जरूर मदद मिली।‘ इनकी मानें, तो देश को आत्मनिर्भर बनाने में युवाओं का बड़ा योगदान हो सकता है। इसके लिए जरूरी है कि पैरेंट्स अपने बच्चों को एंटरप्रेन्योरशिप में आने से रोके नहीं। उन्हें प्रोत्साहित करें। अद्वैत स्वयं सोशल मीडिया के जरिये युवाओं को प्रेरित करते हैं कि वे एम्प्लॉयमेंट सीकर नहीं, जेनरेटर बनें। वैसे, अद्वैत रतन टाटा और फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग को अपनी प्रेरणा मानते हैं।

टेक्नोलॉजी से कृषि सेक्टर में लाना है सुधार 

खुद को मार्क की तरह एक एक्सीडेंटल एंटरप्रेन्योर मानने वाले अद्वैत टेक्नोलॉजी के जरिये एग्रीकल्चर सप्लाई चेन में सुधार लाने की कोशिश भी कर रहे हैं। इसके लिए वे एक अन्य एग्री टेक स्टार्टअप के आइडिया पर काम कर रहे हैं। दरअसल, वे समुदाय और समाज के लिए बहुत कुछ करना चाहते हैं। सामान्य एंटरप्रेन्योर्स की अपेक्षा लाभ-हानि से ऊपर उठकर मूल्य आधारित सिस्टम क्रिएट करने का इरादा रखते हैं।

उनका मानना है कि अगर हम एक उद्देश्य के साथ बिजनेस करते हैं, कुछ क्रिएट करते हैं, तो उसका दीर्घकालिक फायदा होता है। अद्वैत बताते हैं, ‘अगर युवा बड़े सपने देख सकते हैं, तो उसे पूरा करने की हिम्मत भी रखते हैं। मेरी टीम में 25 के करीब सदस्य हैं, जिनमें काफी अनुभवी मेंबर्स भी हैं। इसके अलावा 12 के करीब इनहाउस डेवलपर्स हैं। उन सभी को साथ लेकर चलने के साथ ही अपनी पढ़ाई पर ध्यान देना पड़ता है। बमुश्किल चार घंटे नींद ले पाता हूं।

लेकिन कुछ बोझ जैसा नहीं लगता है।‘ अद्वैत फिलहाल 12वीं में हैं। आगे कंप्यूटर साइंस में ग्रेजुएशन करना चाहते हैं। इतनी कम उम्र में इतने सब के साथ कैसे संतुलन बना पाते हैं, पूछने पर वह कहते हैं, ‘उम्र तो सिर्फ एक संख्या है। नि:संदेह अनुभव मायने रखता है। लेकिन हर किसी का अपना विश्वास होता है कि वह खुद से पहल कर अपना अनुभव बना सकता हैं, नया निर्माण कर सकता हैं, जिससे किसी न किसी रूप में देश का भी फायदा हो।‘ 

तैयार कर रहे नए उद्यमी 

पटना के रोहित कश्यप ने भी 14 वर्ष की उम्र में अपना पहला स्टार्टअप लॉन्च कर दिया था। आज वे एक इंफ्लूएंसर के रूप में अन्य युवाओं को उद्यमिता की बारीकियां सिखाते हैं। बताते हैं रोहित, ‘आठवीं या नौवीं में था जब टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में अपना कुछ करने का फैसला लिया था। हम कुछ दोस्त मिलकर रेस्टोरेंट्स आदि को सॉफ्टवेयर उपलब्ध कराते थे। इसके अलावा, मैं सोशल साइट्स पर एंटरप्रेन्योरशिप से संबंधित ब्लॉग्स भी लिखता था।

