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सुरक्षा बलों की फायरिंग में नक्सली नहीं, मारे गए थे 17 ग्रामीण, सात बच्‍चे भी शामिल

रिपोर्ट में दावा किया जा रहा है कि सीआरपीएफ और छत्तीसगढ़ पुलिस के जवानों ने नक्सल ऑपरेशन के नाम पर 17 ग्रामीणों को एकतरफा फायरिंग में मार डाला था

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Sun, 01 Dec 2019 10:09 PM (IST)Updated: Sun, 01 Dec 2019 10:12 PM (IST)
सुरक्षा बलों की फायरिंग में नक्सली नहीं, मारे गए थे 17 ग्रामीण, सात बच्‍चे भी शामिल
सुरक्षा बलों की फायरिंग में नक्सली नहीं, मारे गए थे 17 ग्रामीण, सात बच्‍चे भी शामिल

जगदलपुर, जेएनएन। छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित सारकेगुड़ा कांड की जांच कर रहे न्यायिक आयोग की रिपोर्ट कथित रूप से लीक हो गई है। हमारे सहयोगी अखबार नई दुनिया के अनुसार, रिपोर्ट में दावा किया जा रहा है कि सीआरपीएफ और छत्तीसगढ़ पुलिस के जवानों ने नक्सल ऑपरेशन के नाम पर 17 ग्रामीणों को एकतरफा फायरिंग में मार डाला था। ग्रामीण निहत्थे थे। मृतकों में सात नाबालिग भी शामिल थे। रिपोर्ट विधान सभा के पटल पर रखे जाने से पहले लीक होने की सूचना से छत्तीसगढ़ सरकार सकते में है।

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यह घटना बीजापुर जिले के बासागुड़ा स्थित सारकेगुड़ा गांव में 28 और 29 जून 2012 को हुई थी। पहले दिन 16 ग्रामीणों और दूसरे दिन एक ग्रामीण पुलिस फायरिंग में मारे गए थे। घटना में एक जवान भी मारा गया था और छह जवान घायल हुए थे। पुलिस मारे गए ग्रामीणों को नक्सली बता रही थी, लेकिन ग्रामीण विरोध में उतर आए थे। जुलाई 2012 में तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह सरकार ने न्यायिक जांच आयोग के गठन का फैसला लिया। 11 जुलाई 2012 को जबलपुर हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश वीके अग्रवाल की अध्यक्षता में आयोग ने जांच शुरू की। रिपोर्ट 17 अक्टूबर 2019 को शासन को सौंप दी गई है।

सुरक्षाबलों की गोलीबारी आत्मरक्षा के लिए नहीं थी

आयोग ने रिपोर्ट के निष्कर्ष में बताया है कि सुरक्षाबलों ने आत्मरक्षा में गोली नहीं चलाई थी। छह मृतकों के सिर पर गोली लगी थी। 10 मृतकों की पीठ पर रायफल की बट से चोट पाई गई थी। वहीं, जवान की मौत भी सुरक्षा बलों की फायरिंग में हुई थी।

घने जंगल नहीं, खुले मैदान में जुटे थे ग्रामीण

दावा है कि जांच आयोग के अनुसार सारकेगुड़ा, कोत्तागुड़ा और राजपेंटा के ग्रामीण 28 जून 2012 की देर शाम घने जंगल नहीं खुले मैदान में बैठक कर रहे थे। ज्ञात हो कि फोर्स ने आयोग के समक्ष दावा किया था कि बैठक नक्सलियों की मौजूदगी में घने जंगल में हो रही थी। जिसे आयोग ने नहीं माना है। हालांकि आयोग ने ग्रामीणों की भी इस बात से सहमति नहीं जताई है कि बैठक घटना के अगले दिन होने वाले बीज पंडुम त्योहार के लिए बुलाई गई थी।

30 लोगों की हुई गवाही

आयोग ने पीड़ि‍त पक्ष के 17, फोर्स और अन्य 13 लोगों को मिलाकर कुल 30 गवाहों का बयान दर्ज किया है। आयोग के गठन के बाद कई महीनों तक पीडि़त परिवारों से कोई भी बयान दर्ज कराने नहीं आया थे। बाद में पीडि़तों की ओर से गवाहों ने शपथ पत्र देकर बयान दर्ज कराया था।

विधानसभा की अवमानना

रिपोर्ट लीक होने पर पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा कि यह विधानसभा की अवमानना है। विधानसभा चलने के दौरान इस तरह रिपोर्ट को लीक करके सरकार ने बड़ा अपराध किया है। उन्होंने इसकी जांच कराए जाने और दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है। इस विषय में वह सोमवार को विधानसभा में प्रश्न उठाएंगे।

जो कहना है सदन में कहेंगे

आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने कहा कि आयोग की रिपोर्ट सोमवार को सदन में रखी जाएगी। ऐसे में जो भी कहना है, वह सदन में ही कहेंगे। 


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