‘इन टच’ ऑनलाइन ग्रुप ने कलाकारों को दिखाई नई राह, ऑनलाइन आयोजित हो रहे एग्जीबिशंस
परिस्थितियां ऐसी बनीं कि कलाकारों से लेकर आर्ट गैलरियों तक को नये रास्ते तलाशने पड़े। आज गैलरियों द्वारा सफलतापूर्वक ऑनलाइन आर्ट एग्जीबिशंस आयोजित किए जा रहे हैं।
नई दिल्ली [अंशु सिंह]। एक कला प्रदर्शनी में व्यक्ति जिस तरह से कलाकारों-चित्रकारों की कृतियों को अनुभव करता है, उसका दूसरा कोई विकल्प नहीं। लेकिन परिस्थितियां ऐसी बनीं कि कलाकारों से लेकर आर्ट गैलरियों तक को नये रास्ते तलाशने पड़े। रणनीति से लेकर कौशल के स्तर पर कार्य करना पड़ा।
आज गैलरियों द्वारा सफलतापूर्वक ऑनलाइन आर्ट एग्जीबिशंस आयोजित किए जा रहे हैं, जिससे आर्टिस्ट्स के साथ शिथिल पड़े कला के कारोबार को भी नया बल मिला है।
आवश्यकता ही आविष्कार की जननी
कहते हैं न कि आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है। बीते महीनों में जब सारी आर्ट गैलरियां बंद हो गईं और प्रदर्शनियां रद्द, तो आर्ट की बिक्री ठप पड़ गई। कलाकारों ने अन्य गतिविधियों से स्वयं को जोड़ना शुरू कर दिया। तभी वर्चुअल दुनिया में एक नई सुगबुगाहट हुई।
भारत और दुबई की तकरीबन दस गैलरियों ने ‘इन टच’ नाम से एक ऑनलाइन ग्रुप प्रदर्शनी लॉन्च की,ताकि संगठित तरीके से एक-दूसरे के संपर्क में रहा जा सके। इसमें विभिन्न विधाओं के कलाकारों, छायकारों की कृतियों को शामिल किया गया।
इसी ‘इन टच’ ग्रुप प्रदर्शनी में शामिल दिल्ली स्थित वढेरा आर्ट गैलरी की संस्थापक रौशनी बताती हैं, ‘हमने बदली परिस्थितियों को भांपते हुए अपने वेबसाइट एवं सोशल मीडिया की सहायता से वर्चुअल एग्जीबिशंस व प्रोजक्ट्स करने शुरू कर दिए थे।
गैलरी की ओर से ‘वैग फ्रेश’ नाम से एक नई पहल भी की गई, जिसमें शैलेश बीआर एवं विक्की रॉय जैसे उभरते आर्टिस्ट्स के काम को प्रदर्शित किया गया। हमने इंस्टाग्राम पर थॉट्स फ्रॉम द स्टूडियो, लिविंग विद आर्ट जैसे प्रोजेक्ट्स किए, जो काफी पसंद किए गए।‘
दरवाजे बंद हुए, खुली है खिड़की
‘वैग फ्रेश’ डिजिटल प्रदर्शनी में हिस्सा लेने वाले मशहूर फोटोग्राफर विक्की रॉय कहते हैं, ‘गैलरी में ‘बचपन’ नाम से सीरीज को शो किया गया, जिसकी अच्छी प्रतिक्रिया मिली। तस्वीरों ने लोगों की उनके बचपन की याद ताजा करा दी। अच्छी बात ये रही कि इसकी बिक्री से होने वाली आमदनी का कुछ प्रतिशत सलाम बालक ट्रस्ट को मदद स्वरूप दिया गया।‘ वर्तमान समय की चुनौतियों को कैसे देखते हैं? उसका काम पर कितना प्रभाव पड़ा है? इस बारे में वे बताते हैं, ‘कमोबेश हर आर्टिस्ट, फोटोग्राफर के लिए यह संघर्षपूर्ण दौर है।
बीते वर्षों की बात करूं, तो इस समय मैं पहाड़ों पर वर्कशॉप कर रहा होता। आज यह भी नहीं मालूम कि स्थितियां कब तक सामान्य होंगी। इसलिए खर्चे में कटौती से लेकर जीवनशैली में बदलाव सब आजमा रहा हूं।‘ विक्की को अंदाजा है कि काम में कमी आ सकती है, लेकिन वे आशावान हैं। कहते हैं, ‘इस लॉकडाउन में घरों के दरवाजे बंद हो गए।
सबने सोचा कि जब वे खुलेंगे तभी कुछ होगा। लोग भूल गए कि पीछे एक छोटी-सी खिड़की भी है, जो विकल्प बन सकती है। यानी हमें नये सिरे से जीने की आदत डालनी पड़ेगी।‘ विक्की इन दिनों छोटे प्रोजेक्ट्स करने के साथ ही स्वैच्छिक कार्यों में भी योगदान दे रहे हैं। हाल ही में इन्होंने ‘अक्षयपात्रा फाउंडेशन‘ के लिए फ्री में काम किया। ‘सेव द चिल्ड्रेन‘ संस्था के लिए किए गए ‘द इंविजिबल‘ प्रोजेक्ट को भी काफी सराहना मिली।
