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Positive India: इन खोजों से कोरोना को मात देने में जुटे हैं IIT के वैज्ञानिक

शोधकर्ता अपनी-अपनी तरह से कोरोना को मात देने में लगे हुए हैं। कोरोना से लड़ाई के लिए जरूरी चीजें उसके इलाज के लिए उपकरण आदि बनाने में IIT के वैज्ञानिक कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।

By Vineet SharanEdited By: Published: Mon, 27 Apr 2020 08:36 AM (IST)Updated: Mon, 27 Apr 2020 08:38 AM (IST)
Positive India: इन खोजों से कोरोना को मात देने में जुटे हैं IIT के वैज्ञानिक

नई दिल्ली, अनुराग मिश्र। आईआईटी के शोधकर्ता अपनी-अपनी तरह से कोरोना को मात देने में लगे हुए हैं। कोरोना से लड़ाई के लिए जरूरी चीजें, उसके इलाज के लिए आवश्यक उपकरण आदि बनाने में आईआईटी के वैज्ञानिक कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रहे हैं। यही वजह है कि लगातार अंतराल पर आईआईटी के शोधकर्ता नई डिवाइस सामने ला रहे हैं। इस क्रम में आज हम आईआईटी हैदराबाद और आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिकों द्वारा खोजे गए उपकरणों की बात कर रहे हैं।

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आईआईटी हैदराबाद

आईआईटी हैदराबाद ने ऐसा पोर्टेबल वेंटिलेटर तैयार करने में बड़ी कामयाबी हासिल की है, जो बेहद सस्ता और इमरजेंसी में इस्तेमाल करने लायक है। इसे जीवन लाइट नाम दिया गया है। इसे एप के जरिए भी चलाया जा सकता है। इसमें रोगी की सांस को रिकॉर्ड किया जा सकता है और डॉक्टर को भेजा जा सकता है। इससे टेलीमेडिसिन के द्वारा भी डॉक्टर रोगी को मदद पहुंचा सकता है। इसका एक बड़ा फायदा ये भी है कि जिन क्षेत्रों में बिजली की समस्या है, वहां भी इसे बैटरी से चलाया जा सकता है। जॉन ने बताया कि इसमें ऑक्सीजन सिलिंडर भी लगा हुआ है।

सेंटर फॉर हेल्थकेयर एंटरप्रेन्योरशिप के प्रोफेसर रेनू जॉन का कहना है कि जीवन लाइट वेंटिलेटर दूसरे सस्ते उपकरणों से अच्छा है। इसमें वायरलेस कनेक्टिविटी है और इसको रिमोट से कंट्रोल किया जा सकता है। कोरोना वायरस के प्रकोप में जीवन लाइट से डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ की भी सुरक्षा होगी। प्रोफेसर रेनू जॉन का कहना है कि इससे कोरोना वायरस के संकट में वेंटिलेटर की कमी दूर होगी। एरोबियोसिस इनोवेशन्स जीवन लाइट को एक लाख रुपये में उपलब्ध कराने की योजना बना रहा है। जॉन के मुताबिक, इस वेंटिलेटर को स्वास्थ्य मंत्रालय, डीआरडीओ औऱ इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के मानकों के अनुरूप बनाया गया है। 

 आईआईटी कानपुर

कानपुर का भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) ऐसे पोर्टेबल वेंटिलेटर बना रहा है, जो बाजार में उपलब्ध ऐसी जीवन रक्षक मशीनों से सस्ता होगा। इसकी बड़ी खासियत यह है कि यह एक्यूट रिस्पेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम से जूझ रहे लोगों के लिए भी काफी मददगार होगा। इसके साथ ही यह वेंटिलेटर अस्पताल के स्टाफ और माहौल को भी वायरस रहित रखने में सहायक होगा। इस वेंटिलेटर की खासियत यह है कि यह प्रोस्थेटिक डिवाइस है, जो कि फेफड़ों में ऑक्सीजन भी पहुंचाती है। साथ ही ब्लड से कार्बन डाई ऑक्साइड को निकालती भी है। साथ ही डॉक्टर्स और पैरामेडिकल स्टाफ को इस वेंटीलेटर्स के यूज के दौरान इंफेक्शन न हो, इसके लिए इसमें एक्सफोलिएंट फ्लो फिल्टर भी लगाया गया है। इसके अलावा, यह एक एनर्जी इफिशिएंट इनवेसिव डिवाइस है, जो कंट्रोल्ड प्रेशर सिस्टम के तहत चलती है और जिसे दूर से भी कंट्रोल किया जा सकता है। आईआईटी कानपुर के इनक्यूबेशन सेंटर के प्रभारी प्रोफेसर अमिताभ बंदोपाध्याय ने कहा, हम तेजी से, संभवत: एक महीने में वेंटिलेटर बनाने की कोशिश कर रहे हैं।

आईआईटी कानपुर के प्रोफेसरों का दावा है कि बाजार में इन्वेसिव वेंटिलेटर की कीमत करीब चार लाख रुपये है, जबकि इस वेंटिलेटर की कीमत 70 हजार रुपये आएगी, क्योंकि इसके सारे कल-पुर्जे और घटक भारत में ही बने हैं। संस्थान के दो छात्र निखिल कुरुले और हर्षित राठौर ने आसानी से कहीं भी ले जा सकने वाले इस वेंटिलेटर का प्रोटोटाइप तैयार किया है। दोनों ‘नोक्का रोबोटिक्स’ नाम से स्टार्ट अप चलाते हैं। वहीं, ग्लोबल इंजीनियरिंग सिमुलेशन कंपनी एंसस ने आईआईटी कानपुर के साथ इसके लिए सीएसआर एग्रीमेंट किया है। टीम का लक्ष्य है कि 2020 तक इसके 30,000 यूनिट बाजार में मौजूद हो।


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