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आयुर्वेद में है किडनी की बीमारी का कारगर इलाज, मौजूदा समय में बढ़ रहे हैं किडनी के मरीज

इंडो अमेरिकी जनरल ऑफ फार्मास्यूटिकल्स रिसर्च में छपे दूसरे शोध के अनुसार पुनर्नवा के साथ-साथ गुलाब की पंखुडि़यां पत्थरचूर और अन्य जड़ी बूटियां किडनी को दुरूस्त करने में सफल रही हैं।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Published: Wed, 13 Mar 2019 08:12 PM (IST)Updated: Wed, 13 Mar 2019 08:12 PM (IST)
आयुर्वेद में है किडनी की बीमारी का कारगर इलाज, मौजूदा समय में बढ़ रहे हैं किडनी के मरीज
आयुर्वेद में है किडनी की बीमारी का कारगर इलाज, मौजूदा समय में बढ़ रहे हैं किडनी के मरीज

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सरकार भले ही किडनी के बढ़ते मरीजों को देखते हुए हर जिले में डायलसिस की सुविधा उपलब्ध करा रही हो, लेकिन किडनी की बीमारी का पूरी तरह उपचार केवल आयुर्वेद से हो सकता है। हाल में दो अलग-अलग शोध में पुनर्नवा से बनाई गई आयुर्वेदिक दवा को किडनी की खराब कोशिकाओं को ठीक करने में सक्षम पाया गया है। ध्यान देने की बात है कि पूरी दुनिया में 8.5 करोड़ से अधिक किडनी के मरीज हैं और उनके लिए फिलहाल डायलिसिस या फिर ट्रांसप्लांट के अलावा कोई चारा नहीं है।

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किडनी के इलाज में पुनर्नवा आधारित दवा की सफलता को लेकर बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में हुए शोध नतीजे को अंतराष्ट्रीय जरनल 'व‌र्ल्ड जनरल आफ फार्मेसी एंड फार्मास्यूटीकल्स साइंस' में स्थान मिला। इसके अनुसार किडनी के बीमारी से ग्रसित मरीजों को पुनर्नवा पर आधारित 'नीरी केएफटी' नाम की आयुर्वेदिक दवा दी गई। बाद में देखा गया कि इस दवा के प्रयोग से न सिर्फ मरीज के खून में क्रियेटीनाइन और यूरिया के स्तर में सुधार हुआ, बल्कि हीमोग्लोबिन का स्तर भी बढ़ गया। जबकि इसके पहले मरीज को डायलिसिस पर रखने की मजबूरी थी।

'इंडो अमेरिकी जनरल ऑफ फार्मास्यूटिकल्स रिसर्च' में छपे दूसरे शोध के अनुसार पुनर्नवा के साथ-साथ गुलाब की पंखुडि़यां, पत्थरचूर और अन्य जड़ी बूटियां किडनी को दुरूस्त करने में सफल रही हैं। इसके उपयोग से मरीजों के किडनी की सामान्य तरीके से काम करने के साथ-साथ यूरिक एसिड और एलेक्ट्रोलाइट्स की बढ़ी मात्रा को भी कम करने में सफलता मिली है। शोध के अनुसार पुनर्नवा के लंबे समय तक इस्तेमाल से किडनी की खराब कोशिकाओं को भी ठीक करने में मदद मिलती है। जाहिर है कि एलोपैथी में किडनी की बीमारी का कारगर इलाज नहीं की वजह से दुनिया में इस आयुर्वेदिक फार्मूले पर चर्चा शुरू हो गई है।

ध्यान देने की बात है कि भारत में किडनी के रोगियों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ रही है। हालात यह है कि पिछले 15 सालों में किडनी के रोगियों की संख्या देश में दोगुनी बढ़ चुकी है। स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार देश में 17 फीसदी आबादी किसी न किसी रूप में किडनी की बीमारी से ग्रसित है। किडनी के रोगियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए मोदी सरकार ने सभी जिला अस्पतालों में डायलिसिस की सुविधा मुहैया कराने का फैसला किया था।


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