उसी से पता चला कि कैसे स्टूडेंट्स के पास आइडिया तो होता है, लेकिन उसे इंप्लीमेंट करना नहीं आता। इसी के बाद हमने 2019 में ‘मैत्री स्कूल ऑफ एंटरप्रेन्योरशिप’ की स्थापना की।‘ इस बूटस्ट्रैप्ड उद्यम का उद्देश्य युवाओं को स्टार्टअप शुरू करने में मदद करना है। इस प्लेटफॉर्म के जरिये इंडस्ट्री के शीर्ष लीडर्स एवं एंटरप्रेन्योर्स, देश-दुनिया के युवाओं को ऑनलाइन गाइड करते हैं। रोहित आगे बताते हैं, ‘हम पर्सनलाइज्ड मेंटरशिप की सुविधा देते हैं।

अब तक एक हजार से अधिक युवाओं को ट्रेनिंग दी गई है, जिसमें करीब 30 ने अपना स्टार्टअप शुरू भी कर दिया है।‘ फिलहाल ग्रेजुएशन सेकंड ईयर के स्टूडेंट रोहित की टीम की एक अनोखी बात यह भी है कि इसमें देश के अलग-अलग शहरों के युवा शामिल हैं और वे सभी देश के नवनिर्माण में अपना सहयोग देना चाहते हैं। रोहित कहते हैं कि आज जिसके पास भी स्किल है, वह समाज को कुछ न कुछ देने की क्षमता रखता है।

अच्छी बात यह है कि सरकार भी युवाओं को स्किल डेवलपमेंट से लेकर एंटरप्रेन्योरशिप में आने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। इससे महानगरों के अलावा छोटे शहरों के युवाओं में भी उम्मीद जगी है यानी जो भी ‘आउट ऑफ बॉक्स’ सोचते हैं, वे राष्ट्र निर्माण में अहम भूमिका निभा सकते हैं। 

 

रोग से भयमुक्त करने का संकल्प 

देहरादून में रहते हैं मयंक जोशी और अतुल रावत। यहीं के ग्राफिक एरा विश्वविद्यालय से दोनों एमसीए कर रहे हैं। इन दिनों घर में रहते हुए उन्होंने पाया कि आसपास के लोगों के पास कोरोना के बारे में सटीक जानकारियां न के बराबर हैं, जिसके कारण वे अपने स्वास्थ्य को अधिक प्रभावित कर ले रहे हैं। दोनों दोस्तों को बचपन से ही रोगों के प्रति लोगों का अंधविश्वास परेशान करता रहा है।

ऐसे में जब कोरोना को लेकर फैले इन अफवाहों से उनका सामना हुआ, तो दोनों विचलित हो गए और पढ़ाई से समय निकालकर वैश्विक रोगों की जानकारी देने वाली वेबसाइट ‘मेडिनाल्स’ की स्थापना की। यह एक ऐसी साइट है, जो कोरोना के साथ-साथ संभावित बीमारियों या महामारियों के बारे में सटीक जानकारी दे सकती है। इस वेबसाइट पर हर एक घंटे में विश्व में कोरोना मरीजों की संख्या या ठीक वाले लोगों तथा जान गंवाने वाले लोगों के बारे में जानकारी अपलोड की जाती है।

‘मेडिनाल्स’ के संस्थापक मयंक जोशी बताते हैं, 'कोरोना प्रभावितों की संख्या के साथ-साथ हम वेबसाइट पर ग्राफ इंप्‍लीमेंटेशन भी दिखाते हैं। इसमें ‘अपोलो’ नाम से एक ऐसा फीचर है, जो लोगों द्वारा स्वास्थ्य संबंधी जानकारी मुहैया कराने के बाद यह बताता है कि उन्‍हें कोरोना होने के उनके कितने चांसेज हैं। इस वेबसाइट पर रोग संबंधी हर तरह के प्रश्न पूछने का भी विकल्‍प है।'