चित्रकारों ने जगाए रखी है आस
एक कलाकार के कैनवस की तरह ही तो है यह जिंदगी, जिसमें अनेक रंगों-भावों का मिश्रण, उल्लास व उदासी होती है। यह व्यक्ति पर निर्भर करता है कि वह अपने कूचे से क्या और कैसे रंग भरना या कैनवस को कोरा छोड़ देना चाहता है। जैसे, किसी जमाने में नीदरलैंड के चित्रकार विंसेंट वैन गो ने कहा था कि अगर अंदर से आवाज आ रही हो कि आप चित्रकारी नहीं कर सकते, तो वह अवश्य करें। आवाज स्वयं ही शांत हो जाएगी। अजमेर के स्वतंत्र चित्रकार योगेश वर्मा भी ‘टैड’ नाम से अपनी गैलरी शुरू करने वाले थे, जब कोरोना ने दस्तक दी और सब ठप हो गया।
लेकिन उन्होंने आस नहीं छोड़ी और टैड के ही बैनर तले ऑनलाइन कला शिविर सह कला प्रदर्शनी ‘द आर्ट डिस्कवरी’ आयोजित की। इसे समसामयिक सृजनरत चित्रकारों एवं मूर्तिकारों ने हाथों हाथ लिया और प्रदर्शनी सफल रही। इतना ही नहीं, राजस्थान के वरिष्ठ चित्रकार विद्यासागर उपाध्याय द्वारा शुरू किए गए ‘रंग मल्हार’ महोत्सव का 11 साल में पहली बार डिजिटल रूपांतरण हुआ। प्रदेश भर के कलाकारों ने इको फ्रेंडली हाथ के थैले पर चित्रकारी कर उसे ऑनलाइन साझा किया।
सोशल मीडिया से मिला बड़ा सहारा
मिक्स्ड मीडियम में पेंटिंग करने वाले योगेश बताते हैं, ‘आर्टिस्ट्स के लिए ये लॉकडाउन किसी जीवनदान से कम नहीं रहा। ऑनलाइन प्रदर्शनी के माध्यम से हमने कलाकारों को अभिव्यक्ति का मंच प्रदान कर, उन्हें एक सूत्र में पिरोने की कोशिश की। देश-विदेश के कलाकारों ने अपने-अपने आर्ट स्टूडियो में रहकर सृजन किया और पूरे उत्साह के साथ ऑनलाइन प्रदर्शनी में उपस्थिति दर्ज करायी।‘ योगेश की मानें, तो इस संकट काल में सोशल मीडिया की अहम भूमिका रही।
जिन-जिन चित्रकारों ने फेसबुक, इंस्टाग्राम पर अपनी कलाकृतियां साझा की, उनमें बहुतों को अच्छे ऑर्डर मिले। कई पेंटर्स तो ऐसे हैं, जिन्हें अगले एक साल तक सांस लेने की फुर्सत नहीं। नोएडा की पेंटर चित्राक्षी सिंह सोशल मीडिया के फायदे को लेकर तो सहमति रखती हैं, लेकिन ऑनलाइन एग्जीबिशंस को लेकर उनमें खास उत्साह नहीं दिखता। कहती हैं, ‘गैलरीज में होने वाली प्रदर्शनियों में लोगों से आमने-सामने संवाद होता था। नेटवर्क बनाने के साथ बिजनेस में भी मदद मिलती थी। ऑनलाइन में वह असर नहीं दिखाई दे रहा। वैसे, उम्मीद कायम है।‘
उभरते कलाकारों को प्रोत्साहन
मुंबई के मधु दास ड्राइंग, पेंटिंग, फोटोग्राफी, परफॉर्मेंस, इंस्टॉलेशन जैसी अनेक विधाओं में महारत रखते हैं। 2014 में इन्होंने ‘वेयर आर वी’ नाम से एक विजुअल आर्ट बनाया था, जो अब तक कहीं प्रदर्शित नहीं हो सका है। ऐसे में दिल्ली स्थित श्राइन एंपायर आर्ट गैलरी ने ‘डिस्कवर’ सीरीज की दूसरी डिजिटल प्रदर्शनी के तहत इसे शोकेस करने का फैसला लिया है।
गैलरी की निदेशक अनाहिता बताती हैं, ‘प्रामेया फाउंडेशन के जरिए हम नए आर्टिस्ट्स, क्यूरेटर्स को उपयुक्त एक्सपोजर, ग्रांट आदि देते हैं। ‘डिस्कवर’ सीरीज उसी के तहत आयोजित किया जाता है, जिसमें हम ऑनलाइन सोलो एग्जीबिशन के जरिये उभरते कलाकारों को मौका देते हैं। पिछले महीने इशिता चक्रवर्ती को अवसर दिया गया था।
