मध्य प्रदेश में कारोबारियों ने ढूंढ निकाला जीएसटी का तोड़, ले ली करोड़ों की इनपुट क्रेडिट
मध्य प्रदेश में फर्जी बिलों के आधार पर करोड़ों रुपये की इनपुट क्रेडिट लेकर सरकारी खजाने को चपत लगाने का खेल चल पड़ा है।
राज्य ब्यूरो, भोपाल। मध्य प्रदेश के कारोबारियों ने बढ़ी हुई दरों पर टैक्स देने के बजाय वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) का तोड़ ढूंढ लिया है। प्रदेश में फर्जी बिलों के आधार पर करोड़ों रुपये की इनपुट क्रेडिट लेकर सरकारी खजाने को चपत लगाने का खेल चल पड़ा है। कस्टम-सेंट्रल एक्साइज एवं जीएसटी विभाग ने हाल ही जबलपुर, इंदौर एवं भोपाल में फर्जीवाड़े का पर्दाफाश कर गिरफ्तारियां भी की हैं। इस गोरखधंधे में शामिल लोगों की छानबीन शुरू कर दी गई है।
विभाग की खुफिया विंग डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ जीएसटी इंटेलीजेंस (डीजीजीआइ) ने सिवनी में इस गोरखधंधे का पर्दाफाश कर एक कारोबारी को गिरफ्तार किया है। इसी तर्ज पर ग्वालियर अंचल में टीम ने ग्वालियर, मुरैना और डबरा में छापामारी कर बिना माल बेचे केवल फर्जी बिलों के सहारे करोड़ों रुपये की इनपुट क्रेडिट लेने का मामला पकड़ा है। मामले में विभागीय अफसरों ने पिछले सप्ताह छापामारी की थी।
छानबीन में फर्जी तरीके से पांच करोड़ से ज्यादा क्रेडिट हस्तांतरण करने के आरोप में नितिन नीखरा को गिरफ्तार किया है। नीखरा की कंपनी गनिशका सीएंडएफ की जांच भी की गई थी। इस फर्जीवाड़े में शामिल लोहे के स्क्रैप से संबंधित फर्मो के परिसरों की तलाशी में मामले की पुष्टि हुई है।
विभागीय सूत्रों का कहना है कि केंद्रीय माल एवं सेवा कर अधिनियम 2017 की धारा 132 के अनुसार बिना माल प्रदाय पांच करोड़ या इससे अधिक के बिल जारी करने एवं फर्जी इनपुट टैक्स के्रडिट (आइटीसी) जारी करना संज्ञेय और गैर जमानती अपराध है।
जांच अफसरों का मानना है कि प्रकरण में टैक्स चोरी का मामला और बड़ा भी हो सकता है। गिरफ्तार कारोबारी नीखरा को कोर्ट ने 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। विभाग अब उससे इस साजिश के बारे में पूछताछ करेगा। इसी तरह इंदौर में भी फर्जी बिलों के आधार पर क्रेडिट लेने का प्रकरण सामने आ चुका है।
पिछले सप्ताह डीजीजीआइ के अधिकारियों ने भी फर्जी बिल के आधार पर साढ़े चार करोड़ रुपये की क्रेडिट बांटने के मामले में एक कारोबारी को गिरफ्तार किया था। सिवनी के आयरन एंड स्टील के कारोबारी अंकित तिवारी ने फर्जी बिलों के आधार पर 4.5 करोड़ रुपये की क्रेडिट हस्तांतरण कर सरकारी खजाने को चपत लगाई थी।
ट्रकों के नाम पर उसने स्कूटर और कार के नंबरों को दिखाकर करीब 25 करोड़ से अधिक के माल का परिवहन दिखा दिया था। कस्टम-सेंट्रल एक्साइज की खुफिया विंग फर्जी ई-वे बिल की साजिश में शामिल अन्य कारोबारियों की छानबीन में भी जुटी है। मामले में गिरफ्तार कारोबारी पर 25 फीसद तक जुर्माने की राशि भी वसूलने की कार्रवाई शुरू कर दी है।