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दुनिया को 'नगीने' देने वाला आइआइटी कानपुर राजनीति का शिकार

कानपुर आइआइटी के चार प्रोफेसरों पर एससीएसटी एक्ट में मुकदमा दर्ज होने और माहौल बिगड़ने से दुनियाभर के शिक्षाविद् चिंतित हैं।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Published: Wed, 21 Nov 2018 08:40 PM (IST)Updated: Thu, 22 Nov 2018 03:58 PM (IST)
दुनिया को 'नगीने' देने वाला आइआइटी कानपुर राजनीति का शिकार

जागरण संवाददाता, कानपुर। देश ही नहीं दुनिया को नायाब 'नगीने' देकर रोशनी बिखेरने वाले आइआइटी पर जाति-पात का काला साया पड़ गया है। जहां प्रतिभा, अनुसंधान, सर्वश्रेष्ठ उपाधि व बेहतर अंकों की बात होती थी, वहां के चार प्रोफेसरों पर एससीएसटी एक्ट में मुकदमा दर्ज होने और माहौल बिगड़ने से दुनियाभर के शिक्षाविद् चिंतित हैं। वह ई-मेल और वाट्सएप के जरिए प्रोफेसरों से जानकारी ले रहे हैं।

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इंफोसिस के सह संस्थापक एनआर नारायणमूर्ति, जमुनालाल बजाज अवार्ड से सम्मानित अनिल के. राजवंशी, नेसकॉम के पूर्व चेयरमैन सोम मित्तल, रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर के पूर्व सीईओ ललित जालान, सड़क, परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय में परियोजना निदेशक सत्येंद्र दुबे जैसे दिग्गज देने वाला यह संस्थान अब राजनीति का शिकार हो रहा है। उच्चकोटि की तकनीकी, टेक्नोक्रेट, प्रोफेसर व शिक्षाविद् देने वाले इस संस्थान में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो स्वार्थ की भाषा बोल रहे हैं जिससे यहां का माहौल खराब होने लगा है। नौबत यहां तक पहुंच गई कि महीने भर के अंदर बोर्ड ऑफ गवर्नर, फैकल्टी फोरम, डीन, छात्र सीनेट व कर्मचारी सभी को इस मसले पर बैठक करनी पड़ी।
तकनीकी चुनौतियों का समाधान तलाश देश को बना रहा सशक्त
आइआइटी कानपुर इंजीनियङ्क्षरग व प्रौद्योगिकी की चुनौतियों का समाधान तलाशने में सबसे आगे है। इन चुनौतियों के लिए अनुसंधान योजना विकसित करने के लिए आइआइटी को इंपेक्टिंग रिसर्च इनोवेशन एंड टेक्नोलॉजी (इमप्रिंट) का राष्ट्रीय समन्वयक बनाया गया है। केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना का लोकार्पण तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था। इसके अंतर्गत संस्थान एडवांस मैटीरियल व वाटर रिसोर्स पर कार्य कर रहा है।
देश का चौथा रिसर्च पार्क बनेगा
आइआइटी में 70 करोड़ रुपये की लागत से देश का चौथा रिसर्च पार्क बनाया जाना है। उद्योगों से जुड़े शोध कार्यों के लिए बनाए जाने वाले इस रिसर्च पार्क में युवाओं के इनोवेशन आइडिया को भी स्थान मिलेगा। इसके अलावा यहां स्थित इनोवेशन सेंटर में सौ से अधिक कंपनियां स्थापित की जा चुकी हैं।
देशभर के छात्रों के लिए बनी हवाई प्रयोगशाला
एयरक्राफ्ट की तकनीक समझने व उड़ाने का प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए देश भर से करीब 36 कालेजों के छात्र आइआइटी की फ्लाइट लेबोरेट्री आते हैं। यहां पर प्रतिवर्ष आठ सौ छात्रों को प्रशिक्षण दिया जाता है।
रैंकिंग में आइआइटी पांचवें स्थान पर
वल्र्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग में आइआइटी कानपुर अपना नाम दर्ज कराए हैं। इस साल की क्यूएस एशिया यूनिवर्सिटी रैंकिंग में आइआइटी 61वें स्थान पर रहा जबकि देश के इंजीनियङ्क्षरग कालेजों में इसकी पांचवीं रैंकिंग है।
हो रहे परिसर में शांति बनाए रखने के प्रयास
आइआइटी निदेशक प्रो. अभय करंदीकर का कहना है कि आइआइटी की बेहतरी के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। यहां के दो प्रोफेसर को युवा वैज्ञानिकों को दिए जाने वाले प्रतिष्ठित स्वर्ण जयंती फेलोशिप के लिए चुना गया है। यही ऐसा संस्थान हैं जहां के दो अनुसंधानकर्ताओं को इस फेलोशिप के लिए विज्ञान व प्रौद्योगिकी विभाग ने चयन किया है। संस्थान प्रगति के नए आयाम तय कर रहा है। परिसर में शांति बनाए रखने के प्रयास किए जा रहे हैं।


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