Agricultural Education in India: कृषि शिक्षा में लड़कियों का बढ़ा रुझान; दोगुनी हुई संख्या, जानिये क्या है मौजूदा तस्वीर
कृषि शिक्षा में छात्रों के मुक़ाबले छात्राओं का रुझान बढ़ रहा है। पिछले एक दशक में ही लड़कियों की संख्या में दोगुना से अधिक की वृद्धि हुई है लेकिन एक बात की चिंता अभी भी बनी हुई है। जानें क्या कहते हैं आंकड़े....
सुरेंद्र प्रसाद सिंह, नई दिल्ली। कृषि शिक्षा में छात्रों के मुकाबले छात्राओं का रुझान बढ़ रहा है। पिछले एक दशक में ही बेटियों की संख्या में दोगुना से अधिक की वृद्धि हुई है। कृषि शिक्षण संस्थानों में एडमिशन लेने वाले अभ्यर्थियों के इस नए चलन की जानकारी हाल के वर्षों में मिले ताजा आंकड़ों से हुई है। वैसे इसका अध्ययन अभी चल रहा है कि इस बदलते हुए ट्रेंड के पीछे कारण क्या है। कृषि शिक्षा से जुड़े आला अधिकारियों का कहना है कि कृषि क्षेत्र में होनहार छात्रों की कमी भी चिंता का विषय बन सकता है।
कुशल मानव संसाधन की दरकार
इंडियन काउंसिल आफ एग्रीलकल्चरल रिसर्च (आइसीएआर) के डिप्टी डायरेक्टर जनरल (शिक्षा) डा. आरसी अग्रवाल ने बताया कि कृषि क्षेत्र में कुशल मानव संसाधन की सख्त जरूरत है। इसे पूरा करने के लिए देश के सभी कृषि से संबंद्ध शिक्षण संस्थानों में नई शिक्षा नीति के प्रविधान को लागू किया जा रहा है।
पीएचडी तक में वृद्धि
महिलाओं की बढ़ती भागीदारी इस क्षेत्र को नई दिशा दे सकती है। पिछले एक दशक के दौरान महिला कृषि शिक्षा में अंडर ग्रेजुएट से लेकर पीएचडी तक में उनकी भागीदारी में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। पोस्ट ग्रेजुएट (पीजी) और पीएचडी के राष्ट्रीय कोटे में महिलाओं की संख्या कई बार पुरुषों से ज्यादा दर्ज की गई है।
प्रतिभागियों में महिलाओं की संख्या बढ़ी
राष्ट्रीय स्तर की प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं के आधार पर एडमिशन प्राप्त करने वाले प्रतिभागियों में महिलाओं की संख्या जहां पहले 23 प्रतिशत थी, वह पिछले दो-तीन सालों में बढ़कर करीब पचास प्रतिशत तक पहुंच गई है। वर्ष 2019 में पीजी में 16 हजार से अधिक छात्र पहुंचे तो 15 हजार के आसपास की संख्या छात्राओं की रही। वहीं वर्ष 2020 में यह संख्या बराबर-बराबर पहुंच गई। जबकि 2021 में भी कमोबेश संख्या करीब 50-50 फीसद रही।
महिलाओं की संख्या बढ़कर 7337 पहुंची
वर्ष 2020 में पीएचडी के लिए जहां 6743 पुरुषों ने आवेदन किया तो महिलाओं की संख्या बढ़कर 7337 पहुंच गई। इसी तरह वर्ष 2021 में पुरुषों की संख्या 4699 थी जो महिलाओं की संख्या कहीं ज्यादा 5346 तक पहुंच गई।
ट्रेंड में आ रहा बदलाव
राष्ट्रीय स्तर पर होने वाली प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं को आधार मानकर देखें तो अंडर ग्रेजुएट (यूजी) कक्षाओं में एडमिशन लेने के इच्छुक बच्चों के ट्रेंड में बदलाव आ रहा है। खाद्यान्न उत्पादक राज्यों पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश से आने वाले अभ्यर्थियों की हिस्सेदारी तेजी से घट रही है, जबकि खेती के खाद्यान्न की पैदावार के हिसाब से गैर परंपरागत राज्यों के अभ्यर्थियों की संख्या बढ़ी है।
क्या कहते हैं आंकड़े
उदाहरण के लिए वर्ष 2019 में यूजी के अभ्यर्थियों में पंजाब से 1550, हरियाणा से सात हजार, उत्तर प्रदेश से करीब 14 हजार, मध्य प्रदेश से 11600 और अकेले केरल से 39,000 अभ्यर्थियों ने हिस्सा लिया है जो इन खाद्यान्न उत्पादक राज्यों के मुकाबले अधिक हैं। वर्ष 2020 और 2021 में हुए एडमिशन का ट्रेंड भी कमोबेश यही रहा है।
चलाया जाएगा देशव्यापी अभियान
डा. अग्रवाल ने बताया कि कई बार गुणवत्ता के स्तर पर अच्छे छात्र नहीं मिल पाते हैं। कृषि क्षेत्र के लिए यह चिंता का विषय जरूर है। इसे लेकर आइसीएआर राष्ट्रीय स्तर पर जागरूकता अभियान चलाकर छात्रों में कृषि क्षेत्र के लिए आकर्षण पैदा करेगा। इस बदलते ट्रेंड की अध्ययन रिपोर्ट के बाद देशव्यापी अभियान चलाया जाएगा। इसके लिए कमेटी का गठन कर दिया गया है।