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महाभियोग के साए में सीजेआई सुन रहे हैं अयोध्या, रोहिंग्या, आधार जैसे महत्वपूर्ण मामले

भारत के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा विपक्षी सांसदों की ओर से महाभियोग नोटिस के साए में काम कर रहे हैं।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sun, 22 Apr 2018 09:38 PM (IST)Updated: Mon, 23 Apr 2018 08:20 AM (IST)
महाभियोग के साए में सीजेआई सुन रहे हैं अयोध्या, रोहिंग्या, आधार जैसे महत्वपूर्ण मामले
महाभियोग के साए में सीजेआई सुन रहे हैं अयोध्या, रोहिंग्या, आधार जैसे महत्वपूर्ण मामले

माला दीक्षित, नई दिल्ली। विपक्षी सांसदों की ओर से महाभियोग नोटिस के साए में काम कर रहे भारत के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा अयोध्या राम जन्मभूमि मालिकाना हक विवाद, आधार कानून की वैधानिकता तथा रोहिंग्या मुसलमानों को देश से बाहर निकालने के मामले सहित करीब दर्जन भर ऐसे महत्वपूर्ण मुकदमों की सुनवाई कर रहे हैं जिसका देश और समाज पर गहरा असर पड़ सकता है। दिल्ली और केन्द्र सरकार के बीच उपराज्यपाल के अधिकारों पर उनकी अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधानपीठ का फैसला फिलहाल सुरक्षित है।

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- दिल्ली और केन्द्र के बीच अधिकारों के मसले पर सुरक्षित है फैसला

सांसदों के वकालत करने के अधिकार का कानूनी मुद्दा भी सीजेआई की पीठ में लंबित है। भाजपा नेता और वकील अश्वनी उपाध्याय की इस याचिका पर सोमवार को ही सुनवाई होनी है। मालूम हो कि सीजेआई के खिलाफ महाभियोग नोटिस पर हस्ताक्षर करने वाले कुछ सांसद सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील भी हैं।

सुप्रीम कोर्ट में ज्यादातर महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश की पीठ कर रही है। वैसे भी तय रोस्टर नियमों के मुताबिक नयी जनहित याचिकाएं मुख्य न्यायाधीश ही सुनेंगे। अगर मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की पीठ के समक्ष लंबित महत्वपूर्ण मुकदमों पर निगाह डाली जाए तो आजकल उनकी अध्यक्षता वाली संविधानपीठ आधार कानून की वैधानिकता पर सुनवाई कर रही है। ये सुनवाई करीब एक महीने से चल रही है। इसके अलावा अयोध्या राम जन्मभूमि मालिकाना हक मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ लंबित अपीलों पर भी उन्हीं की पीठ सुनवाई कर रही है।

फिलहाल इस मामले में मुस्लिम पक्षकारों की ओर से मस्जिद को नमाज के लिए इस्लाम का जरुरी हिस्सा न मानने वाले इस्माइल फारुखी फैसले पर उठाई गई आपत्तियों पर विचार चल रहा है। कोर्ट देखेगा कि इस्माइल फारुखी फैसले मे दी गई इस व्यवस्था को दोबारा विचार के लिए संविधान पीठ को भेजा जाए कि नहीं। मामले में 27 अप्रैल को सुनवाई होनी है।

रोहिंग्या मुसलमानों को देश से बाहर निकालने से रोकने की मांग पर भी मुख्य न्यायाधीश की पीठ सुनवाई कर रही है। केन्द्र सरकार ने रोहिंग्याओं को बाहर निकालने का विरोध करने वाली जनहित याचिकाओं की सुप्रीम कोर्ट में खुलकर खिलाफत की है और कहा है कि ये सरकार का नीतिगत मसला है इस पर कोर्ट को निर्देश नहीं देना चाहिए। हालांकि पिछली सुनवाई में कोर्ट ने रोहिंग्या कैंपों में मूलभूत सुविधाओं पर सरकार से स्थिति रिपोर्ट मांगी थी। इस मामले पर 9 मई को अगली सुनवाई होनी है।

केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश का मामला भी सीजेआई दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली संविधानपीठ में लंबित है। इसके अलावा उसी पीठ में भूमि अधिग्रहण में मुआवजे का मुद्दा भी लंबित है। मुआवजे का ये मामला सुप्रीम कोर्ट की दो पीठों द्वारा एक दूसरे के विरोधाभासी फैसलों से उपजे विवाद के बाद संविधानपीठ पहुंचा है।

मेडिकल के पीजी कोर्स में सरकारी डाक्टरों को आरक्षण देने के राज्य सरकार के अधिकारों का मसला भी मुख्य न्यायाधीश के समक्ष लंबित है। इसके अलावा भाजपा नेता और वकील अश्वनी उपाध्याय की कई जनहित याचिकाएं सीजेआई की पीठ में लंबित है। जिनमें सजायाफ्ता लोगों के पार्टी बनाने या पार्टी पदाधिकारी बनने का मुद्दा शामिल है। मुसलमानों में बहुविवाह और निकाह हलाला का विरोध करने वाली याचिकाओं पर नोटिस भी सीजेआई की पीठ ने जारी किया था और मामला विचार के लिए संविधानपीठ को भेजा था।


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