Move to Jagran APP

Positive India : देश के छोटे किसानों के लिए IIT खड़गपुर का यह प्रयोग हो सकता है बेहद मददगार

खेतों में पैदावार बेहतर करने के लिए विभिन्न चरणों में पेस्ट और डिजीज कंट्रोल के लिए स्प्रे किया जाता है। मौजूदा समय में बड़े खेतों में ट्रैक्टर में लगे स्प्रे का इस्तेमाल किया जाता है। वहीं छोटे खेतों में मैनुअल तरीके से स्प्रे किया जाता है।

By Vineet SharanEdited By: Published: Fri, 12 Feb 2021 08:48 AM (IST)Updated: Fri, 12 Feb 2021 08:57 AM (IST)
Positive India : देश के छोटे किसानों के लिए IIT खड़गपुर का यह प्रयोग हो सकता है बेहद मददगार
आईआईटी खड़गपुर का पेस्ट कंट्रोल सिस्टम सौर ऊर्जा से संचालित होगा। वहीं इससे जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता भी कम होगी।

नई दिल्ली, अनुराग मिश्र। छोटी जोत वाली किसानों के लिए आईआईटी खड़गपुर का यह प्रयोग बड़ी राहत देने वाला है। इस उपकरण से कम खर्च में सुरक्षित तरीके से पेस्ट कंट्रोल किया जा सकेगा। आईआईटी खड़गपुर का यह पेस्ट कंट्रोल सिस्टम सौर ऊर्जा से संचालित होगा। वहीं इससे खेतों में स्प्रे करने के लिए जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता भी कम होने में मदद मिलेगी। यही नहीं, इससे खेतों की पैदावार भी बेहतर होगी।

loksabha election banner

खेतों में पैदावार बेहतर करने के लिए विभिन्न चरणों में पेस्ट और डिजीज कंट्रोल के लिए स्प्रे किया जाता है। मौजूदा समय में बड़े खेतों में ट्रैक्टर में लगे स्प्रे का इस्तेमाल किया जाता है। वहीं, छोटे खेतों में मैनुअल तरीके से स्प्रे किया जाता है। स्प्रे का प्रभाव इसे छिड़कने वाले की क्षमता और समझ पर निर्भर करता है। वहीं इसमें समय और मजदूर भी लगाने पड़ते हैं। इसके अलावा, अगर छोटे खेतों में ट्रैक्टर का प्रयोग किया जाए तो फसलों के नष्ट होने की संभावना होती है। इतना ही नहीं, इससे केमिकल की भी बर्बादी बढ़ती है, क्योंकि ट्रैक्टर से स्प्रे ऑटोमेटिक तरीके से होता है। ट्रैक्टर से पर्यावरणीय प्रदूषण होने की संभावना भी रहती है।

आईआईटी खड़गपुर के प्राध्यापक हिफजुर रहमान ने बताया कि उपकरण में स्प्रे इकाई को संचालित करने के लिए सौर ऊर्जा का भंडारण करने वाली बैटरी लगी हुई है। उपकरण में घुले हुए कीटनाशक के लिए एक बड़ी टंकी लगी हुई है तथा सौर ऊर्जा चालित यह उपकरण तीन पहिया ट्रॉली पर आधारित है। इस सिस्टम में कई स्प्रे नोजल लगे हुए हैं। इसका फायदा यह है कि इससे बड़े क्षेत्र को कवर किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि परंपरागत स्प्रेयर्स के मुकाबले नए स्प्रेयर की क्षमता बेहतर होगी और यह समान तरीके से छिड़काव करने में सक्षम होगा। इस उत्पाद के लिए शोधकर्ताओं ने पेटेंट का भी आवेदन कर दिया है।

आईआईटी खड़गपुर के निदेशक वीरेंद्र कुमार तिवारी ने कहा कि हम माइक्रो-इरीगेशन, शेड नेट कल्टीवेशन और फूड प्रोसेसिंग तकनीक विकसित कर चुके हैं। इन तकनीकों का प्रयोग पश्चिम बंगाल के 23 जिलों के विभिन्न गांवों और पूर्वी भारत के राज्यों में हो रहा है। यह आत्मनिर्भर भारत बनने की दिशा को पूरी तरह इंगित करता है। इस डिवाइस को प्रोफेसर हिफजुर रहमान, अनूप बेहरा, राहुल के और प्रोफेसर पीबीएस भदौरिया ने मिलकर बनाया है।  


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.