Positive India: जानें, IIT मुंबई की इस कोटिंग तकनीक से कैसे कम होगा कोरोना का खतरा
फेस मास्क और पर्सनल प्रोटेक्शन इक्विपमेंट (पीपीई) पर वाटर लविंग सॉल्यूशन की कोटिंग कोरोना के खतरे को कम कर सकती है। आईआईटी मुंबई के वैज्ञानिकों ने इस बात का दावा किया है।
नई दिल्ली, अनुराग मिश्र। फेस मास्क और पर्सनल प्रोटेक्शन इक्विपमेंट (पीपीई) पर वाटर लविंग सॉल्यूशन की कोटिंग कोरोना के खतरे को कम कर सकती है। आईआईटी मुंबई के वैज्ञानिकों ने इस बात का दावा किया है। इसे अमेरिकन इंस्टिट्यूट ऑफ फिजिक्स के जनरल फिजिक्स ऑफ फ्लूइड में प्रकाशित किया गया है।
वैज्ञानिकों का इस बात के पीछे तर्क है कि वाटर लविंग सरफेस को वैज्ञानिक तौर पर हाइड्रोफिलिक माना जाता है। यह सूखने में कम देर लगाती है। चूंकि कोविड-19 मुख्य रूप से ड्रॉपलेट्स के द्वारा फैलता है, ऐसे में इसके ट्रांसमिशन की संभावना कम हो जाती है। आईआईटी मुंबई के प्रोफेसर डॉ रजनीश भारद्वाज का कहना है कि टेफ्लॉन पेन हाइड्रोफोबिक होता है, क्योंकि यह पानी को पीछे धकेलता है, पर इसके नीचे की सतह हाइड्रोफिलिक होती है, जिससे पानी की बूंदें जल्दी सूखती हैं।
डॉ भारद्वाज ने बताया कि हमने फेस मास्क और पीपीई में केमिकली ट्रीटेड केमिकल का प्रयोग किया है, ऐसे में कोरोना वायरस वाले ड्रॉपलेट्स तेजी से सूखते हैं। इससे ट्रांसमिशन चेन टूट जाती है, जिससे कोरोना का खतरा कम हो जाता है।
जबसे कोरोना वायरस का रेसपिरेटरी ड्रॉपलेट्स के द्वारा फैलने की बात सामने आई है। शोधकर्ता लगातार इस बात की खोज में लगे हैं कि कैसे फेस मास्क और अधिक संपर्क में आने वाली सतह जैसे कि डोर हैंडल या स्मॉर्टफोन की टच स्क्रीन में यह एकत्रित होती है। ड्रॉपलेट्स छोटे होते हैं। इनकी चौड़ाई मानव के बाल से महज दोगुनी होती है। अध्ययनों में इस बात का दावा किया गया है कि एक बार इनके सूखने के बाद इंफेक्शन की संभावना कम हो जाती है।
डॉ भारद्वाज का कहना है कि हमने इस बात की गणना की है कि विभिन्न सतहों पर ड्रापलेट्स को सूखने में कितना समय लगता है। हमने मास्क और पीपीई की सतह के लिए इसके सूखने के समय का आकलन किया है। हमने गणना में दिखाया है कि हाइड्रोफिलिक सतह पर ड्रॉपलेट्स जल्दी सूख जाते हैं।