Move to Jagran APP

केरल हाईकोर्ट का अहम फैसला, आइवीएफ से जन्मे बच्चे पर सिर्फ मां का अधिकार

केरल हाई कोर्ट ने कहा है कि आइवीएफ से जन्मे बच्चे के जन्म-मृत्यु पंजीकरण के लिए पिता के बारे में जानकारी मांगना उचित नहीं है। कोर्ट ने कहा कि आइवीएफ जैसी सहायक प्रजनन तकनीकों (एआरटी) से अकेली महिला के गर्भधारण को मान्यता दी गई है!

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Mon, 16 Aug 2021 07:44 PM (IST)Updated: Mon, 16 Aug 2021 07:44 PM (IST)
केरल हाईकोर्ट का अहम फैसला, आइवीएफ से जन्मे बच्चे पर सिर्फ मां का अधिकार
केरल हाई कोर्ट ने कहा है कि

कोच्चि, प्रेट्र। केरल हाई कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा है कि आइवीएफ से जन्मे बच्चे के जन्म-मृत्यु पंजीकरण के लिए पिता के बारे में जानकारी मांगना उचित नहीं है। कोर्ट ने कहा कि आइवीएफ जैसी सहायक प्रजनन तकनीकों (एआरटी) से अकेली महिला के गर्भधारण को मान्यता दी गई है और ऐसे में इन पद्धति से जन्मे बच्चों के जन्म-मृत्यु पंजीकरण में पिता के बारे में जानकारी मांगना निश्चित तौर पर मां के साथ-साथ उस बच्चे के सम्मान के अधिकार को भी प्रभावित करता है।

loksabha election banner

जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र के लिए पिता का ब्योरा मांगना मां-बच्चे के सम्मान के विरुद्ध

हाई कोर्ट ने सोमवार को कहा कि राज्य को ऐसी प्रक्रिया से जन्मे बच्चों के जन्म व मृत्यु पंजीकरण के लिए उचित फार्म मुहैया कराना चाहिए। हाई कोर्ट ने फैसले में कहा, 'एकल अभिभावक या एआरटी से मां बनी अविवाहित महिला के अधिकार को स्वीकार किया गया है। ऐसे में पिता के नाम के उल्लेख की जरूरत (जिसे गुप्त रखा जाना चाहिए) उसकी निजता, स्वतंत्रता और सम्मान के अधिकार का उल्लंघन है।' यह फैसला अदालत ने एक तलाकशुदा महिला की याचिका पर सुनाया जिन्होंने 'इन विट्रो फíटलाइजेशन' (आइवीएफ) प्रक्रिया से गर्भधारण किया था और केरल जन्म-मृत्यु पंजीकरण नियमावली 1970 में पिता की जानकारी देने संबंधी नियम को चुनौती दी थी।

कहा-ऐसे बच्चे के पिता के बारे में नहीं मांग सकते कोई भी जानकारी

महिला ने अपनी याचिका में तर्क दिया कि पिता के नाम को उजागर नहीं किया जा सकता क्योंकि शुक्राणु दानकर्ता की पहचान गोपनीय रखी जाती है और यहां तक उन्हें भी इसकी जानकारी नहीं दी गई है। इसके अलावा पिता की जानकारी देने की जरूरत उनकी निजता, स्वतंत्रता और सम्मान के अधिकार का उल्लंघन है। महिला ने पिता के नाम का कालम खाली रखकर प्रमाण पत्र जारी करने के फैसले को चुनौती देते हुए कहा कि यह भी उनके सम्मान, निजता और स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.