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आइआइएम के छात्र और फैकल्टी ने पीएम मोदी से देश को बांटने वाली ताकतों से दूर करने के लिए कहा

भारतीय प्रबंधन संस्थान (आइआइएम) बेंगलुरु और अहमदाबाद के छात्रों और संकाय सदस्यों ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर देश को तोड़ने वाली ताकतों से देश को दूर रखने का आग्रह किया है। इस मसले पर प्रधानमंत्री से मौन तोड़ने की अपील की गई है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Sat, 08 Jan 2022 10:28 PM (IST)Updated: Sat, 08 Jan 2022 10:28 PM (IST)
भारतीय प्रबंधन संस्थान (आइआइएम) बेंगलुरु और अहमदाबाद के छात्र और संकाय सदस्य।

नई दिल्ली, प्रेट्र। भारतीय प्रबंधन संस्थान (आइआइएम) बेंगलुरु और अहमदाबाद के छात्रों और संकाय सदस्यों ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर देश को तोड़ने वाली ताकतों से देश को दूर रखने का आग्रह किया है। इस मसले पर प्रधानमंत्री से मौन तोड़ने की अपील की गई है। पत्र में 180 से अधिक लोगों ने हस्ताक्षर किए हैं। इस मसले पर प्रधानमंत्री से कदम उठाने का अनुरोध किया गया है। 180 से अधिक हस्ताक्षरकर्ताओं के पत्र में अभद्र भाषा और अल्पसंख्यकों पर हमलों पर चिंता जताई गई है।

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आइआइएम के छात्रों ने प्रधानमंत्री को लिखा पत्र

पत्र में लिखा है कि हमारे देश में बढ़ती असहिष्णुता पर आदरणीय प्रधान मंत्री आपकी चुप्पी हम सभी के लिए निराशाजनक है, जो हमारे देश के बहुसांस्कृतिक ताने-बाने को महत्व देते हैं। प्रधानमंत्री जी, हमारे देश में आपकी चुप्पी नफरत से भरी आवाज़ों को प्रोत्साहित करती है और एकता और अखंडता के लिए खतरा है। हम आपके नेतृत्व से एक राष्ट्र के रूप में हमारे लोगों के खिलाफ नफरत फैलाने से हमारे दिमाग और दिलों को दूर करने के लिए कहते हैं। हमारा मानना है कि एक समाज रचनात्मकता, इनोवेशन और विकास पर ध्यान केंद्रित कर सकता है या समाज अपने भीतर विभाजन पैदा कर सकता है। उन्होंने पीएम मोदी से देश को हमें विभाजित करने की कोशिश करने वाली ताकतों से दूर करने का आग्रह किया है।

पीएम मोदी से सही विकल्प बनाने में देश का नेतृत्व करने का आग्रह

पत्र में कहा गया है कि हस्ताक्षरकर्ता एक ऐसे भारत का निर्माण करना चाहते हैं जो दुनिया में समावेशिता और विविधता के उदाहरण के रूप में खड़ा होगा। उन्होंने आशा व्यक्त की कि पीएम मोदी सही विकल्प बनाने में देश का नेतृत्व करेंगे। इसने नोट किया कि संविधान ने लोगों को अपने धर्म को सम्मान के साथ बिना किसी डर के और बिना शर्म के अभ्यास करने का अधिकार दिया है। पत्र में कहा गया है कि हमारे देश में अब डर की भावना है। हाल के दिनों में चर्चों सहित पूजा स्थलों में तोड़फोड़ की जा रही है। हमारे मुस्लिम भाइयों और बहनों के खिलाफ हथियार उठाने का आह्वान किया गया है। यह सब बिना किसी उचित प्रक्रिया के भय के और बिना किसी डर के किया जाता है।


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