वे आगे बताते हैं कि इस वेबसाइट को तैयार करने में लगभग एक महीने का समय लगा। इंटर्नशिप के तहत 9-5 जॉब करने के बाद वे दोनों रोजाना चार घंटे का समय इस पर देते थे। इसमें अभी कुछ नए फीचर्स और जोड़े जाने हैं, जिससे कि भविष्य में कोई नई डिजीज या महामारी आने पर यह वेबसाइट समुचित व सटीक जानकारी दे सके। मयंक की मानें, तो हमारा देश तभी आत्मनिर्भर होगा, जब वह पूरी तरह से रोगों के भय से मुक्त होगा।

स्किल से सबकुछ संभव 

ब्रजेश उन युवाओं की प्रेरणा हो सकते हैं, जो अपनी हॉबी को बना लेते हैं स्वावलंबन का साधन। वेबसाइट डेवलपिंग में दक्ष ब्रजेश गुरुग्राम में ही एक आइटी कंपनी में जॉब करते हैं। पर योग में अत्यधिक रुचि के कारण उन्होंने योग को न केवल अपनाया, बल्कि इसे लोगों को सिखा भी रहे हैं। तीन साल पूर्व उन्होंने योग का प्रशिक्षण लिया, जो किसी कठिन साधना से कम नहीं था।

इससे उनकी जीवनशैली पर बड़ा प्रभाव पड़ा। वह कहते हैं,'तकनीक से जुड़ा काम और सीटिंग जॉब हो, तो यह एक समय के बाद शरीर और मन पर असर करने लगता है। मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ। पर नियमित योग से धीरे-धीरे सब पटरी पर आने लगा। अब यह मेरी जिंदगी का प्रमुख हिस्सा बन गया है।’ इस तरह, योग से जब खुद को शांति मिली और शारीरिक स्फूर्ति महसूस हुई, तो उन्होंने इसे दोस्तों को सिखाना शुरू कर दिया। अब उन्होंने दोस्तों के साथ मिलकर योग प्रशिक्षण स्टूडियो खोलने की योजना बनाई है।

कमाई के बारे में पूछने पर वह बताते हैं,'लॉकडाउन के समय कमाई पर तो बेशक प्रभाव पड़ा है। पहले घर पर बुलाकर योग सीखने वाले अच्छे पैसे देते थे। प्रति व्यक्ति पांच हजार रुपये तक।’ एक साथ दो-दो कौशल सीखने की क्या वजह है? इस पर वे कहते हैं कि हॉबी होने के कारण इसे और बेहतर सीखने की जरूरत महसूस हुई। पर एक से अधिक कौशल हो, तो आप अधिक आत्मविश्वास महसूस करते हैं। ब्रजेश आगे कहते हैं, 'किसी काम में दक्षता हमेशा कमाई से अधिक आत्मविश्वास से जुड़ा मामला है।‘ 

आइडिया को इंप्लीमेंट करना आना चाहिए 

प्रफुल्ल माथुर (फाउंडर, क्विपलीन) का कहना है कि कोई भी बिजनेस या स्टार्ट अप शुरू करने के लिए आपके पास आइडिया, पैशन, विजन, वर्क एथिक एवं दृढ़ निश्चय चाहिए होना चाहिए। बिजनेस आइडिया जितना क्रिएटिव होगा और आप उसे जितने अच्छे से धरातल पर उतार पाते हैं, उसी से आगे की सफलता निर्धारित होती है। आपको पूंजी निवेश और खर्च भी काफी सोच-समझकर करना होता है।

किसी दूसरे को देखने की बजाय अपने आइडिया एवं स्किल पर भरोसा रखें। सबसे जरूरी बात ये है कि स्टार्ट अप के लिए बहुत सा धैर्य चाहिए होता है और आपको हमेशा फेल्योर के लिए तैयार रहना होता है। जिनके पास लीडरशिप क्वालिटी, टीम स्पीरिट है, जिनका लक्ष्य स्पष्ट है, वे जरूर उद्यमिता को आजमा सकते हैं। 

(इनपुट : सीमा झा, स्मिता) 


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