भीमा कोरेगांव मामला: आरोप पत्र दाखिल करने के लिए महाराष्ट्र पुलिस को और समय मिला
भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में आरोप पत्र दाखिल करने के लिए महाराष्ट्र पुलिस को और समय मिल गया है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में आरोप पत्र दाखिल करने के लिए महाराष्ट्र पुलिस को और समय मिल गया है। शीर्ष कोर्ट ने सोमवार को बांबे हाई कोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें इस मामले में पुलिस को चार्जशीट दाखिल करने के लिए अतिरिक्त समय देने से इन्कार कर दिया गया था।
इस मामले में हाई कोर्ट ने निचली अदालत के आदेश को खारिज कर दिया था। पुणे की अदालत ने चार्जशीट के लिए पुलिस को अतिरिक्त समय प्रदान किया था।
महाराष्ट्र सरकार की याचिका पर मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली पीठ ने हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाने के साथ ही आरोपित मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को नोटिस भी जारी किया।
इससे पहले शीर्ष अदालत ने पुलिस द्वारा इन्हें गिरफ्तार करने के मामले में दखल देने से भी इन्कार कर दिया था। साथ ही गिरफ्तारी की जांच के लिए एसआइटी गठित करने से भी मना कर दिया था।
गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत पुणे पुलिस ने माओवादी संपर्क के चलते अधिवक्ता सुरेंद्र गडलिंग, नागपुर विश्वविद्यालय में प्राध्यापक शोमा सेन, दलित कार्यकर्ता सुधीर धावले, कार्यकर्ता महेश राउत और केरल निवासी रोना विल्सन को जून में गिरफ्तार किया था।
पिछले वर्ष 31 दिसंबर को पुणे में हुए एल्गार परिषद के सम्मेलन के सिलसिले में इनके आवासों और कार्यालयों पर छापे मारे गए थे। पुलिस का दावा था कि उक्त सम्मेलन के कारण ही अगले दिन कोरेगांव भीमा में हिंसा हुई थी।