समझिए, जज को पद से हटाने के लिए क्या होती है महाभियोग प्रक्रिया
बहस के बाद जज को पद से हटाए जाने का प्रस्ताव दो तिहाई बहुमत से दोनों सदनों से पास होने पर राष्ट्रपति जज को पद से हटाने का आदेश जारी करते हैं।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। महाभियोग की प्रक्रिया में जज को पद से हटाने का प्रस्ताव संसद के किसी भी सदन में लाया जा सकता है। लोकसभा में प्रस्ताव लाने के लिए प्रस्ताव पर 100 सांसदों का हस्ताक्षर होना चाहिए जबकि राज्यसभा में 50 सांसदों के हस्ताक्षरित प्रस्ताव की जरूरत होती है। प्रस्ताव के बाद आरोपों की जांच के लिए सदन के अध्यक्ष तीन सदस्यीय जांच समिति गठित करते हैं। समिति आरोपों की जांच करती है। समिति की जांच में जज को कदाचार का दोषी पाए जाने पर सदन में महाभियोग पर बहस होती है। बहस के बाद जज को पद से हटाए जाने का प्रस्ताव दो तिहाई बहुमत से दोनों सदनों से पास होने पर राष्ट्रपति जज को पद से हटाने का आदेश जारी करते हैं।
क्या क्या हो सकता है आगे
अगर सभापति नोटिस स्वीकार कर लेते हैं तो उन्हें पद से हटाने की तय प्रक्रिया अपनायी जाएगी लेकिन सभापति के पास नोटिस अस्वीकार करने का भी अधिकार है। अगर सभापति नोटिस अस्वीकार कर देते हैं तो नोटिस देने वाले सांसद कोर्ट जाने की बात कह रहे हैं। बताते चलें कि नियम के मुताबिक सदन के अंदर की कार्यवाही के बारे में अदालत में सुनवाई नहीं हो सकती।
हालांकि कानूनविदों का एक वर्ग मानता है कि जब किसी मामले में आदेश जारी हो जाता है तो हर एक जारी आदेश की न्यायिक समीक्षा हो सकती है और इस आधार पर नोटिस देने वाले सांसद कोर्ट जाकर सभापति द्वारा नोटिस खारिज करने के आदेश को चुनौती दे सकते हैं। हालांकि ये बहुत बाद की स्थितियां हैं।