चिटफंड घोटालाः सीबीआइ कर रही कोलकाता पुलिस आयुक्त की तलाश, ममता ने कही ये बात
जवैली और सारधा चिटफंड घोटाले में सीबीआइ कोलकाता के पुलिस आयुक्त राजीव कुमार से पूछताछ के लिए उनकी कथित तौर पर तलाश कर रही है।
जेएनएन, कोलकाता। रोजवैली और सारधा चिटफंड घोटाले में सीबीआइ कोलकाता के पुलिस आयुक्त राजीव कुमार से पूछताछ के लिए उनकी कथित तौर पर तलाश कर रही है। सीबीआइ सूत्रों के मुताबिक, उन्हें गिरफ्तार भी किया जा सकता है। सीबीआइ कुछ अहम फाइलों और दस्तावेजों के गायब होने के सिलसिले में राजीव कुमार से पूछताछ करना चाहती है।
इस बीच, ममता बनर्जी ने रविवार को ट्वीट में लिखा है कि कोलकाता पुलिस कमिश्नर दुनिया में सबसे अच्छे लोगों में से हैं। उनकी ईमानदारी, बहादुरी और ईमानदारी निर्विवाद है। वह 24 काम कर रहे हैं और हाल ही में केवल एक दिन के लिए छुट्टी पर थे। मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि भगवा पार्टी पुलिस और अन्य सभी संस्थानों को नियंत्रित करने के लिए शक्ति का दुरुपयोग कर रही है।
बताया जा रहा है कि वह सीबीआइ की तरफ से जारी नोटिसों का जवाब नहीं दे रहे हैं। दरअसल, राजीव कुमार ने चिटफंड घोटालों की जांच करने वाली पश्चिम बंगाल पुलिस की स्पेशल इंवेस्टीगेशन टीम (एसआइटी) का नेतृत्व किया था। वह पश्चिम बंगाल कैडर के 1989 बैच के आइपीएस अधिकारी हैं। राजीव कुमार पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के काफी करीबी माने जाते हैं।
इससे पहले चुनाव की तैयारियों का जायजा लेने लिए चुनाव आयोग की पूर्ण पीठ ने दो दिन पहले कोलकाता में उच्च स्तरीय बैठक की थी तो वह उस बैठक में भी नहीं गए। इसको लेकर चुनाव आयोग ने नाराजगी जताते हुए राज्य सरकार से स्पष्टीकरण मांगा था। वहीं, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसके लिए अपनी तरफ से माफी मांगी थी और कहा था कि राजीव कुमार अभी छुट्टी पर हैं।
दूसरी ओर कहा जा रहा है कि वह पिछले तीन दिनों से लापता हैं। उनके मोबाइल नंबर पर फोन करने पर वह फोन नहीं उठा रहे हैं। अधिकारियों ने बताया कि बांग्ला फिल्म निर्माता श्रीकांत मोहता की गिरफ्तारी के बाद से ही राजीव कुमार को अपनी गिरफ्तारी का डर सता रहा है। कुछ चश्मदीदों के मुताबिक, राजीव कुमार को कुछ दिन पहले एक बुक फेयर में देखा गया था। उन्हें 2016 में कोलकाता का पुलिस आयुक्त नियुक्त किया गया था।
बता दें कि रोजवैली घोटाला 15,000 करोड़ रुपये से अधिक का है और सारधा चिटफंड घोटाला करीब 2500 करोड़ रुपये का है। अधिकारियों के मुताबिक दोनों ही मामलों में आरोपितों के कथित तौर पर सत्ताधारी तृणमूल से लिंक पाए गए हैं। इन दोनों ही चिटफंड घोटालों की जांच सीबीआइ कर रही है।
अधिकारियों ने बताया कि इन चिटफंड कंपनियों ने आकर्षक ब्याज का लालच देकर निवेशकों को अपने जाल में फंसाया। मैच्योरिटी के बाद जब जमाकर्ता अपना रिटर्न लेने पहुंचे तो कंपनियों ने पैसे देने से मना कर दिया। आखिरकार इन कंपनियों ने अपनी दुकानों और दफ्तरों को बंद कर दिया।