गर्मी के मौसम में पिछले वर्ष की तुलना में बढ़ने लगा श्रीअन्न का रकबा, चावल का हुआ घटा
गर्मी की फसलें अभी लगाई जा रही हैं। ऐसे में इस रुझान के आगे भी जारी रहने का अनुमान है। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की रिपोर्ट बताती है कि पांच मई तक श्रीअन्न के रकबे में 72 हजार हेक्टेयर की वृद्धि हो चुकी है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अपील एवं अंतरराष्ट्रीय बाजार की बढ़ती मांग के अनुकूल देश में श्रीअन्न की खेती के प्रति किसानों का झुकाव बढ़ने लगा है। गर्मी के मौसम में पिछले वर्ष की तुलना में श्रीअन्न के रकबे में वृद्धि होती दिख रही है, जबकि चावल (धान) के रकबे में गिरावट देखी जा रही है। आंकड़ा इस वर्ष सिर्फ पांच मई तक का ही है।
श्रीअन्न के रकबे में 72 हजार हेक्टेयर की वृद्धि
गर्मी की फसलें अभी लगाई जा रही हैं। ऐसे में इस रुझान के आगे भी जारी रहने का अनुमान है। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की रिपोर्ट बताती है कि पांच मई तक श्रीअन्न के रकबे में 72 हजार हेक्टेयर की वृद्धि हो चुकी है। पिछले वर्ष देश में इसी अवधि के दौरान 10 लाख 72 हजार हेक्टेयर में श्रीअन्न की फसलों को लगा दिया गया था, जबकि इस वर्ष पांच मई तक 11 लाख 44 हजार हेक्टेयर में मोटे अनाज की फसलें लगा दी गई हैं। इसमें सबसे ज्यादा वृद्धि ज्वार-बाजरा के रकबे की हुई है।
क्या कहती है रिपोर्ट
2023 को अंतरराष्ट्रीय बाजरा वर्ष घोषित किए जाने को बड़ा कारण माना जा रहा है। रिपोर्ट के अनुसार मक्के का रकबा भी बढ़ रहा है। गर्मी में धान की खेती के प्रति किसानों के कम होते रुझान का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि पिछले वर्ष की तुलना में इस बार अभी तक दो लाख 15 हजार हेक्टेयर रकबे में कम बुआई हुई है। भारत में 16 प्रमुख किस्म के श्रीअन्न का उत्पादन होता है। इनमें ज्वार, बाजरा, रागी, चीना, कोदो, झंगोरा, सवा, सांवा, कुट्टू एवं चौलाई प्रमुख हैं।
मांग बढ़ गई है तो अच्छे मिलने लगे दाम
मोटे अनाज की खेती में पानी, लागत और मेहनत कम लगती है। मांग बढ़ गई है तो दाम भी अच्छे मिलने लगे। इसलिए किसानों का झुकाव भी बढ़ता दिख रहा है। मार्च के मध्य में दिल्ली में अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स सम्मेलन के आयोजन के बाद से श्रीअन्न की खेती में किसानों की बढ़ती दिलचस्पी में तेजी आई है। अभी श्रीअन्न का विश्व बाजार लगभग 74 हजार करोड़ रुपये का है, जिसे 2025 तक बढ़कर 99 हजार करोड़ रुपये के हो जाने का अनुमान है।
फूड एंड एग्रीकल्चर आर्गेनाइजेशन (एफएओ) के अनुसार भारत विश्व का 41 प्रतिशत श्रीअन्न का उत्पादन करता है। पिछले वर्ष 180.2 लाख टन श्रीअन्न का उत्पादन हुआ है। हालांकि निर्यात में भारत की स्थिति अच्छी नहीं है। 2022-23 (नवंबर तक) में मात्र 366 करोड़ मूल्य के 1,04,146 टन मोटा अनाज का निर्यात किया गया है।