अग्नि-5 है आइसीबीएम, हमने कहा एलआरबीएम
अग्नि-5 की कामयाबी पर बधाइयों के बीच ही यह बहस भी चल पड़ी है कि आखिर भारत ने अंतर महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल क्षमता का तकनीकी पायदान पार किया है या नहीं? इसके पीछे रणनीतिक पैंतरा कहिए या कूटनीतिक पेशबंदी का लिहाज, लेकिन अधिकारिक तौर पर भारत ने अग्नि-5 को केवल लंबी दूरी की मिसाइल कहा है।
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। अग्नि-5 की कामयाबी पर बधाइयों के बीच ही यह बहस भी चल पड़ी है कि आखिर भारत ने अंतर महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल क्षमता का तकनीकी पायदान पार किया है या नहीं? इसके पीछे रणनीतिक पैंतरा कहिए या कूटनीतिक पेशबंदी का लिहाज, लेकिन अधिकारिक तौर पर भारत ने अग्नि-5 को केवल लंबी दूरी की मिसाइल कहा है।
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन [डीआरडीओ] ने अपने आधिकारिक बयान में अग्नि-5 को लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल यानी एलआरबीएम कहा है। गुटनिरपेक्ष भारत के लिए कूटनीतिक लिहाज से यह जुमला मुफीद है, क्योंकि इसमें महाद्वीप के बाहर प्रहार क्षमता का खुला इजहार नहीं दिखता। वैसे भी भारत की रक्षा चिंताएं और तनाव अपने पड़ोसियों से ज्यादा हैं। ऐसे में अफ्रीका या यूरोप को कोई गलत संदेश वो नहीं देना चाहता। महत्वपूर्ण है कि डीआरडीओ की तकनीकी परिभाषा में तो सात सौ किलोमीटर तक मार करने वाली अग्नि-1 भी एलआरबीएम ही है।
'दैनिक जागरण' से बातचीत में डीआरडीओ के मुख्य नियंत्रक [अनुसंधान एवं विकास] डॉ. डब्ल्यूएस सेल्वामूर्ति इस बात पर जोर देते हैं कि पांच हजार किमी का लक्ष्य लांघने वाली अग्नि-5 अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल [आइसीबीएम
ही है। यह केवल नामकरण का फेर है। अग्नि-5 के दायरे में अगर अफ्रीका के अधिकांश हिस्से और यूरोप के कई भाग आते हैं तो यह स्पष्ट है कि इसकी प्रहार क्षमता अन्य महाद्वीपों तक है।
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