अनाहिता मानती हैं कि नये दौर में सर्वाइव करने के लिए इनोवेटिव आइडियाज पर काम करना होगा। आज जब लोगों का गैलरीज में जाना संभव नहीं है, वैसे में उनकी रुचि के अनुसार नए शोज क्यूरेट करेंगे, तो आर्ट में भी दिलचस्पी बनी रहेगी।
आर्ट कलेक्टर्स से मिला पॉजिटिव रिस्पॉन्स
रौशनी वढेरा कहती हैं कि हमने जितनी भी पहल की, उनका अच्छा रिस्पॉन्स मिला। ये जानना भी सुखद रहा कि इस चुनौती भरे दौर में भी आर्ट कलेक्टर्स ने समसामयिक कला में दिलचस्पी दिखाई। डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर आर्ट एग्जीबिशंस, शोज में शामिल होकर कहीं न कहीं उनके मन को शांति व सुकून मिला।
कला की दुनिया से जुड़ाव भी बना रहा। व्यावसायिक नजरिए से संतोषप्रद सफलता मिली। आगे भी हम ऑनलाइन आयोजन करते रहेंगे, क्योंकि इससे देश-विदेश के आर्टिस्ट्स एवं कला प्रेमियों को जुड़ने का मौका मिल रहा है। (फाउंडर, वढेरा आर्ट गैलरी, दिल्ली)
क्रिएटिव अंदाज में ऑनलाइन शोज
अनाहिता तनेजा कहती हैं कि शुरुआत में थोड़ा संशय था कि कैसे होगा। लेकिन कहते हैं न कि शो मस्ट गो ऑन। हमने अपनी स्ट्रेटेजी में बदलाव किए। फेसबुक, इंस्टाग्राम के माध्यम से हम कला प्रेमियों से पहले से जुड़े थे। ऐसे में हमने ऑनलाइन आर्ट एग्जीबिशन करने का फैसला लिया, जिसके बाद क्रिएटर अनुष्का राजेंद्रन के सुझाव पर ‘स्पेकुलेशंस ऑन अ न्यू वर्ड ऑर्डर’ नाम से शो किया गया।
इसमें कलाकारों ने क्रिएटिव वीडियो, ड्राइंग और तस्वीरों के जरिये भविष्य को लेकर अपने विचारों को अभिव्यक्त किया। अच्छा रिस्पॉन्स मिला। बिक्री के लिहाज से भी अपेक्षाकृत सकारात्मक नतीजे आए हैं। लोग कलाकृतियों के बारे में पूछताछ कर रहे हैं। आहिस्ता-आहिस्ता सेल्स बढ़ रहा है। (निदेशक, श्राइन एंपायर गैलरी, दिल्ली)
कलाप्रेमियों के लिए वाट्सएप बिजनेस पोर्टल
तारिक अलाना बताते हैं कि ऑनलाइन स्ट्रेटेजी के तहत हमने वेबसाइट एवं आर्ट्सी पेज के अलावा वाट्सएप बिजनेस पोर्टल भी लॉन्च किया है, जहां हमारे कैटेलॉग का कुछ हिस्सा, मेलिंग लिस्ट, नया ऑडियो-वीडियो सीरीज देखा जा सकता है। कलाप्रेमी हमारे इंस्टाग्राम एवं फेसबुक जैसे अकाउंट्स से भी जुड़ सकते हैं।
इससे हमारे समर्थकों एवं कलेक्टर्स दोनों को आर्टिस्ट्स की कलाकृतियां एक्सेस हो जाती हैं। हमने कोई ऑनलाइन एग्जीबिशन तो नहीं किया है, लेकिन इस पर काम चल रहा है। हमारा मकसद कला प्रेमियों को ऑनलाइन में एक गहरा अनुभव देना है। (असोसिएट डायरेक्टर, आर्ट हेरिटेज गैलरी)
दिल्ली आर्ट गैलरी का ऑनलाइन शो
लॉकडाउन के बीच गैलरी ने द सिल्वर सीरिज नाम से तीसरा डिजिटल एग्जीबिशन किया, जिसमें मॉडर्न एवं कंटेम्पररी इंडियन आर्ट को प्रदर्शित किया गया। इसमें 100 से अधिक आर्टिस्ट्स की पेंटिंग्स एवं अन्य आर्ट वर्क शोकेस किए गए। प्रदर्शनी के तीसरे संस्करण के लिए अपने आप संस्था से पार्टनर किया गया था। इसके तहत, कलाकृतियों के बिकने से होने वाली कमाई का 10 प्रतिशत हिस्सा गरीब लड़कियों एवं महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए काम कर रही उपरोक्त संस्था को दिया गया।