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आइआइटी हैदराबाद ने बनाई कोरोना संक्रमण की सस्ती जांच किट, 20 मिनट में आएगा नतीजा

आइआइटी हैदराबाद के प्रोफेसर शिव गोविंद सिंह ने कहा हमने ऐसी जांच किटविकसित की है जो लक्षण वाले और बिना लक्षण वाले सभी मरीजों में 20 मिनट में नतीजा दे सकती है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Sat, 06 Jun 2020 11:40 PM (IST)Updated: Sat, 06 Jun 2020 11:43 PM (IST)
आइआइटी हैदराबाद ने बनाई कोरोना संक्रमण की सस्ती जांच किट, 20 मिनट में आएगा नतीजा
आइआइटी हैदराबाद ने बनाई कोरोना संक्रमण की सस्ती जांच किट, 20 मिनट में आएगा नतीजा

नई दिल्ली, प्रेट्र। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) हैदराबाद के शोधकर्ताओं की टीम ने कोविड-19 की जांच के लिए एक सस्ती किट तैयार करने का दावा किया है। इस किट से 20 मिनट में ही जांच का नतीजा मिल सकता है। यह किट अभी प्रयोग में लाए आने वाली आरटी-पीसीआर तकनीक पर काम नहीं करती है।

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शोधकर्ताओं का कहना है कि इस किट की लागत 550 रुपये है और बड़े पैमाने पर तैयार करने से यह लागत 350 रुपये तक आ सकती है। शोधकर्ताओं के दल ने इसके पेटेंट के लिए आवेदन कर दिया है। हैदराबाद में ईएसआइसी मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में इसका क्लीनिकल ट्रायल किया गया है। इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) से भी इसके प्रयोग की अनुमति मांगी गई है।

आइआइटी हैदराबाद के प्रोफेसर शिव गोविंद सिंह ने कहा, 'हमने ऐसी जांच किट विकसित की है, जो लक्षण वाले और बिना लक्षण वाले सभी मरीजों में 20 मिनट में नतीजा दे सकती है। इसे आसानी से कहीं भी लाना ले जाना संभव है।' इससे पहले, आइआइटी दिल्ली के शोधकर्ता भी कोरोना वायरस की जांच किट विकसित कर चुके हैं। आरटी-पीसीआर पर आधारित इस जांच किट को आइसीएमआर से मंजूरी भी मिल चुकी है।

वहीं, दूसरी ओर भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) के पूर्व महानिदेशक एनके गांगुली ने शनिवार को कहा कि दिल्ली में कोरोना वायरस संक्रमण तीसरे अथवा कम्युनिटी ट्रांसमिशन के चरण में पहुंच चुका है।

दिल्ली में हालत ठीक नहीं 

गांगुली ने कहा, 'इस भ्रम से बाहर निकलिए कि दिल्ली में हालात ठीक हैं। रोजाना ढेर सारे मामले सामने आने से यह कहना गलत नहीं होगा कि दिल्ली कम्युनिटी ट्रांसमिशन या तीसरे चरण में पहुंच चुकी है। बल्कि कोविड-19 के बड़ी संख्या में केस वाले कई शहर (दिल्ली, मुंबई और अहमदाबाद) कम्युनिटी ट्रांसमिशन के चरण में हैं। नहीं तो हर रोज कोई सैकड़ों नए मामलों को कैसे तर्कसंगत ठहरा सकता है।'


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